और क्या रुपहली चाहत, इस
परिपूरक समीकरण से
कोई नहीं मुक्त
इस क्षणिक
जहाँ में।
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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ग़जब शुरुआत...
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर..
धार्मिक भावनाएँ
जवाब देंहटाएंअत्यंत नाज़ुक होतीं हैं
ये अक्सर
मक़्सद-बे-मक़्सद
आहत होतीं हैं।
सत्य कथन
सराहनीय प्रस्तुति
साधुवाद
आभार रवींन्द्र जी।
जवाब देंहटाएंपठनीय रचनाओं से सजा पांच लिंकों का आनंद ! आभार रवींद्र जी मुझे आज के अंक में शामिल करने हेतु!
जवाब देंहटाएंवाह!खूबसूरत प्रस्तुति अनुज रविन्द्र जी ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचनाएँ
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