लोक तंत्र को कर रहे, नेता आज हलाल,
झूठ कब पायदार है इतना,
दो क़दम चल के गिर ही जाना है।
ज़िन्दगी दायमी नहीं प्यारे,
एक दिन मौत सबको आना है।
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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सरकार को मिलने वाली रक़म का हिसाब लेकर जनता को क्या फायदा होने वाला है... राजतंत्र में सवाल वर्जित है...
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रस्तुति
बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
वाह बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर
सुन्दर प्रस्तुति,हमारी रचना को शामिल करने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर वकमल भावों की प्रस्तुति। सभी रचनाएँ मन को सुखद संदेश देती हुई व समाज के प्रति जागरूक करती हुई।
जवाब देंहटाएंपढ़ कर आनंद आया। आप सबों को प्रणाम।
आजकल लेखन पर भी कोरोना हावी है. पर जीवन किसी के रोके रुकता नहीं.
जवाब देंहटाएंयह संकलन भी कहता यही.
बहुत-बहुत धन्यवाद, रवीन्द्र जी.