निवेदन।


फ़ॉलोअर

रविवार, 28 मई 2017

681...''कारवां तो हम बनाते हैं''

                                                       

 ''कारवां तो हम बनाते हैं''
आओ ! साथी, हम
मिल करके
दूर देश को
साथ चलें
कोमल सा
एक हृदयस्पर्शी
एक दूजे की
आवाज़ बनें।
सादर अभिवादन आप सभी गणमान्य पाठकों का
आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर
कदम बढ़ाते हैं


 'भावों की गरिमा'.... 'सुधा सिंह जी' 


                                              


भावों की क्या बात करें
भावों की अपनी हस्ती है
भावो के  रंग भी अगणित हैं
इससे ही दुनिया सजती है
                              


                                                                       
                                              
बुजुर्गों के लिये थोड़ी मुहब्बत द़िल मे रख लेना
मुसलसल उम्र ढ़लती है शज़र गिर जायेगा एक दिन।    
                                                                           
                       
'अंतर्मन' ...... आदरणीय 'विभा ठाकुर जी' की रचना मन को छूती हुई 


                                                        

कही कोई देख न ले कि
बेटी के जन्म पर माँ खुश हैं
कही कोई सास को ताने न मार दे
तेरी बहु कैसी है आई!

अपनी रचना के माध्यम से सपनों के महत्व  पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं कि 
प्रत्येक मानव के जीवन में स्वप्न अहम् भूमिका निभाते हैं  

                                                     

गूँजती हैं कहीं जब ठिठकते से कदमों की आहट,
 बज उठती है यूँहीं तभी टूटी सी वीणा यकायक,



                                                   

मृदुल-स्नेह की विह्वलता सी
ईश की अनुपम सुन्दरता सी.
दायित्व निभाती हर पल सारे
बहाती ममता साँझ-सकारे

'श्वेता सिन्हा जी' की अनूठी रचना जो 'भावनाओं' को 'प्रकृति' से जोड़ती है

                                                           


हवा के नाव पर सवार

बादल सैर को निकलते है
असंख्य ख्वाहिशों की कुमुदनी
में खिले सितारों की झालर
झील के पानी में जगमगाते है


                       
    अंत में, मैं "एकलव्य" आदरणीय 'यशोदा दीदी' एवं 'पाँच लिंको का आनंद' परिवार के सभी सदस्यों का हृदय से आभार प्रकट करता हूँ जिन्होंने मुझे आज की प्रस्तुति बनाने योग्य समझा।    
आज्ञा दें 
धन्यवाद। 








12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत उम्दा संकलन,सुंदर लिंकों का चयन,मेरी रचना को मान देने के लिए शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात.....
    मंजे हुए चर्चाकार की तरह
    कमाल की प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभ प्रभात जी
    सारी रचनाए बहुत सुन्दर है 🌹

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत उम्दा प्रस्तुति. मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया. सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. एकलव्य जी को उनकी रचनाओं के संकलन के अथक प्रयास हेतु बधाई। भाई मजा आ गया।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  7. अपनी सशक्त रचना के माध्यम से समाज को करारा जवाब

    जवाब देंहटाएं
  8. स्वागत है 'एकलव्य'। बहुत उम्दा प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत बढियासंकलन...
    गहन अध्ययन का परिणाम-ध्रुव जी!बहुत बहुत शुभकामनाएं...

    जवाब देंहटाएं
  10. आज की प्रस्तुति के लिए एकलव्य जी बधाई के पात्र हैं। पाठकों की अभिरुचियों के अनुरूप रचनाओं का चयन कर आपने आज के अंक को आकर्षक और विचारणीय प्रस्तुति बना दिया है। सभी चयनित रचनाकारों को भी हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  11. खूबसूरत हलचल! हार्दिक बधाई एकलव्य जी ।

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...