'बकरा ईद', जिसे 'ईद-अल-अधा' के रूप में जाना जाता है। इसे बलिदान का त्योहार भी कहा जाता है। 'बकरा ईद' मुसलमानों का दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार हैं। सभी मुस्लिम हर्षोल्लास से बकरीद मनाते हैं। नए कपड़े पहनते है, ईद की नमाज पढ़ते हैं। उसके बाद, एक-दुसरे को गले लगाकर मुबारकबाद देते हैं। लेकिन इस बार तो....
बरगद को किंतु सब
पता था इतिहास,
कोलतारी सड़क पर खड़े हुए सर्वोच्च
गांधी के पुतले पर
बैठे हुए आँखों के दो चक्र
यानी कि घुग्घू एक -
तिलक के पुतले पर
बैठे हुए घुग्घू से
बातचीत करते हुए
तितलियाँ
प्लास्टिक पेंट चढ़ी दीवारों
पर
एक फुट के घेरे में
पांच-छह तितलियां बैठी हैं
वहीं एक मोटी सफेद छिपकली
लटकी है दीवार से
उनकी ओर से मुंह फेरे
कोई इतना चाहे हमें तो बताना,
कोई तुम्हारी फ़िक्र करे तो बताना,
ईद मुबारक हो हर कोई कह लेगा,
कोई हमारे अंदाज में कहे तो बताना।
पुन: मिलेंगे
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हम-क़दम का अगला विषय है-
आज शनिवार शाम तक हमें भेज सकते हैं। चयनित रचनाएँ हम-क़दम के 129 वें अंक में आगामी सोमवार को प्रकाशित की जाएँगीं।
महादेवी वर्मा
सदाबहार प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ..
सादर नमन..
बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसदा की तरह अति सुंदर प्रस्तुति। सब की सब रचनाएँ बहुत सुंदर एयर भावपूर्ण थीं, साथ ही साथ देश की एकता का सुंदर संदेश।
जवाब देंहटाएंआप सबों को प्रणाम।