।। उषा स्वस्ति।।
जवा- कुसुम सी उषा खिलेगी
मेरी लघु प्राची में,
हँसी भरे उस अरुण अधर का
राग रंगेगा दिन को।
अंधकार का जलधि लांघकर
आवेंगी शशि- किरणे,
अंतरिक्ष छिरकेगा कन-कन
निशि में मधुर तुहिन को..!!
जयशंकर प्रसाद
किसी की अंत, किसी की शुरवात संग, भोर की किरणें जो जीवन के हर रूप रंग को दिखाता है चलिए एक कप गर्मागर्म चाय के साथ आज हमारी लघु प्राची की पेशकश पर गौर फ़रमाये..
विधि की लिखी
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हम अच्छे हैं कुछ देखते नहीं
हम अच्छे हैं कुछ सुनते नहीं
देख सुनकर भी कुछ कहते नहीं
क्योंकि हम अच्छें...
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दुर्बलता को दूर भगाकर शक्तिशाली बनिए!
दुर्बलता का नाम मृत्यु!
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हुआ मम
सघन निकुंज प्रवेश
व्यग्र मिलनातुर
छिपे तिमिर में कृष्ण
स्वयं वांछातुर
प्रिया को खूब सताने
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शानदार प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंस्वामी विवेकानंद ने एक बार कहा था कि "कमज़ोरी कभी न हटने वाला बोझ और यंत्रणा है। दुर्बलता का नाम ही मृत्यु है।" कई तरह के दुष्कर्मों को पाप कहा जाता
सादर..
विविधता लिए सुंदर, सराहनीय अंक । सारे लिंक्स पर गई ।रोचक और पठनीय रचनाएँ ।बहुत बहुत शुभकामनाएं आदरणीय पम्मी जी, आपके श्रमसाध्य कार्य को नमन ।मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार 🙏💐
जवाब देंहटाएंआदरणीय मेम ,
जवाब देंहटाएंमेरी रचना इस अंक में शामिल करने के लिये बहुत धन्यवाद और आभार ।
हमेशा की तरह शानदार और सार्थक प्रस्तुति।प्रस्तुतकर्ता को कोटि-कोटि बधाईयाँ। आभार। सादर।
जवाब देंहटाएंलाजबाव संकलन
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