सादर अभिवादन
ये मर्द भी न
आ बैल मुझे मार वाली आदत नहीं न छोड़ेंगे कभी
मानसिक रोगी
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रीता अखबार पढ़ रही थी
अचानक रीता ने रमेश से पूछा
तुमने पढ़ा...???
अखबार में लिखा है कि
25% महिलाएं मानसिक रोग के लिए
दवाइयाँ लेती हैं...!!"
रमेश : "यह तो बहुत डरावना समाचार है..."
रीता : क्यों..?
रमेश : इसका मतलब 75% महिलायें
बिना दवाइयाँ लिए घूम रही हैं...??
और फिर वो बोला अरे हाँ
तुम तो दवाई लेती हो ना बराबर
बेचारा रमेश अभी अस्पताल में
अपनी हड्डियों का इलाज करवा रहा है
बेचारा पति
......
रचनाएँ....
वक़्त के साथ नये राब्ते परत दर चढ़ते रहे,
वो एक मोहब्बत दिल में कही दबी ही रही,
अंजुमन में फूल खिलते रहे,बहार आती रही,
फ़िज़ा उसे रही जिसे मोहब्बत ना रही,
बाज उसाँसे भर-भर कर
झूठे दाने फेंक रहा
मीन फाँस कर मुख में रख
नाम धर्म का सेंक रहा
रक्त सने मासूमों पर
शोषण को हथियार करे।।
मैं मूर्तिकार तो नहीं
लेकिन वर्षों पहले बनाई थी मैंने
तुम्हारी एक मूरत
अपने मनमंदिर में स्थापित करने के लिए !
जानते हो तुम यह मूरत
वैसी बिलकुल भी नहीं थी जैसे तुम थे
इसे मैंने बड़ी मेहनत से तराशा था !
अपनी कल्पना की छैनी से मैंने
इसके मुख पर भावों को उभारा था,
एक अमिट मुस्कान छिपी है
उर अंतर की गहराई में,
वह मनमोहन यही चाहता
उसे खोज लें फिर बिखरा दें !
चलना है पर चल न पाए
भीतर एक कसक खलती है,
उस पीड़ा के शुभ प्रकाश में
इक दिन हर बाधा टलती है !
जब भी स्वप्न कोई टूटा
पलकों को सहला दिया
शूल चुभा कोई दामन में
होठों से दर्द चुरा लिया
जब छलका आँखों से आँसू
एक मीठी लोरी सुना दिया
जब भी थका सामर्थ्य मेरा
उम्मीद किरण दिखला दिया
एक 15-16 साल का दुबला पतला सा लड़का बच्चों के बीच से बाहर आकर लेखक सेे बोलता है अंकल क्या मैं कुछ पूछ सकता हूं? लेखक कहता है हांं क्यों नहीं !मैं आप लोगों से बातें करने और आप लोगों के बारे में जानने ही तो आया हूं ,बेझिझक पूछो जो पूछना है!
अंकल हमारी बेबसी को कैमरे में कैद करके बहुतों की जिंदगी चमक जाती है तो फिर हमारी जिंदगी बेरंग ही रहती है? जब लोग हमारी गरीबी को कोरे कागज मात्र पर उतार कर अमीर और फेमस हो जाते हैं तो हम गरीब क्यों नहीं जाते? मतलब जिसकी वजह से बहुत से लोग अमीर हो जाते हैं वो गरीब क्यों रहता है? यह सवाल सुनकर लेखक निशब्द हो जाता है और उसकी कलम वहीं की वहीं रुक जाती है.....! ऐसा प्रतीत होता है उसके शब्दकोश में शब्द ही नहीं रह गए!
फौजियां दियां जिंदगियां दे बारे च असां जितणा जाणदे,
तिसते जादा जाणने दी तांह्ग असां जो रैंह्दी है।
रिटैर फौजी भगत राम मंडोत्रा होरां फौजा दियां
अपणियां यादां हिंदिया च लिखा दे थे।
असां तिन्हां गैं अर्जी लाई भई अपणिया बोलिया च लिखा।
तिन्हां स्हाड़ी अर्जी मन्नी लई।
हुण असां यादां दी एह् लड़ी सुरू कीती है,
दूंई जबानां च। पेश है इसा लड़िया दा चौदुह्आं मणका।
एक प्राचीन कथा है की सावित्री अपने पति सत्यवान से बहुत प्रेम करती थी. उसे बताया गया था की सत्यवान की आयु केवल एक वर्ष बची है. समय पूरा होने पर यमराज सत्यवान को लेने आये तो सावित्री ने ले जाने नहीं दिया. सावित्री के तप के कारण यमराज ने सत्यवान के मृत शरीर को पुनर्जीवित कर दिया अर्थात उसी शरीर में पुनरुत्थान हो गया. पुनरुत्थान या पुनर्जीवन का अर्थ उसी मृत शरीर में जीवित हो उठना है.
...
आज बस इतना ही
सादर
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जवाब देंहटाएंसुप्रभात प्रियजन💐
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा बाद शानदार प्रस्तुति...!
मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया प्रिय दीदी🙏🙏
"मानसिक रोगी" बहुत ही शानदार व्यंग😂😂😂
चलना है पर चल न पाए
जवाब देंहटाएंभीतर एक कसक खलती है,
उस पीड़ा के शुभ प्रकाश में
इक दिन हर बाधा टलती है !
शानदार अभिव्यक्ति।
हमेशा की तरह रचनाये एक से बढ़कर एक है।पढ़ तो नही पाया अभी सब लेकिन उपर दिए आगाज़ से से मज़ा आ गया।
आभार
ज़ोरदार भूमिका के साथ सुंदर रचनाओं का चयन, आभार!
जवाब देंहटाएंवाह वाह ! बहुत सुन्दर रचनाओं की लिनक्स साझा कीं आज ! मेरी रचना को भी सम्मिलित किया ! आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति... मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद दी, इन दिनों परिस्थिति वश ब्लोग पर सक्रियता थोड़ी कम हो गई है इसलिए मंच पर उपस्थित नहीं हो पाती हूं इसके लिए मुझे खेद है । फिर से सक्रिय होने की कोशिश कर रही हूं। आप सभी को हृदयतल से नमन 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएं'पुनर्जन्म, पुनरुत्थान और अवतार' को शामिल करने के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक।
सभी रचनाकारों को बधाई।