🚩 द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं यं पठेन्नर:।
न च विघ्रभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो।।
🚩 विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनं।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम।।
‘मैं लगातार बोलता रहूंगा,
लेकिन तुम्हें हर चीज
समझने के बाद ही
लिखनी होगी.’ डील हो गई
वो ऐसे सोता है इन दिनों
लोग सोचते हैं सुषुप्त ज्वालामुखी होगा
वो अभागा कहलाया जब से
उसने अपने सर पे
लालटेन टांगना शुरू किया तबसे
हालांकि बदला कुछ नहीं अब तक
तत्व मसी तुम ही हो
आओ वो बीज ढूंढ लाए,पौध अब अमन की लगाएं।
शांति की छाओं में घर कहीं अपना बनाए,आओ वो बीज…
गीता से सार ले ,काबा से क़ुरान ले,बुद्ध से ज्ञान ले,
हो इंसानियत मज़हब जहाँ,मानवता को धर्म बनाएं।
आओ वो बीज…
जंग लगी तीरों पर नई धार
और तुम हो कि गिटार की धुन पर
मटका रहे कुल्हे
थिरका रहे पांव —सरहुल के जुलूस में
मिलेगा नहीं इससे तुमको
कभी आत्मबल
और न होगा कभी इससे तुम्हें अपने अस्तित्व का ज्ञान
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पुन: भेंट होगी...
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जय श्री गणेश
जवाब देंहटाएंसदाबहार प्रस्तुति...
सादर नमन..
बेहतरीन प्रस्तुति,आप सभी को श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंगणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं
गणपति के रंग में रंगी बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंगणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं