भगवान बुद्ध जयन्ती की शुभ की कामनाएँ
सादर अभिवादन....
आज की पढ़ी रचनाएँ....
घोड़ा/ मूंछ / सपना /फूल
घोड़े पर चढ़ आया सवार
नाम था उसका फूलकुमार
घोड़े ने जब फटकारी पूँछ
गिरा सवार और कट गई मूंछ
पास न था कोई उसका अपना
देखा था उसने दिन में सपना
ठहर जाओ घड़ी भर तुम
जरा ये देख ले आँखें
थे सबके प्राण से प्यारे
किये अर्पण जो तुम सांसे.
जहाँ रौनक सवेरे थी
जब गुरु जी चले गये तब मेरे बेटे ने कहा चलो माँ अब हम दोनों भी खाना खा लेते हैं ,खाना वाकई में बड़ा स्वादिष्ट बना था ।
जब सब निपट गया तब मेरा बेटा बोला माँ अब बताओ आप खुश हो ना ,मैंने भी उसके सिर पर हाथ गिरते हुए कहा हाँ बेटा हाँ ।
बेटा बोला माँ आज मदर्स डे है ,
मैंनें आपको बोला था ना कि मैं हूँ ना ,और माँ आप
हमारे लिए इतना करती हो क्या मैं आपके लिए इतना भी नही कर सकता क्या ?
संवेदनाएँ! निरीह, लाचार खुद अन्दर से,
पतली सी काँच कहीं चकनाचूर रखी हों जैसे,
कनारों के धार नासूर सी डस रही हों जैसे,
अंतःकरण हृदय के, लहुलुहान कर गई ये ऐसे....
गधे की कब्र....लघुकथा
उस राहगीर ने सोचा कि जरूर किसी महान आत्मा की मृत्यु हो गयी है। तो वह भी झुका कब्र के पास। इसके पहले कि बंजारा कुछ कहे, उसने कुछ रूपये कब्र पर चढ़ाये। बंजारे को हंसी भी आई आयी। लेकिन तब तक भले आदमी की श्रद्धा को तोड़ना भी ठीक मालूम न पड़ा। और उसे यह भी समझ में आ गया कि यह बड़ा उपयोगी व्यवसाय है।
बीबी बच्चों का
भविष्य बना
एक करोड़ का
तू बीमा करा
इधर अफसर
तीन सौ करोड़
घर के अन्दर
छिपा रहा है
उधर उसका
अर्दली दस करोड़
के साथ पकड़ा
जा रहा है
तू कभी कुछ
नहीं खा पायेगा
बस सपने ही
सुबह सुबह यह सुंदर संकलन खुशी से सराबोर कर गई ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मेरी रचना शामिल करने लिए।
सुन्दर व सार्थक संकलन !आभार। "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंआज के सुन्दर सूत्रों में 'उलूक' के सूत्र को जगह देने के लिये आभार यशोदा जी। बढ़िया प्रस्तुति हलचल की।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर संकलन हलचल का। शुक्रिया मेरी रचना को हलचल मर शामिल करने के लिए ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन धन्यवाद मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा संकलन...।
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