प्रफुल्लित हूँ आज....
पाँच लिकों का आनन्द में एक
नए चर्चाकार का प्रवेश
स्वागत ..अभिनन्दन है
माननीय श्री ध्रुव सिंह जी का...
प्रत्येक सोमवार को हमें उनकी पसन्दीदा रचनाएँ
आनन्दित करेगी....
आज मेरी पसंद की रचनाएँ.....
नारी.... क्यूं पापन हुई?... शालिनी कौशिक
है वर्जित मोहतरमा
मस्जिदों में सुना ,
मगर मंदिरों ने
न रोकी है नारी कभी।
वजह क्या है
सिमटी है सोच यहाँ ?
भला आके इसमें
क्यूँ पापन हुई ?
क्या जीना न उसका ज़रूरी यहाँ ?
किराएदार....वीर विनोद छाबड़ा
मैंने कहा - इस बार आपके मन मुताबिक किरायेदार है। खांटी वेजीटेरियन। समस्त प्रकार के दुर्व्यसन से दूर, बहुत दूर।
सौ फीसदी टिकाऊ।
वो उछल पड़े - अच्छा। क्या करता है?
मैंने कहा - अच्छी जगह पर है। वेतन भी अच्छा है। पत्रकार हैं। वर्किंग जर्नलिस्ट। स्थाई नौकरी है। वो बात अलबत्ता दूसरी है कि अख़बार बंद हो जाए। लेकिन पत्रकार है, बेकार नहीं बैठता,
कहीं न कहीं से खाने का जुगाड़ बैठा लेगा।
वो एकदम से बिदक गए - न भैया। हमें खखेड़ नहीं चाहिए। देखो, अब मुसलमान नहीं होने के साथ-साथ
यह भी जोड़ लो कि वो पत्रकार न हो और वकील भी नहीं।
कोरी सी कल्पना....पुरुषोत्तम सिन्हा
कविताओं में मैने उसको हरपल विस्तार दिया,
मन की भावों से इक रूप साकार किया,
हृदय की तारों से मैने उसको स्वीकार किया,
अभिलाषा इक अपूर्ण सा मैने अंगीकार किया...
नसीब की बात....साधना वैद
उम्मीद तो कम थी लेकिन
एक दिन मुझे हैरान करतीं
मेरे दिल की क्यारी में
कुछ बेहद मुलायम बेहद खूबसूरत
नर्मों नाज़ुक सी कोंपलें फूट आईं
जिनमें चन्द नज़्में, चंद गज़लें,
चंद कवितायें और चंद गीत
खिल उठे थे ।
लड़ता हूँ
झगड़ता हूँ
उलझता हूँ
बस यूँ ही ख़ुद के साथ
कोई और नहीं बस मैं
पहले तो मानहानि करवाओ फिर मुकदमा ठोको.....ताऊ रामपुरिया
ये एहसास है कि सास है....
या जरूरी धर्म है?
यानी पहले तो मानहानि करवाओ
फिर मुकदमा ठोको,
पर ये बात जब समझ आ जाये तभी बनती है।
मान और मान हानि
किस चिड़िया का नाम है
ये हमको हमारे बापू ने कम उम्र में ही समझा दिया था।
........
आज तनिक भूल हो गई....
धोखे से आज की प्रस्तुति भाई कुलदीप जी ने भी बना दी और रचनाकारों को सूचना भी चली गई..सो भूल सुधार..
भाई कुलदीप जी की पसंदीदा रचनाएँ भी यहीं पर..
आज की प्रस्तुति तनिक अझेल सी हो गई है..
अनुक्त जानाति अपि पंडिता.....वीरेन्द्र शर्मा
आज हमने शौर्य को भी सेकुलर बनाके छोड़ दिया है, महाराणा प्रताप मेवाड़ (चित्तोड़ )के शिवाजी महाराष्ट्र के हैं - कुछ लोग बतलाने लगें हैं,जबकि शौर्य की हमारी परम्परा श्रुति परम्परा की तरह शाश्वत है।
तीन सगे भाई अपने देश की आजादी के लिए 12 सालों से जेल में रहे...विवेक सुरंगे
विश्व के एकमात्र तीन सगे भाई जो अपने देश की आजादी के लिए 12 सालों से ज्यादा समय तक जेल में रहे ....उस मां को नमन जिसने ऐसे 3 महान सपूतों को जन्म दिया नारायण राव सावरकर ...गणेश राव सावरकर... विनायक दामोदर सावरकर
विदाई का प्लास्टिकरण.....राहुल मिश्र
ट्रेडिशन क्या होता है?
रिवाज़ क्या होता है?
विदाई में रोना रिवाज़ है।
नही रोया तो
नए जमाने की लड़कियां।
हद है अजीब भी है,
पर हो रहा है।
भगवान से....ओंकार केडिया
तुमने अरबों-खरबों लोग बनाए,
हर एक दूसरों से अलग,
हर एक का अलग चेहरा-मोहरा,
हर एक की अलग कद-काठी,
हर एक का अलग रंग-रूप.
उलूक उवाच....डॉ. सुशील कुमार जोशी
किसी के कंधे
की सीढ़ी
एक बनाते हैं
ऊपर जाकर
लात मारकर
उसे नीचे
गिराते हैं
सांत्वना देने
उसके घर
कुछ केले ले
कर जाते हैं
आज्ञा दें यशोदा को
सादर
जाते-जाते एक नज़र इस वीडियो पर भी
कितना बड़ा बुलबुला.... समय एक मिनट चौबीस सेकण्ड
आपदोनों को उम्दा प्रस्तुतीकरण के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंवाह्ह्..सुंदर समायोजन,
जवाब देंहटाएंयशोदा दी और कुलदीप जी की सुंदर प्रस्तुति रोचक भी।
उत्कृष्ट लिंकों का चयन।
शुभ प्रभात,
जवाब देंहटाएंआदरणीय,'यशोदा दीदी' एवं 'कुलदीप जी'
अतिसुन्दर लिंक समायोजन ,बहुत-बहुत
शुभकामनायें, आभार। ''एकलव्य''
पाँच लिंकों का आनन्द दिन पर दिन निखर कर आये। ध्रुव जी का चर्चाकार के रूप में स्वागत है। लोग जुड़ेंगे और करवाँ बढ़ता चलेगा। आभार 'उलूक' के सूत्र को जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआज की सारी प्रस्तुति बहुत अच्छी है
आप दोनों का ही बेमिसाल चयन । बहुत ही सुन्दर सूत्र । यशोदा जी एवं कुलदीप भाई आप दोनों का हृदय से आभार मेरी रचना को आज की हलचल में स्थान देने के लिए । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाचन के शौक़ीन पाठकों के लिए आज का अंक विशेष बन गया है। बहन यशोदा जी और भाई कुलदीप जी की मिश्रित प्रस्तुति विविधता से परिपूर्ण है। आप दोनों को बधाई सुन्दर लिंक संयोजन कर प्रस्तुति को वैचारिक समृद्धि प्रदान करने के लिए। क्षमा चाहता हूँ विमर्श में देर से शामिल होने के लिए।
जवाब देंहटाएंबुलबुले का विडिओ रोचक है।
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