शीर्षक पंक्ति: आदरणीया अनुराधा चौहान जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
मंगलवारीय प्रस्तुति में
आपका
स्वागत
है।
नाव डुबोने की
ज़िम्मेदारी
किसके सर पर
मढ़ी जाय,
नया अध्यक्ष
चुनने के लिए
कौनसी किताब
पढ़ी जाय।
-रवीन्द्र
आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-
तब भी रोई थी मार के थप्पड़
आज माँ याद कर के फिर रो ली
खून सैनिक का तय है निकलेगा
इस तरफ उस तरफ चले गोली
धरा शुद्ध हो कुसुम खिलाये
शुभ सुंदर लावण्य लुभाये,
नयन हँसे रोम-रोम पुलकित
गालों पर गुलाब खिल जाएँ !
बीत रहा
है
हर
क्षण
जीवन
खुशियाँ आकर
द्वार
खड़ी।
स्वप्न महल
के
रहे
सोचते
बीत रही
अनमोल
घड़ी।
गहरे सागर
बीच
डोलती
नौका
मन
की
खाली
है।
भावों.....
मुट्ठी
से रेत की मानिंद
फिसलते
वक़्त में
तेरे विसाल का
वो लम्हा
जा गिरा था
रूह की सदफ़ में .....
अपने कलेजे के टुकड़े की ऐसी हालत देख मीता
की आँखें
भर आईं।
माथे पर गीली पट्टी रखकर
शिक्षा को सुलाने का प्रयास
भी विफल
रहा।
बुख़ार ने शिक्षा के मन की सभी तहें
खोल दीं जो
वह कभी खेल-खेल में न कह पाई।
शिक्षा के व्याकुल मन की सीलन में मीता
रातभर करवट
बदलती रही।
*****
हम-क़दम का अगला विषय है-
'उन्मुक्त'
इस विषय पर सृजित आप अपनी रचना आगामी शनिवार (29 अगस्त 2020) तक कॉन्टैक्ट फ़ॉर्म के माध्यम से हमें भेजिएगा।
चयनित रचनाओं को आगामी सोमवारीय प्रस्तुति (31 अगस्त 2020) में प्रकाशित किया जाएगा।
उदाहरणस्वरूप कविवर मनीष मूंदड़ा जी की कविता-
उन्मुक्त उड़ान / मनीष मूंदड़ा
"मेरा मन अब सीमित संसार में नहीं रह सकता
उसे उडने के लिए एक विस्तृत व्योम चाहिये
एक खुला आसमान
जहाँ का फैलाव असीमित हो
बिलकुल अनंत
नहीं चाहिए मानसिक जड़ता
वो शिथिलता
चाहता हैं मन बने एक पंछी
खुले गगन में उड़ता
या फिर बन बंजारा
सरहदों के मायने ख़त्म करता
नई डगर, नए शहर
अनुभूति करता
अनोखी, अनूठी, नयी, एक दम निराली।"
-मनीष मूंदड़ा
साभार: कविता कोश
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे आगामी गुरूवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
बेहतरीन अंक..
जवाब देंहटाएंआभार आपका..
सादर..
सुंदर लिंक्स, सुंदर हलचल...
जवाब देंहटाएंवाह!सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंभावनाओं को आंदोलित करतीं, जीवन में नई आशा भरतीं रचनाओं की खबर देता है आज का अंक, आभार मुझे भी शामिल करने हेतु !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और सार्थक प्रस्तुति।सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसार्थक हलचल ... भाव भीनी ... मन को छूटी हुई ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी गज़ल को जगह देने के लिए ...
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।एक से बढ़कर एक रचनाएँ।
जवाब देंहटाएंमेरी लघुकथा को स्थान देने हेतु तहे दिल से आभार आदरणीय।
देरी के लिए माफ़ी चाहती हूँ।
सादर