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बुधवार, 8 दिसंबर 2021

3226..हर शख़्स हैरान है..

 ।। उषा स्वस्ति ।।


प्रकृति कैसे बताऊं तू कितनी प्यारी,

हर दिन तेरी लीला न्यारी,

तू कर देती है मन मोहित,

जब सुबह होती प्यारी।

नरेंद्र शर्मा 

भोर की सुकुमारता और बदलते मौसमों में सूर्य की हल्की - हल्की गर्माहट संग ..लिजिए प्रस्तुतिकरण के क्रम को आगें बढ़ातें हुए रूबरू होते हैं..✍️

तो मत कर संकोच !



तो  मत कर संकोच,

लेकर मन में यह सोच ,

कि लोग क्या कहेंगे ।

गर मन में है भरोसा ,

कि जो मैंने है सोचा

🌸

ज़िन्दगी क्या है ?


क्या ज़िन्दगी सवाल है ?
शायद ये सवाल है------!
मुझे किसने है भेजा?कहाँ से हूँ मैं आया ?
क्या उद्देश्य है मेरा?ये जन्म क्यूँ है पाया ?
कब तक मैं हूँ यहां?और कहाँ मैं जाऊँगा ?

🌸

क्रोध

 सूनी यामिनी में 

जलते-जलते क्रोध में 

नज़र चाँद पर जा ठहरी 

सर्दियों की रात में..

🌸


गुलदाउदी--"आशान्वित रहूँगी, अंतिम साँस तक"

Gudaudi flower
चित्र, साभार pixabay से

यूँ ही ऊबड़-खाबड़ राह में

पैरों तले कुचली मलिन सी

गुलदाउदी को देखा ...

🌸

 ज़िन्दगी- प्रीति अग्रवाल जी के खास लहजे में पिरोए शब्दों ..संग आज बस यहीं तक..


ये नज़रजाए जहाँ तकसब धुँआ- सा लग रहा
इस शहर मेंहर कोईक्योंलापता- सा लग रहा

खोए- खोए हैं सभीहर शख़्स ही हैरान है
अमन ओ चैन का यहाँन नामऔर निशान है..

।।इति शम।।

धन्यवाद

पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️





7 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन रचनाओं से सुसज्जित अंक
    आभार गुलदाउदी के लिए
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय पम्मी मेम मेरी रचना को "पांच लिंकों का आनन्द में" के मंच पर स्थान देने के लिए बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
    सभी संकलित रचनाएं बहुत उम्दा है , सभी आदरणीयों को शुभकामनाएं ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही लाजवाब प्रस्तुति उम्दा एवं पठनीय लिंक्स।
    मेरी रचना को यहाँ स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार पम्मी जी!
    सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर,लाजवाब अंक, बहुत शुभकामनाएं आदरणीय पम्मी जी ।

    जवाब देंहटाएं
  5. पांच लिंकों का आनंद पर मेरी कविता "ज़िन्दगी इक सवाल" को स्थान देने के लिए आपका सादर आभार पम्मी सिंह जी !🙏😊

    जवाब देंहटाएं

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