घूमता रहता है अनवरत।
★
सीमित रचनाएँ ही आई है।
हमक़दम का नया विषय
जानने के लिए
कल का अंक देखना न भूले।
★
-श्वेता सिन्हा
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें
आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।
टिप्पणीकारों से निवेदन
1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।
शुभ प्रभात सखी...
जवाब देंहटाएंमन का मन से स्पर्श , शब्दों का हृदय से स्पर्श और ऋतुओं का प्राणियों से ही नहीं वरन् वनस्पतियों से भी स्पर्श सुख-दुख की अनुभूति करा जाता है।
एक और बेहतरीन अंक..
साधुवाद
सादर
मीठी छुअन!
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुती
बेहतरीन संकलन
तेज़ी से आयी थी
रुक ही न सकी
वह उसी झोंक में चली गयी.....
शुभ-प्रभात सखी
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन एवं प्रस्तुति
मेरे मन के भावों ने आपके मन को प्रभावित
किया, रचनाकारों की रचनाओं ने आपके
दिल को छुआ।भाव,रस ,रंग की छुवन
बरकरार रहे,हमकदम के साथ हम भी कदम
मिला चलते रहें।आभार सखी
बेहद उम्दा ! सभी लिंक्स अति उत्तम , खूबसूरत सी प्रभावशाली प्रस्तावना ।
जवाब देंहटाएंछू कर मेरे मन को किया तूने क्या इशारा बदला ये मौसम लगे प्यारा जग सारा...
जवाब देंहटाएंसंकलन से बेहद प्यारा एहसास मिल रहा
सुप्रभात |उम्दा लिंक्स |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंरचनाएँ कम हैं किंतु स्तरीय और पठनीय हैं। बहुत अच्छा अंक। छुअन पर आपके द्वारा प्रस्तुत उद्धरण भी बेहतरीन हैं प्रिय श्वेता।
जवाब देंहटाएंअंतिम छुवन कैसी होती होगी
जवाब देंहटाएंदिसंबर से जनवरी की
ज्यों हाथ छुड़ा होले होले
दुल्हन मात पिता का
जा बैठती डोली में।
वाह कितनी सुन्दर भुमिका मनमोहक छुवन जैसे प्रकृति की
बहुत प्यारी पंक्तियाँ छुवन पर आपकी और अज्ञेय जी की।
गुलदस्ता सजा है उम्दा फूलों से एक कुसुम मेरा भी उसमें ढेर सा आभार।
सभी रचनाकारों को बधाई।
वाह!!श्वेता ,सुंदर भूमिका के साथ लाजवाब प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत शानदार प्रस्तुति। हरेक कृति लाज़वाब हैं.एक शब्द से कितने भाव निकल गए हैं..
जवाब देंहटाएंआभार
थाम के ऊंगली मंयक की
आ बैठी मुंडेर पर
फिर बह चली आमोद में
सागर की लहरों पर नाचती।
बहुत खूब... श्वेता जी ,एक एक रचना लाजबाब। सादर स्नेह
जवाब देंहटाएंवाहह..सुंदर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंसभी रचनाऐं लाजवाब
धन्यवाद
Very Nice.....
जवाब देंहटाएंबहुत प्रशंसनीय प्रस्तुति.....
मेरे ब्लाॅग की नई प्रस्तुति पर आपके विचारों का स्वागत
बहुत सुन्दर संकलन आज का ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सभी मित्रों एवं पाठकों को नव वर्ष की अनंत अशेष शुभकामनाएं एवं हार्दिक बधाइयाँँ ! नूतन वर्ष हर एक के जीवन में सुख समृद्धि, सुस्वास्थ्य एवं सफलता की सौगात लेकर आये यही मंगलकामना है ! आभार !
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर अंक।
जवाब देंहटाएंजी श्वेता जी हृदय से धन्यवाद , इस सुंदर अंक में मेरे विचारों और अनुभूतियों को स्थान देने के लिये।
जवाब देंहटाएंलाजवाब संकलन शानदार प्रस्तुतिकरण ...
जवाब देंहटाएंसभी रचनकारों को बधाइयाँ एवं शुभकामनाएंं।
प्रिय श्वेता -- हमकदम का 51वां शुभांक और अत्यंत कोमल सा विषय मन को छू गया | यद्यपि र्चन्स्यें बहुत कम हैं पर सभी अत्यंत मनभावन है और शशि भाई के लेख का विषय तो सराहना से परे है | छुवन पर इतना सुंदर सटीक चिंतन कोई बिरल ही कर सकता है | खास अंक के साथ ये वर्ष का आखिरी अंक तो जल्द ही हमकदम दुसरे साल में प्रवेश करने की तैयारी में है | ये गौरवशाली एक साल हम सहभागियों और पाठकों के लिए बहुत उत्साहवर्धक रहा जिसमें बहुत ही सार्थक सृजन हुआ | कई अंक तो अविस्मरनीय रहे | आशा है आगे भी ये सफर यूँ ही जारी रहेगा | सभी सहयोगियों और सुधि पाठको को नववर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें | नववर्ष आप और आपके परिवार के लिए अत्यंत सुखद और मंगलकारी हो यही कामना है |
जवाब देंहटाएं