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मंगलवार, 21 दिसंबर 2021

3249 ...आज साल का सबसे छोटा दिन, 16 घंटों की होगी रात

सादर अभिवादन
आज का दिन सबसे छोटा होता है
और रात सबसे लम्बी
आज साल का सबसे छोटा दिन, 16 घंटों की होगी रात
जानिए क्यों
क्यों होता है 21 दिसंबर का दिन सबसे छोटा?
पृथ्वी अपने अक्ष पर साढ़े तेइस डिग्री झुकी हुई है। इस वजह से सूर्य की दूरी पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध से ज्यादा हो जाती है। इससे सूर्य की किरणों का प्रसार पृथ्वी पर कम समय तक होता है। 21 दिसंबर को सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करता है। इस दिन सूर्य की किरणें मकर रेखा के लंबवत होती हैं और कर्क रेखा को तिरछा स्पर्श करती हैं। इस वजह से सूर्य जल्दी डूबता है और रात जल्दी हो जाती है।
यह तारीख भी है खास
इसके अलावा 21 मार्च और 23 सितंबर को दिन और रात का समय बराबर होता है

रचनाएँ...
एक ही ब्लॉग से
ब्लॉग रचयिता है श्री हंसराज जी जैन
आप आज-कल फेसबुक में विचरण करते रहते है





बात महात्मा बुद्ध के पूर्व भव की है जब वे जंगली भैंसे की योनि भोग रहे थे। तब भी वे एकदम शान्त प्रकृति के थे। जंगल में एक नटखट बन्दर उनका हमजोली था। उसे महात्मा बुद्ध को तंग करने में बड़ा आनंद आता। वह कभी उनकी पीठ पर सवार हो जाता तो कभी पूंछ से लटक कर झूलता,  कभी कान में उंगली डाल देता तो कभी नथुने में। कई बार गर्दन पर बैठकर दोनों हाथों से सींग पकड़ कर झकझोरता। महात्मा बुद्ध उससे कुछ न कहते।



लगता है "रुपये" पर  राजा की नीयत खराब हो गई……
बुढ़िया का इतना कहना था कि राजा का चेतन और विवेक जागृत हो गया। राजधर्म तो प्रजा का पोषण करना है, शोषण करना नहीं। तत्काल लगान न बढ़ाने का निर्णय कर लिया। मन ही मन धरती से क्षमायाचना करते हुए बुढ़िया माँ को प्रणाम कर लौट चला।




मिथिला नरेश नमि दाह-ज्वर से पीड़ित थे। उन्हें भारी कष्ट था। भांति-भांति के उपचार किये जा रहे थे। रानियाँ अपने हाथों से बावना चंदन घिस-घिस कर लेप तैयार कर रही थीं।

जब मन किसी पीड़ा से संतप्त होता है तो व्यक्ति को कुछ भी नहीं सुहाता। एक दिन रानियां चंदन घिस रही थीं। इससे उनके हाथों के कंगन झंकृत हो रहे थे। उनकी ध्वनि बड़ी मधुर थी, किंतु राजा का कष्ट इतना बढ़ा हुआ था कि वह मधुर ध्वनि भी उन्हें अखर रही थी। उन्होंने पूछा, "यह कर्कश ध्वनि कहां से आ रही है?"




दो भाई धन कमाने के लिए परदेस जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने देखा कि एक बूढ़ा दौड़ा चला आ रहा है। उसने पास आते ही कहा, "तुम लोग इस रास्ते आगे मत जाओ, इस मार्ग में मायावी भयानक पिशाच बैठा है। तुम्हें खा जाएगा। "कहते हुए विपरीत दिशा में लौट चला। उन भाइयों ने सोचा कि बेचारा बूढ़ा है, किसी चीज को देखकर डर गया होगा। बूढ़े होते ही अंधविश्वासी है।




एक संन्यासी एक राजा के पास पहुंचा। राजा ने उसका खूब आदर-सत्कार किया। संन्यासी कुछ दिन वहीं रूक गया। राजा ने उससे कई विषयों पर चर्चा की और अपनी जिज्ञासा सामने रखी। संन्यासी ने विस्तार से उनका उत्तर दिया। जाते समय संन्यासी ने राजा से अपने लिए उपहार मांगा। राजा ने एक पल सोचा और कहा, "जो कुछ भी खजाने में है, आप ले सकते हैं।" संन्यासी ने उत्तर दिया, "लेकिन खजाना तुम्हारी संपत्ति नहीं है, वह तो राज्य का है और तुम मात्र उनके संरक्षक हो।" राजा बोले, "महल ले लीजिए।" इस पर संन्यासी ने कहा, "यह भी तो प्रजा का है।"




वह बिना देरी किये सन्यासी के पास पहुंची, और बोली, "मैं बाल ले आई बाबा!!"  "बहुत अच्छे!" और ऐसा कहते हुए सन्यासी ने बाल लेकर उसे जलती हुई अग्नि में झोंक दिया।  "अरे! ये क्या बाबा, आप नहीं जानते, इस बाल को लाने के लिए मैंने कितना कठिन श्रम किया और आपने इसे जला दिया? अब मेरी जड़ी-बूटी कैसे बनेगी?”, महिला घबराते हुए बोली।  "अब तुम्हे किसी जड़ी-बूटी की ज़रुरत नहीं है", "सन्यासी बोला। जरा सोचो, तुमने बाघ को किस तरह अपने वश में किया!, जब एक हिंसक पशु को धैर्य, मनोबल और प्रेम से जीता जा सकता है तो भला एक इंसान को नहीं ?
....
आज बस इतना ही
कल सखी पम्मी जी
सादर


3 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन अंक
    सही समय में सही अंक
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही बेहतरीन व उम्दा प्रस्तुति
    आपका बहुत बहुत आभार कि आपने इतनी शानदार और इतनी पुरानी पोस्ट को एक ही मंच पर प्रस्तुत किया जिसे हम आसानी से पहुंच सके! वैसे शायद ही पहुँच पाते🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह , सुज्ञ जी को ब्लॉग पर नियमित पढ़ा था।आज कल फेसबुक पर ही पढ़ लिया जाता है । बेहतरीन प्रस्तुति ।।

    जवाब देंहटाएं

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