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रविवार, 5 दिसंबर 2021

3233...सावधान! ऑमीक्रॉन की दस्तक हो चुकी है!

सादर अभिवादन। 

रविवारीय प्रस्तुति एक ज़रूरी जानकारी के साथ लेकर हाज़िर हूँ-  

भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल जी ने 2 दिसंबर 2021 को प्रेस ब्रीफ़िंग में घोषित किया कि वैश्विक महामारी करोना का नया वैरिएंट ऑमीक्रॉन (Omicron) जो दक्षिण अफ़्रीका में पहचाना गया अब भारत में प्रवेश कर चुका है। भारत के कर्नाटक राज्य में इस वैरिएंट के दो मामलों की पुष्टि हो चुकी है।अब तक गुजरात व महाराष्ट्र में एक-एक मामलों की पुष्टि हुई है. यह करोना वैरिएंट बहुत तीव्र गति से फैलने की क्षमता रखता है. दुनिया के लगभग 15 देशों में यह अपना विस्तार कर चुका है. भारत सरकार द्वारा जारी की जा रही जनहित की सूचनाओं को अब प्राथमिकता के आधार पर समझना और अपनाना होगा तथा कोविड-व्यवहार का सख़्ती से पालन करना होगा जिसमें लोगों की आपसी शारीरिक दूरी (लगभग 2 मीटर ), साबुन से हाथ धोना या अल्कोहल आधारित सेनिटाइज़र से हाथ साफ़ करना, मास्क लगाना, इन्फेक्शन फैलने की ख़तरनाक जगहों पर फ़ेस-शील्ड का इस्तेमाल करें. बीमार होने पर प्रशिक्षित डॉक्टर से सलाह लेना और ज़रूरत पड़े तो इलाज लेना। सरकार की ओर से मुफ़्त वैक्सीन लगाने का कार्य जारी है अब देखना होगा यह वैक्सीनेशन कितना कारगर सिद्ध होता है।

बचाव के लिए सर्वाधिक ध्यान देने की बात है कि हमें अपने मुँह, नाक और आँखों को इन्फ़ेक्शन के प्रवेश से बचाने के उपाय करने चाहिए क्योंकि ये तीन प्रमुख रास्ते हैं वायरस को हमारे शरीर में प्रवेश करने के लिए.

सावधान रहिए और ज़िंदादिली के साथ जीते रहिए व औरों को भी भयमुक्त जीवन जीने के लिए प्रेरित करते रहिए। 

-रवीन्द्र सिंह यादव         

आइए अब आपको आज की पाँच पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें- 

संशय से निकलो


आदर्शों के पात झड़े तब

मतभेदों के झाड़ उगे

कल तक देव जहाँ रमते थे

शब्दों के बस लठ्ठ दगे

एक विभाजन की रेखा ने

पक्के घर को तोड़ दिया।।

सेहत का है राज यही, नहीं भूलना इन्हें कभी

क्रोध जगे तो ज़रा ठहरना

वातावरण प्रदूषित करता,

गहरी चंद सहज श्वासें ले

अंतर्मन को ख़ाली करना !

माँ का आशीष फल गया होगा

सच   बताऊँ   तो   जीत   से    मेरी,

कुछ का तो दिल ही जल गया होगा।

आईना    जो     दिखा    दिया   मैंने,

बस   यही  उसको  खल  गया होगा।

अंधेरी रात में ...

जरा पूछे कोई दरों - दिवारों से भी घर क्या होता है , इंसान ही नहीं तन्हा होकर वो भी रोता है

आज रोया तो मालुम हुआ कि आँखों से आंसु भी बहते हैं वरना अब तक लगता थामोहब्बत , नफरत , जलन और उम्मीदें ही वस इनमें रहते हैं

मुंबई : अंतर्यात्राएं

आईबीपीएस में कॉन्ट्रैक्ट की नौकरी को भी एक ही साल हुआ था। मेरे घर से दफ्तर की दूरी दस ही किलोमीटर थी पर ऑटो, ट्रेन और बस बदल कर जाना पड़ता। घर से पौन घंटा लगता था। डायरी के ये अंश उन्हीं टुकड़ा-टुकड़ा यात्राओं से जुड़े हैं। और नवनीत मासिक के नवंबर अंक में प्रकाशित हुए हैं।

 *****

आज बस यहीं तक 

फिर मिलेंगे आगामी गुरुवार.

रवीन्द्र सिंह यादव  


4 टिप्‍पणियां:

  1. अपना भारत वैक्सीनों का देश है
    जितने भी वैक्सीन दुनिया में हैं
    सब भारत की देन है..
    ये आमिक्रान जिस खेत का ढेला है
    ये तो वहीं जाकर फूटेगा..
    आभार भाई जी..
    रचनाएं बेहतरीन चुनी...
    फिर से आभार
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर,सामयिक उद्बोधन तथा पठनीय अंक लाने के लिए आपको हार्दिक बधाई आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी, आपको मेरा सादर अभिवादन ।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात! सार्थक भूमिका के साथ अति सुंदर प्रस्तुति! आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. उपयोगी जानकारी, विस्तृत वर्णन।
    सुंदर सार्थक भूमिका।
    शानदार प्रस्तुति।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।

    जवाब देंहटाएं

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