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रविवार, 26 दिसंबर 2021

3254...दिया आँचल का नरम बिछौना...

शीर्षक पंक्ति:आदरणीया शैल सिंह जी की रचना से। 

सादर अभिवादन।

रविवारीय अंक लेकर आज फिर हाज़िर हूँ।

सर्दियों का बढ़ता प्रकोप देख कविवर नरेश मेहता जी का काव्यांश याद आया-

पता नहीं
किस इतिहास-प्रतीक्षा में
यहाँ शताब्िदयाँ भी लेटी हैं
हिम थुल़्मों में।
शिवा की गौर-प्रलम्ब भुजाआें सी
पवर्त-मालाएँ
नभ के नील पटल पर
पृथिवी-सूक्त लिख रहीं।

-नरेश मेहता 

लीजिए पढ़िए पाँच चुनिंदा रचनाएँ-

बड़ा दिन आया


जो खुशी उससे हमें मिलती

बयान करने को शब्द नहीं मिलते

उनकी गरिमा कुछ और ही होती

तभी होती इतनी बेकरारी

इस के  आने की राह देखने की |

माँ पर कविता

कहाँ मिले तरुवर तले रे माँ

तेरे आँचल सी मीठी छाया

बहुत से रिश्ते दुनिया में पर
निःस्वार्थ ना तुझ सी माया
गीली शैय्या सोकर तूने
दिया आँचल का नरम बिछौना
तेरे अंश को नज़र लगे ना
दिया काजल का चाँद डिठौना

कि तेरे जैसा कोई नहीं माँ
तेरे जैसा सुन्दर नाम ,

६३०. जकड़न

ऐसा करो कि जहाँ हो,

वहीं थोड़ा-सा नाच लो,

जिस पेड़ ने तुम्हें

जकड़ रखा है,

वह ख़ुद कहीं जाएगा,

तुम्हें जाने देगा.

 पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व श्री अटल बिहारी बाजपेई जी की जयंती पे श्रद्धासुमन अर्पित करती शानदार कविता

देश को शक्तिशाली दिया बना।
पोखरण से देश का नाम हुआ।
दुश्मन भी यूं थर-थर काँप उठे।
अटल तुम अटल थे अटल रहे।
संकरा है वह द्वार प्रभु का

जो कहते थे, पीछे आओ

सीखो तुम भी मानव होना,

बेटा हूँ प्रिय परमेश्वर का

मार्ग जानता सहज स्वर्ग का !

दिल की धरती पर

बाग़ में स्वच्छंद डोलती सौरभ

अनायास ही पलकें भिगो

उतर जाती है

दिल की धरती पर

एक नए एहसास के साथ।

चलते-चलते पढ़ते हैं एक रोचक संस्मरण जो आपको गुदगुदाते हुए मुस्कराने के लिए विवश कर देगा-

अक़ील


मैं बेबसलाचार उस बेचारे अक़ील की कोई मदद नहीं कर सकता थाउस कमबख्त चेयरमैन का भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता था. पर अपना कबाड़ा तो कर ही सकता था. और मैंने अपना कबाड़ा कर ही लिया. हाईस्कूल में कॉलेज में सेकंड पोजीशन लाने वाले गोपेश बाबू उर्फ़ अक़ील के विन्नी भैयाफर्स्ट ईयर की अर्धवार्षिक परीक्षा में फिज़िक्सकेमिस्ट्री और मैथमेटिक्स में फ़ेल हो गए.

*****

आज बस यहीं तक 

फिर मिलेंगे आगामी गुरुवार की प्रस्तुति के साथ। 

रवीन्द्र सिंह यादव 


10 टिप्‍पणियां:

  1. आभार भाई
    बढ़िया अंक दिया आज
    आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात
    बढ़िया अंक आज का |मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद रवीन्द्र जी |

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर सराहनीय और पठनीय संकलन । सभी को हार्दिक शुभ शुभकामनाएं 💐💐

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर संकलन। मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सुंदर संकलन।
    मुझे स्थान देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया सर।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. बढ़िया अंक आज का |मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद रवीन्द्र जी |

    जवाब देंहटाएं
  7. क्रिसमस और अटलजी की जयंती पर सुंदर रचनाओं का संकलन, आभार !

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत खूबसूरत रचना प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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