निवेदन।


फ़ॉलोअर

शुक्रवार, 7 अगस्त 2020

1848..प्रसन्न रहना बहुत सरल है, लेकिन सरल होना बहुत कठिन है

शुक्रवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल
अभिवादन
-------
रवींद्रनाथ टैगोर को
पुण्यतिथि पर सादर नमन।

विश्वविख्यात साहित्यकार, चित्रकार, दार्शनिक, शिक्षाशास्त्री रवीन्द्रनाथ टैगोर किसी भी परिचय के मोहताज नहीं। हमारे देश के एक गौरवशाली व्यक्तित्व,  इन्हें नोबल पुरस्कार के प्रथम भारतीय होने का गौरव प्राप्त है. इनकी रचना गीतांजली जिसमें धर्म, दर्शन, एवं विश्व मानवता के अनूठे संदेश से अनुप्रमाणित है, पर  1913  को साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला। 
राष्ट्रगान जन-गण-मन के रचयिता टैगोर जी बंगाल में नवजागृति लाने में उनका अनुपम योगदान रहा. प्रकृति प्रेमी, महान नाटककार, कहानीकार, अभिनेता, रवीन्द्रनाथ भारत के उन महान सपूतों में से एक हैं जिन्होंने अपने देश का नाम विश्व में अमर कर दिया.
आज उनकी पुण्यतिथि पर पढ़ते हैं उनके कुछ अनमोल विचार-

* सिर्फ़ तर्क करने वाला दिमाग एक ऐसे चाक़ू की तरह है 
जिसमे सिर्फ़ ब्लेड है. यह इसका प्रयोग करने वाले के 
हाथ से खून निकाल देता है।

* वही पाए जीवन का सार जिसे प्यारा लगे सारा संसार.

* थिरकने दो जीवन को समय के पंखो पर, 
जैसे ओस की नन्ही बूंद झूमती है पत्तों पर.

 * हर बच्चे के हाथों ईश्वर भेजता है यह पाती, 
कि इंसान में उसकी उम्मीद अब भी है बाकी

* तितली मास नहीं पलों की गणना करती है 
और उसके पास पर्याप्त समय होता है।

एक कविता

नहीं मांगता, प्रभु, विपत्ति से, मुझे बचाओ, त्राण करो
विपदा में निर्भीक रहूँ मैं, इतना, हे भगवान, करो।
नहीं मांगता दुःख हटाओ, व्यथित ह्रदय का ताप मिटाओ
दुखों को मैं आप जीत लूँ,ऐसी शक्ति प्रदान करो

विपदा में निर्भीक रहूँ मैं,इतना, हे भगवान,करो।
कोई जब न मदद को आये मेरी हिम्मत टूट न जाये।
जग जब धोखे पर धोखा दे और चोट पर चोट लगाये –
अपने मन में हार न मानूं,ऐसा, नाथ, विधान करो।

–रबिन्द्रनाथ टैगोर–
-----------

आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-

बेहया प्रेम का महिमा मंडन
विकास के नाम पर
खूब दाद मिली
उसी दौरान
खंडित हुई
सरलता की कई मूर्तियां

कभी 
प्रेमी और प्रेमिका के अलावा
मुझे भी याद कर लिया करो 
कसम से 
शरीर में बिजली दौड़ जाएगी
टूटती साँसों को 
राहत का ठिकाना मिलेगा

उपवन फूले मदमाए से
ऋतु का रंग चढ़ा भारी
फोड़ गया कोई मतवाला
सुधा भरी गगरी सारी
भीग गई फिर सभी दिशाएं
कुसुमधूलि जो पुहुप जनी।।

श्यामल मधुकर ड़ोल रहा था
मद पीने को भरमाया
पुष्प महकते सौरभ भीनी
उसकी क्यों काली काया
चंचल तितली कलियाँ महकी
आकर्षण का केन्द्र बनी ।।



ये काका भरोसे करने लायक नहीं होते कांता और ये बच्चियां अपना दर्द किसी से कह नहीं पाती.इतना कहकर सरिता उन भयानक क्षणों को याद कर के सुबक उठी कांता को लगा.जैसे पिंकी के बहाने सरिता का कोई दर्द बह निकला हो  ये आंसू सरिता के मानसिक जख्मों पर मरहम का काम कर रहे थे कांता कुछ बोल पाती इस से पहले ही मन ही मन निश्चय कर के सरिता जोर से बोली अब इन बच्चियों का  भरोसा नहीं टूटेगा

मेरा बचपन करीब चार साल तक पंजाब में अपने दादा-दादी जी के साथ ही बीता था। सुना है कि उन्हीं दिनों मेरी आँखों में कोई बड़ा इंफेक्शन हो गया था ! उन दिनों चिकित्सा व्यवस्था इतनी व्यापक और उत्कृष्ट नहीं थी ! खैर जैसा भी था रोग पर काबू पा लिया गया होगा। फिर मेरा ''ट्रांस्फर'' कलकत्ता हो गया। उन दिनों पढ़ाई और स्कूलों की इतनी मारा-मारी नहीं थी। स्कूल भी कम और दूर-दूर हुआ करते थे। तब हम बंगाल के कोन्नगर में रहा करते थे। जब बाबूजी के कार्यस्थल से पांच-छह बच्चों का जत्था स्कूल जाने लायक हो गया तो हम सब एक-एक रिक्से में दो-दो जने लद रिसरा विद्यापीठ में जाने लगे। जो घर नौ-दस किलोमीटर दूर था। मेरा स्कूल में दाखिला चौथी कक्षा में हुआ था। उसके पहले की पढ़ाई घर पर ही हुई थी। 

और चलते-चलते
रोज़ वैसे भी कौन लिखता है

क़तार में किसी के पीछे
सिमट लिया था हर कोई
किसी के नाम पर
कुछ बनाने के जुनून का
एक सिरा पकड़े हुऐ एक नाम
आसमान होता दिखा था। ------
सुनिये एक बेहद प्रेरक गीत


उम्मीद है आज का अंक
आपको पसंद आया होगा।

हमक़दम का विषय
यहाँ देखिए

कल का अंक पढ़ना न भूले
कल आ रही हैं विभा दी 
विशेष प्रस्तुति लेकर।

#श्वेता

10 टिप्‍पणियां:

  1. शुभकामनाएँ, सादर नमन
    राष्ट्र गीत के रचयिता को..
    एक बेहतरीन अंक..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. सत्य कथन सरल होना कठिन है

    सराहनीय प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. धन्यवाद स्वेता जी मेरी रचना को शामिल करने के लिए
    सभी रचनाकारों को शुभकामनाए
    बेहतरीन अंक

    जवाब देंहटाएं
  4. सादर नमन गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर जी को 🙏
    बहुत खूबसूरत प्रस्तुति श्वेता ।

    जवाब देंहटाएं
  5. सम्मिलित कर सम्मान देने हेतु अनेकानेक धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर हलचल प्रस्तुति कविन्द्र रविन्द्र ठाकुर के जन्म दिवस पर सुंदर समायोजन।
    बहुत प्यारे लिंक ।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    सभी रचनाएं बहुत आकर्षक सुंदर।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत अच्छी भूमिका के साथ सुंदर संयोजन
    सभी रचनाकारों को बधाई
    मुझे सम्मलित करने का आभार
    आपको साधुवाद

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...