आज हिमांचल में बिजली गुल है
पहाड़ी इलाके में कुछ भी निश्चित नहीं रहता
चलिए कोई बात नहीं..
नया की-बोर्ड है हाथ सेट हो जाएगा.
...
एक समय की बात है..... निराला जी का भोलापन
एक बार वह रक्षा-बंधन के दिन सुबह-सुबह महादेवी जी के घर पहुँच गए। रिक्शा रुका। दरवाजे के बाहर से ही चिल्लाए- 'दीदी, जरा बारह रुपए तो लेकर आना।' बारह रुपए लेकर महादेवी जी बाहर निकलीं, पूछा- 'यह तो बताओ भैया, यह सुबह-सुबह बारह रुपए का क्या करोगे?' निरालाजी बोले- 'ये दुई रुपया तो इस रिक्शा वाले को। अब बचे दस रुपए। ये तुम्हारे लिए। तुम से राखी बँधवाऊंगा तो देने के लिए पैसे कहां से आएंगे!'
......
रचनाएँ...
सरहद के उस ओर ...
मैं सरहद के इस ओर से देखता हूँ
उस ओर की हरियाली,
कंटीली तारें नहीं रोक पातीं
मेरी लालची नज़रों को.
सतर्क खड़े हैं बाँके जवान
इस ओर भी, उस ओर भी,
"बंद दरवाज़े" ....
खोलना चाहती थी ,
मन की वीथियों के ।
बंद दरवाजे ...
नेह में डूबे ,
फुर्सत के लम्हों में ।
हर दिल की यही कहानी है ....
कुछ पाना है जग में आकर
क्या पाना है यह ज्ञात नहीं,
कुछ भरना है खाली मन में
क्या भरना है आभास नहीं !
एक गीत पुरानी डायरी से ....
यह जो सन्ताप है ,
किसका अभिशाप है ।
गीत बन सका न दर्द,
बन गया प्रलाप है ।
सौतेले रिश्तों के डाह सी हुई।
जिन्दगी यूँ किसलिये गुनाह सी हुई ?
इंसानियत का उजाला हो तो बेहतर है .....
गुज़रे वक्त के दामन पर लिखी कहानियां राहें सुझाती हैं
सम्भल कर चलते ,गद्दार धोखे बाजों से तो बेहतर है।।
खामोशियाँ भी तन्हाइयों से बहुत कुछ बता जाती हैं
बस समझने वाला प्यारा सा एक दिल हो तो बेहतर है।।
क्यों जुड़ जाते हैं हम ...!
क्यों जुड़ जाते हैं हम
जाने-अनजाने लोगों से
न कोई रिश्ता न दोस्ती
फिर भी घर कर लेते हैं
दिल में जैसे कोई अपने
ख़ुशी देते हैं जैसे सपने
चंद फिल्में ही देखीं थीं
बस दिल से अपना लिया
धन्यवाद..
सस्नेहाशीष शुभकामनाओं के संग छोटी बहना
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रस्तुति
सुन्दर प्रस्तुति. मेरी कविता को शामिल किया. आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति. मेरी रचना साझा करने हेतु सादर आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तूति, यशोदा दी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकहां गए वैसे लोग !!
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।हमारी कविता को चर्चा में शामिल करने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंनिराला ही ऐसा निराला कृत्य कर सकते हैं, पठनीय रचनाओं के सूत्र देती सुंदर हलचल में मेरी रचना को शामिल करने हेतु आभार !
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