रजनी उजलो रंग भरे
चाँद कटोरो मोदो पड़गो
प्रीत रंग रा तार झरे।
पता ऊपर मांडे मांडणा
रात सखी म्हारी जागे।।
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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चंद्र फूल री क्यारी महकी
जवाब देंहटाएंरजनी उजलो रंग भरे
चाँद कटोरो मोदो पड़गो
प्रीत रंग रा तार झरे।
पता ऊपर मांडे मांडणा
रात सखी म्हारी जागे।।
बेहतरीन..
सादर..
बहुत बहुत शुक्रिया दी।
हटाएंसादर
बहुत ही सुंदर सराहनीय भूमिका।
जवाब देंहटाएंशरद ऋतू का अनछुआ-सा एहसास बहुत ही सुंदर।
सभी को हार्दिक बधाई।
समय मिलते ही सभी रचनाओं पर उपस्थित रहूंगी।
मुझे स्थान देने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया श्वेता दी।
सादर स्नेह
इन फूलों और
जवाब देंहटाएंधान की हरी बालियों की
जुगलबंदी बता रही है
खेतों में शरद ने खिलखिलाहट
बो दिए हैं
अबकी बरस
धान के साथ फूल भी खिलखिलायेंगे/
तुम सुन रहो न/आने वाले समय का आलाप/
उम्मीद का यह गीत/कितना मीठा है न...।////
बहुत सुंदर प्रिय श्वेता। ये मौसम इतना शानदार है कि कवियों की कल्पना सरपट दौड़ने लगती है। इस मोहक भूमिका के लिए ढेरों बधाइयां। सभी रचनाएं बहुत प्यारी हैं। आज के अंक में शामिल सभी रचनाकारों को बधाई और शुभकामनाएं।
प्रिय श्वेता ।
जवाब देंहटाएंशरद में केवल वसुधा ही नहीं सकती नशीली धूप , आज कल मैं भी लेती धूप का आनंद , भले ही जाना पड़ता है सोसाइटी के पार्क में ,हँसी की बात एक तरफ भूमिका में शरद का बहुत सुंदर वर्णन किया है ....
आज की प्रस्तुति में लिए गए लिंक बेहतरीन हैं --
हमें अंदाज़ा नहीं होता कि विभावरी ( रात ) में भी जो उड़ती थीं तितलियां बन कर ,रहस्यमयी किलकारियों के साथ कब सेवानिवृत्ति ले लेती हैं पता ही नहीं चलता ।
सस्नेह
अनगिनत फूलों का रंग निचोड़कर
जवाब देंहटाएंबदन पर नरम शॉल की तरह लपेटकर
ओस में भीगी भोर की
नशीली धूप सेकती वसुधा,
अपने तन पर फूटी
तीसी की नाजुक नीले फूल पर बैठने की
कोशिश करती तितलियों को
देख-देखकर गुनगुनाते
भँवरों की मस्ती पर
बलाएँ उतारती है...
कितने कोमल शब्दों को पिरोकर बना कितना सुंदर और मनमोहक गीत! प्रकृतिक सुंदरता को चार चांद लगाता बहुत ही खूबसूरत गीत.....
बहुत ही उम्दा प्रस्तुति!
मेरी रचना को पांच लिंकों में शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद और आभार🙏🙏🙏
उम्मीद का यह गीत
जवाब देंहटाएंकितना मीठा है न...।
"उम्मीद का गीत" हमेशा मीठा ही होता। प्रकृति के सुन्दर रगों को समेटे बहुत ही सुन्दर भुमिका के साथ बेहतरीन रचनाओं का चयन आदरणीया श्वेता जी। सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंओस में भीगी भोर की
जवाब देंहटाएंनशीली धूप सेकती वसुधा,
अपने तन पर फूटी
तीसी की नाजुक नीले फूल पर बैठने की
कोशिश करती तितलियों को
देख-देखकर गुनगुनाते
भँवरों की मस्ती पर
बलाएँ उतारती है...
अद्भुत एवं लाजवाब भूमिका के साथ शानदार प्रस्तुति । सभी लिंक बेहद उत्कृष्ट।
मेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदयतल से धन्यवाद श्वेता जी!
सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।