शुकरवारीय प्रस्तुति
हरितालिका तीज का त्योहार है आज।
प्रेम और समर्पण की खुशबू,
पवित्र भावनाओं की डोर से बंधे रिश्ते
तर्क-वितर्क से परे भारतीय समाज में
आपसी सामंजस्य और विश्वास का
अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करते है।
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एक लघुकथा पढ़िए
आज के परिप्रेक्ष्य में भी प्रसंगिक
हास्य व्यंग्य...
एक राजा ने अपने जीजा की सिफारिश पर एक आदमी को मौसम विभाग का मंत्री बना दिया।
- एक बार उसने शिकार पर जाने से पहले उस मंत्री से मौसम की भविष्य वाणी पूछी।
- मंत्री जी बोले "ज़रूर जाइए, मौसम कई दिनों तक बहुत अच्छा है!"
- राजा थोड़ी दूर ही गया था कि रास्ते में एक कुम्हार मिला - वो बोला, "महाराज तेज़ बारिश आने वाली है... आप कहाँ जा रहे हैं?"
अब मंत्री के मुक़ाबले कुम्हार की बात क्या मानी जाती, उसे वही चार जूते मारने की सज़ा सुनाई और आगे बढ़ गये।
- वही हुआ... थोड़ी देर बाद तेज़ आँधी के साथ बारिश आई और जंगल दलदल बन गया, राजा जी जैसे तैसे महल में वापस आए, पहले तो उस मंत्री को बर्खास्त किया;
फिर उस कुम्हार को बुलाया - इनाम दिया और मौसम विभाग के मंत्री पद की पेशकश की - कुम्हार बोला, "हुज़ूर मैं क्या जानू, मौसम-वौसम क्या होता है?" वो तो जब मेरे गधे के कान ढीले हो कर नीचे लटक जाते हैं, मैं समझ जाता हूँ वर्षा होने वाली है, और मेरा गधा कभी ग़लत साबित नहीं हुआ!
- राजा ने तुरंत कुम्हार को छोड़ कर उसके गधे को मंत्री बना दिया -
तब से ही गधों को मंत्री बनाने की प्रथा चली आ रही है!
सादर....
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आज की रचनाएँ....
हमीं ने दर्द दिया है, हम ही दवा देंगें ..कुछ अलग सा
कुछ वर्षों पहले तक बाजार में हर तरह का सामान तक़रीबन खुला मिलता था। चाहे घर के किराने का सामान हो, चाहे सब्जियां-फल वगैरह हों, बेकरी की चीजें हों या अन्य घरेलू जरुरत का सामान ! दूध और पानी की पैकिंग तो शायद ही कोई सोचता हो। आज साफ़-सफाई या शुद्धता का हवाला दे कर हर चीज को प्लास्टिक में लपेटा जाने लगा है। पहले लोग सामान वगैरह लाने के लिए थैला वगैरह ले कर ही घर से चलते थे ! उधर दुकानदार सामान देने के लिए कागज़ के ठोंगों या लिफाफों को काम में लाते थे। पर पॉलीथिन के चलन में आते ही वे सब बीते दिनों की बात हो गए। अब छोटी से लेकर बड़ी से बड़ी चीज यहां तक कि झाड़ू-झाड़न जैसी चीजें भी रैपर में लिपटी मिलने लगी हैं। बाजार ने हमें अच्छी तरह समझा दिया है कि सस्ती खुली मिलने वाली वस्तुएं हमारे और हमारे परिवार के लिए कितनी हानिकारक हैं ! अब साफ़-सफाई या शुद्धता का तो पता नहीं पर इस चलन से पलास्टिक या पॉलीथिन का कचरा बेलगाम-बेहिसाब बढ़ना ही था सो बढ़ता चला जा रहा है...................!
वक्त से नजरें मिलाओ तो सही...प्रीती श्री वास्तव
दर्द की वो क्या देंगें तुमको दवा।
जख्म उनको तुम दिखाओ तो सही।।
बैठकर तुम रूबरू उनके कभी।
हो खफा क्यूं ये बताओ तो सही।।
ये जहां सारा मुहब्बत पर टिका।
प्यार दिल में तुम जगाओ तो सही।।
विश्वास का दंश ..शान्तनु सान्याल
तारीख़ बदलती है अपनी जगह, कैलेण्डर
के पृष्ठ चाहे तुम भूल जाओ बदलना,
शाहराहों से ले कर घुटन भरी
नुक्कड़ तक, ज़िन्दगी
को है यूँ ही नंगे
पाँव चलना।
अभी
तुम्हारे माथे में हैं जीत का मुकुट, ताज
ए अहंकार, नील नद के फैरोगण
से लेकर सिकंदर तक, सभी
खण्डहरों में जा मिले,
कोई नहीं यहाँ
अमरत्व
का हक़दार।
पुरानी शराब नए बोतल में
जल्दी ही
इन सब पर
नियम कानून की किताब
बन के आ जाने वाली है
छोटी मोटी
घटनाओं की बड़ती आवृति से
पुलिस भी
अब निजात पा जाने वाली है
बुद्धिजीवियों को भी
गुंडागर्दी करने की कुछ छूट भी
इसमें दी जाने वाली है
....
और
चलते-चलते.... ढूंढते हैं
कचरे में ज़िंदगी की तलाश
"बचपन बचाओ" के नारों से बेख़बर,
कचरे में अपनी ज़िंदगी तलाशते
मासूमों को देखकर,
बेचैन होकर कहती हूँ ख़ुद से
गंदगी की परत चढ़ी
इनके कोमल जीवन के कैनवास पर
मिटाकर मैले रंगों को
भरकर ख़ुशियों के चटकीले रंग
काश! किसी दिन बना पाऊँ मैं
इनकी ख़ूबसूरत तस्वीर।
..
सादर
हरितालिका तीज की बधाई के संग असीम शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएं- राजा ने तुरंत कुम्हार को छोड़ कर उसके गधे को मंत्री बना दिया -
तब से ही गधों को मंत्री बनाने की प्रथा चली आ रही है!
पक्का यकीन है
राजा ने तुरंत कुम्हार को छोड़ कर उसके गधे को मंत्री बना दिया -
जवाब देंहटाएंतब से ही गधों को मंत्री बनाने की प्रथा चली आ रही है!
सार निकाल कर रख दिया :)आ
आभार यशोदा जी।
हरितालिका तीज की शुभकामनाएँ💐💐💐💐💐स वाह!भूमिका लाजवाब ...👌👌सभी लिंक शानदार ।
जवाब देंहटाएंव्वाहहहहहहहह..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
सादर
राजा का गधापन और गधेपन वाला मंत्री ! सारा देश खरमय :)
जवाब देंहटाएं:
सम्मिलित कर सम्मान देने हेतु हार्दिक आभार
बहुत सुंदर प्रस्तुति
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