शीर्षक पंक्ति:आदरणीया शैल सिंह जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
रविवारीय अंक
लेकर आज फिर
हाज़िर हूँ।
सर्दियों का बढ़ता प्रकोप देख कविवर नरेश मेहता जी का काव्यांश याद आया-
पता नहीं
किस इतिहास-प्रतीक्षा में
यहाँ शताब्िदयाँ भी लेटी हैं
हिम थुल़्मों में।
शिवा की गौर-प्रलम्ब भुजाआें सी
पवर्त-मालाएँ
नभ के नील पटल पर
पृथिवी-सूक्त लिख रहीं।
-नरेश मेहता
लीजिए पढ़िए
पाँच चुनिंदा रचनाएँ-
जो खुशी उससे हमें मिलती
बयान करने को शब्द नहीं मिलते
उनकी गरिमा कुछ और ही होती
तभी होती इतनी बेकरारी
इस के आने की राह देखने की |
कहाँ मिले तरुवर तले रे माँ
तेरे आँचल सी मीठी छाया
बहुत से रिश्ते दुनिया में पर
निःस्वार्थ ना तुझ सी माया
गीली शैय्या सोकर तूने
दिया आँचल का नरम बिछौना
तेरे अंश को नज़र लगे ना
दिया काजल का चाँद डिठौना
कि तेरे जैसा कोई नहीं माँ
न तेरे जैसा सुन्दर नाम ,
देश को शक्तिशाली दिया बना।
पोखरण से देश का नाम हुआ।
दुश्मन भी यूं थर-थर काँप उठे।
अटल तुम अटल थे अटल रहे।संकरा है वह द्वार प्रभु का
चलते-चलते पढ़ते हैं एक रोचक संस्मरण जो आपको गुदगुदाते हुए मुस्कराने के लिए विवश कर देगा-
मैं बेबस, लाचार उस बेचारे अक़ील की कोई मदद नहीं कर सकता था, उस कमबख्त चेयरमैन का भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता था. पर अपना कबाड़ा तो कर ही सकता था. और मैंने अपना कबाड़ा कर ही लिया. हाईस्कूल में कॉलेज में सेकंड पोजीशन लाने वाले गोपेश बाबू उर्फ़ अक़ील के विन्नी भैया, फर्स्ट ईयर की अर्धवार्षिक परीक्षा में फिज़िक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स में फ़ेल हो गए.
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आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे आगामी गुरुवार की प्रस्तुति के साथ।
रवीन्द्र सिंह यादव
आभार भाई
जवाब देंहटाएंबढ़िया अंक दिया आज
आभार..
सादर..
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंबढ़िया अंक आज का |मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद रवीन्द्र जी |
सुंदर सराहनीय और पठनीय संकलन । सभी को हार्दिक शुभ शुभकामनाएं 💐💐
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन। मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया सर।
सादर
बढ़िया अंक आज का |मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद रवीन्द्र जी |
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंक्रिसमस और अटलजी की जयंती पर सुंदर रचनाओं का संकलन, आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संकलन
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