शीर्षक पंक्ति:
आदरणीय दिगंबर नासवा
जी की रचना
से।
सादर
अभिवादन।
रविवारीय अंक
लेकर हाज़िर हूँ।
आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-
हमें जो उम्र अता की गयी थी जीने को
वो हमने जान बचाने में खर्च कर डाली
सैयद सरोश आसिफ़
एक वोटर की आपबीती -
हमें जो वोट का हक़ था मिला व्यवस्था से
वो हमने चोर-लुटेरों पे खर्च कर डाला
हो न तलवार तो हम ढाल में ढाले जाते ...
दीप जले मन आँगन।
बिन बारिश के बरसा है कब
प्रेम भरा यह सावन।
आस मिलन की राह देखती
छोड़ रही तरुणाई।
तारों के....
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर..
सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसार्थक लिंक्स चयन ।
सभी रचनाकारों को बधाई।
सादर सस्नेह।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।सभी रचनाएँ अति उत्तम।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंअत्यंत महत्वपूर्ण और भावपूर्ण प्रस्तुति आदरणीय रवीद्र भाई। गजल, कविता और कहानी सभी शानदार। सभी रचनाकारों को बधाई और शुभकामनाएं। आपको भी शुभकामनाएं। अपको भी ढेरों शुभकामनाएं और आभार इस सुंदर लिंक संयोजन के लिए 🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंस्थ्सुन्दर संकलन ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी गज़ल को जगह देने के लिए ...