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मंगलवार, 4 दिसंबर 2018

1236.....गिरोहबाज गिरोहबाजी सब बहुत अच्छे हैं हाँ कहीं भी नहीं होना कुछ अलग बात है

सादर अभिवादन
भाई कुलदीप जी के यहा आज बिजली बाधित है
सो हम हाजिर हैं....
सोच रहे हैं कब ये महीना पूरा हो फिर हम
नाचें - गाएँ ज़श्न मनाएँ नव वर्ष का....
देखती रह यशोदा जश्न की राह
तुझे सिर्फ और सिर्फ दौड़ना ही दौड़ना है
तेरे हिस्से में जश्न तो आने से रहा...
यादों के जंगल में,
अतीत के साये!!
लिपट जाते हैं,
सूखे तिनकों की तरह।
लाख चाह कर भी,
नहीं निकल पाते ,
इस भूल-भुलैया से..।
मन बढ़ता दो कदम आगे,
लौटता चार कदम पीछे..!

एहसास अंतर्मन के
जो घटित हो रहा 
पल प्रतिपल 
लगता 
ज्यूँ कोई मंचन है 
पात्र हैं हम रचे हुए 
करते अभिनय 
बिन चिंतन है......

बित्ते भर के
पीले फूल !

खिड़की से झांकते
सिर हिला-हिला के
अपने पास बुलाते,
इतने अच्छे लगे...
कमबख़्त !
उठ कर जाना पड़ा !

कि मंहगाई बढ़ गई है
मंहगाई का युग है
तेजी से उछल आया है
हर वस्तु की कीमत में
पर मनुष्य  सस्ता हुआ
महनत की मजदूरी भी
है  नहीं उसके  नसीब में
चूंकी तू खरा  कहता है

मुद्दतों  बाद निकली जब घर से ,
ख़ामोशी  में भी  सन्नाटा पसरा  पड़ा ,   
वट वृक्ष अश्रु  बहा रहे ,
धरा  भी उलझन में  खड़ी  !!

मोहब्बत  से  आबाद हुआ जहाँ,
तिनका तिनका बिख़र रहा, 
कभी हरा भरा रहा आँचल, 
बेबसी  में आज सूखा पड़ा  !!

मीना जी अाज ज़िन्दगी और कविता के बीच झूल रही है
My photo
काश ! ज़िंदगी कविता होती !
थोड़ा-थोड़ा बाँट-बाँटकर,
अपने हिस्से हम लिख लेते !!!

कभी-कभी ऐसा भी होता,
मेरी बातें तुम लिख देते
और तुम्हारी लिखती मैं !
अगर ज़िंदगी कविता होती !!!



इस गिरोह से 
उस गिरोह 
किसी के 
आने जाने को 
नजर अन्दाज 
कर ले जाना 

अलग बात है 

‘उलूक’ 
किसी ने 
नहीं रोका है 
किसी को 

किसी भी 
गिरोह के साथ 
आने जाने के लिये

-*-*-*-*-
हम-क़दम
सैंतालिस अंक तो निकल लिए
बारी अड़तालिसवें की है..
विषय है इस बार का
**शहनाई**
कैसी विडंबना है 
मानव जीवन का कि 
कर्म नहीं नियति 
यह तय करती है कि 
किसके नसीब में 
शहनाई है या तन्हाई ,  
खुशी है या गम , 
स्नेह है अथवा पीड़ा .. । 
हाँ, शहनाई की आवाज  
सबको भाती है , 

व्याकुल पथिक (शशि गुप्ता) की प्रस्तुति से ये अंश लाई हूँ
उनकी प्रस्तुति में यह गद्य रूप में है

रचना प्रेषण तिथिः 08 दिसम्बर 2018
प्रकाशन तिथि ः 10 दिसम्बर 2018
ब्लॉग सम्पर्क प्रारूप में ही प्रविष्ट प्रेषित करें
सादर

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यशोदा








15 टिप्‍पणियां:

  1. जी प्रणाम दी
    इस सम्मान के लिये।
    सभी को सुबह का नमस्कार।

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ-प्रभात यशोदा जी, बहुत ही सुन्दर अंक,सदा की तरह बेहतरीन प्रस्तुति,सभी रचनाएं उत्तम,मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभ प्रभात आदरणीया
    बहुत ही सुन्दर हलचल प्रस्तुति 👌बेहतरीन रचनाएँ,
    सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें,
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए सह्रदय आभार आदरणीया
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर मंंगलवारीय हलचल प्रस्तुति। आभार यशोदा जी 'उलूक' गिरोहबाज को भी जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुप्रभात |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद जी |

    जवाब देंहटाएं
  6. सस्नेहाशीष संग असीम शुभकामनायें छोटी बहना
    उम्दा प्रस्तुतीकरण
    कुछ हाइकु होते सोने पे सुहागा

    जवाब देंहटाएं
  7. शानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह!सुंदर प्रस्तुति!!सभी लिंक शानदार!

    जवाब देंहटाएं
  9. सभी रचनाएँ हमेशा की तरह बेहद लाज़वाब है दी।
    आभार उम्दा रचनाएँ पढ़वाने के लिए।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही उम्दा रचनायें सभी को बधाई

    जवाब देंहटाएं
  11. सुंदर अंक!!
    बेहद सुंदर संकलन सखी, सभी रचनाऐं सारगर्भित ।
    सभी रचनाकारों को बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत शुक्रिया आदरणीया यशोदा दीदी, इस सुंदर अंक में मेरी रचना को शामिल करने के लिए

    जवाब देंहटाएं

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