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शीत के दिनों
सर्प सी फुफकारें
चलें हवाएँ।
मुठ्ठी में कैद
धूप फिसल गयी
लड़की हँसी।
सृष्टि का खेल
आकाश पर चढ़ी
उल्टी बेल।
बंसवारियाँ
धरें अधरों पर
वेणु के स्वर।
मन की पीड़ा
छाई बन बादल
बरसी आँखें।
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
शीत के दिनों
सर्प सी फुफकारें
चलें हवाएँ।
मुठ्ठी में कैद
धूप फिसल गयी
लड़की हँसी।
सृष्टि का खेल
आकाश पर चढ़ी
उल्टी बेल।
बंसवारियाँ
धरें अधरों पर
वेणु के स्वर।
मन की पीड़ा
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सदाबहार हाइकु
जवाब देंहटाएंआभार
सादर नमन
मनमोहक हाइकु ।बहुत शुभकामनाएं आदरणीय दीदी 💐💐🙏🙏
जवाब देंहटाएंवाह अलहदा सा अनुभव।
जवाब देंहटाएंसुंदर हाइकु ।
बहुत शानदार हाइकु।
जवाब देंहटाएंएक अलहदा सा अनुभव।
सुंदर प्रस्तुति।👌
सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं