।।भोर वंदन।।
"शब्द किस तरह
कविता बनते हैं
इसे देखो
अक्षरों के बीच गिरे हुए
आदमी को पढ़ो
क्या तुमने सुना की यह
लोहे की आवाज है या
मिट्टी में गिरे हुए खून
का रंग"..!!
धूमिल
चंद शब्दों में बहुत कुछ बोल रही हैं उपरोक्त कविता।इसी कड़ी को आगे बढ़ातें हुए हमनें कुछ शब्द -शिल्प चुनें हैं, जो पेश कर रहे हैं विशेष रुप-गुण कला की, तो फिर ...चलिए ब्लॉग की दुनिया में..✍️
ओस की बूंदें जब हमको मोती लगें,
ओस की बूंदें जब हमको मोती लगें,
दूबों पर टिकती हमको वो सोती लगें ।
वो सितारों को खुद में ही खोती लगें..
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शोर नहीं, सन्नाटा!
काली कोख है।
सभी मौन, पर
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हाइकु शिल्प आधारित लघु रचनाएं।
अम्बर सजा
इंद्रधनुषी रंग
बौराई दिशा।
चाँद सितारे
ले उजली सी यादें
आये आँगन।
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संबंधों-रिश्तों का सच क्या है?
ज़िन्दगी बहुत ही छोटी होती है, इसे समझने की आवश्यकता है. बहुतायत में देखने को मिलता है कि समाज में लोग आपस में संबंधों का, रिश्तों का ख्याल नहीं करते हैं. उनके लिए संबंधों, रिश्तों का अर्थ महज किसी आयोजन में, शादी-ब्याह में मुलाकात से होता है,
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काश कुछ पंख होते
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शानदार रचनाएं
जवाब देंहटाएंओस की बूंदें जब हमको मोती लगें,
दूबों पर टिकती हमको वो सोती लगें ।
आभार..
सादर..
वाह! बहुत सुंदर रचनाएँ विशेषकर ये ग़ज़ल "ओस की बूंदे...."। जी, अत्यंत आभार और शुभकामनाएं!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लिंक संयोजन ...
जवाब देंहटाएंपम्मी जी, नमस्कार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर,सराहनीय सूत्रों का चयन,मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद और वंदन । हार्दिक शुभकामनाएं ।
सुंदर भूमिका , सराहनीय प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंचंद शब्दों का विस्तृत जादू दिखाती सभी रचनाएं
सुंदर सूत्रों को संयोजित कर के सुंदर पोस्ट।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
मेरी रचना को मान देने के लिए हृदय से आभार।
सादर सस्नेह।
बहुत उम्दा और सरहानीय प्रस्तुति🙏
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
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