।। उषा स्वस्ति ।।
प्रकृति कैसे बताऊं तू कितनी प्यारी,
हर दिन तेरी लीला न्यारी,
तू कर देती है मन मोहित,
जब सुबह होती प्यारी।
नरेंद्र शर्मा
भोर की सुकुमारता और बदलते मौसमों में सूर्य की हल्की - हल्की गर्माहट संग ..लिजिए प्रस्तुतिकरण के क्रम को आगें बढ़ातें हुए रूबरू होते हैं..✍️
तो मत कर संकोच !
तो मत कर संकोच,
लेकर मन में यह सोच ,
कि लोग क्या कहेंगे ।
गर मन में है भरोसा ,
कि जो मैंने है सोचा
🌸
🌸
क्रोध
सूनी यामिनी में
जलते-जलते क्रोध में
नज़र चाँद पर जा ठहरी
सर्दियों की रात में..
🌸
गुलदाउदी--"आशान्वित रहूँगी, अंतिम साँस तक"
चित्र, साभार pixabay से |
यूँ ही ऊबड़-खाबड़ राह में
पैरों तले कुचली मलिन सी
गुलदाउदी को देखा ...
🌸
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️
बेहतरीन रचनाओं से सुसज्जित अंक
जवाब देंहटाएंआभार गुलदाउदी के लिए
सादर..
आदरणीय पम्मी मेम मेरी रचना को "पांच लिंकों का आनन्द में" के मंच पर स्थान देने के लिए बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
जवाब देंहटाएंसभी संकलित रचनाएं बहुत उम्दा है , सभी आदरणीयों को शुभकामनाएं ।
सादर ।
बहुत ही लाजवाब प्रस्तुति उम्दा एवं पठनीय लिंक्स।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को यहाँ स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार पम्मी जी!
सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर,लाजवाब अंक, बहुत शुभकामनाएं आदरणीय पम्मी जी ।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर मेरी कविता "ज़िन्दगी इक सवाल" को स्थान देने के लिए आपका सादर आभार पम्मी सिंह जी !🙏😊
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