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बुधवार, 26 दिसंबर 2018

1258...खूबसूरत सा एक भंवर है जिंदगी ..


।।भोर वंदन।।
हो के मायूस न यूं शाम-से ढलते रहिये
ज़िन्दगी भोर है सूरज-से निकलते रहिये

एक ही ठांव पे ठहरेंगे तो थक जायेंगे
धीरे-धीरे ही सही राह पे चलते रहिये
~ कुँअर बेचैन 
नजर डालें आज की लिंकों पर..✍
🔘





जोखिम की मानिंद हो रही बसर है जिंदगी
खूबसूरत  सा  एक भंवर है जिंदगी ।

खिल के मिलना ही है धूल में जानिब नक्बत
जी लो जी भर माना खतरे की डगर है जिंदगी।
( व्यंग्यात्मक रचना है दिल पे न लें)छुट्टा सांढ़
तीन विकेट उखड़ते ही दो बातें हुई। एक, हूआ हूआ कर रहे सियारों का शोर ऐसे थम गया जैसे रंगा सियार का राजफाश हो गया हो। दूसरा, बच्चा क्लास से लगातार दादा जी और दादी जी की पैरवी से ग्रेस मार्क्स लेकर चौथा क्लास में लगातार चौथी बार फैल कर रहा पप्पू पास हो गया।

दोनों बातों के होते ही, फिर दो बातें हुई। एक, जैसे गांव देहात में एक लबनी धान होते ही डमरू दारू पीकर नितराने लगता है वैसे ही पप्पू की टीम नितराने लगी। दूसरी, गप्पू की टीम ऐसे ओलहन ..

🔘


मैं चमारों की गली तक ले चलूँगा आपको 
- अदम गोंडवी
आइए महसूस करिए ज़िन्दगी के ताप को
मैं चमारों की गली तक ले चलूँगा आपको

जिस गली में भुखमरी की यातना से ऊब कर
मर गई फुलिया बिचारी एक कुएँ में डूब कर

है सधी सिर पर बिनौली कंडियों की टोकरी
आ रही है सामने से हरखुआ की छोकरी
🔘

मन के वातायन ..हाइकु
सदुपयोग
करो अवसरों का
फल मिलेगा।

रहो सजग
नहीं हो अपकर्म
सुखी रहोगे।

भाई साहब
आप न हों उदास
रखें धीरज


🔘

आज की प्रस्तुति संध्या राठौड़ प्रसाद जी की 
रचना.. प्रेम..के साथ समाप्त करती हूँ.. कल फिर 
एक नई प्रस्तुति के साथ ..

बिल्कुल वैसे जैसे
सूरज का मादक स्पर्श
और हवा का पुचकारना
बूंद बूंद रिसता पानी
मदहोश कर देता है...
....
🔘
हम-क़दम का नया विषय
यहाँ देखिए
.........
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह'तृप्ति'...✍

10 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात..
    बेहतरीन अंक...
    बिल्कुल वैसे जैसे
    सूरज का मादक स्पर्श
    और हवा का पुचकारना
    बूंद बूंद रिसता पानी
    मदहोश कर देता है...
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात
    जी आभार...इतना सुंदर संकलन पढ़वाने के लिए
    होके मायूस न यूं शाम से ढलते रहिए
    जिंदगी भोर है सूरज से निकलते रहिए.. बहुत खूब
    गोंडवी जी रचना सम्मिलित करने के लिए सह्दय आभार..

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर भूमिका की पंक्तियाँ पम्मी जी...👌
    बेहतरीन रचनाओं से सजा आज का संकलन बहुत अच्छा लगा..।

    जवाब देंहटाएं
  4. कुवंर बैचेन जी की गहरी पंक्तियों के साथ आरंभ बहुत ही रोचक लगा पम्मी जी ।
    सभी रचनाकारों को बधाई सभी सामग्री पठनीय और सुन्दर है।
    अदम गोड़वी जी की प्रस्तुति बेमिसाल है।
    मेरी रचना को सामिल करने का और शीर्षक पंक्तियाँ रचना से चुनने का तहे दिल से शुक्रिया।
    सस्नेह

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर विविध रचनाओं का समागम। डॉ.कुँवर बेचैन साहब की बेमिशाल पँक्तियों से आरम्भ। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर लिंकों के साथ सुन्दर हलचल।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद आपका।

    जवाब देंहटाएं
  7. लाजवाब प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर संकलन, अभी पढ़ी सब रचनाएँ। शुक्रिया पम्मी जी।

    जवाब देंहटाएं

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