"शिशिर"
कालजयी साहित्यकारों की
क़लम से-
शिशिर कणों से लदी हुई,
कमली के भीगे हैं सब तार,
चलता है पश्चिम का मारुत,
ले कर शीतलता का भार।
भीग रहा है रजनी का वह,
सुंदर कोमल कवरी-भार,
अरुण किरण सम, कर से छू लो,
खोलो प्रियतम! खोलो द्वार।
-जयशंकर प्रसाद
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शिशिर न फिर गिरि वन में
जितना माँगे पतझड़ दूँगी मैं इस निज नंदन में
कितना कंपन तुझे चाहिए ले मेरे इस तन में
सखी कह रही पांडुरता का क्या अभाव आनन में
वीर जमा दे नयन नीर यदि तू मानस भाजन में
तो मोती-सा मैं अकिंचना रक्खूँ उसको मन में
हँसी गई रो भी न सकूँ मैं अपने इस जीवन में
तो उत्कंठा है देखूँ फिर क्या हो भाव भुवन में।
-मैथिली शरण गुप्त
शिशिर ने पहन लिया वसंत का दुकूल
गंध बन उड़ रहा पराग धूल झूल
काँटे का किरीट धारे बने देवदूत
पीत वसन दमक उठे तिरस्कृत बबूल
अरे! ऋतुराज आ गया।
-अज्ञेय
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वंचना है चाँदनी सित,
झूठ वह आकाश का निरवधि, गहन विस्तार-
शिशिर की राका-निशा की शान्ति है निस्सार!
दूर वह सब शान्ति, वह सित भव्यता,
वह शून्यता के अवलेप का प्रस्तार-
इधर-केवल झलमलाते चेतहर,
दुर्धर कुहासे का हलाहल-स्निग्ध मुट्ठी में
सिहरते-से, पंगु, टुंडे, नग्न, बुच्चे, दईमारे पेड़!
"शिशिर" भारतीय मौसम चक्र की छः ऋतुओं
में एक ऋतु है।
कहा जाता है शिशिर ऋतु प्रकृति के बुढ़ापा का प्रतीक है। वृक्षों कै पात गिर जाते हैं और हर तरफ फूलों के इंद्रधनुषी छटा बिखर जाती है।
ठंड़क अपने चरम पर होती है घना कुहरा,कुहासा
छाया होता है। शीत लहरी के प्रकोप से
जनजीवन बेहाल हो जाता है।
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तो अब चलिए हमारे सम्मानीय रचनाकारों की
प्रतिभासंपन्न लेखनी को हृदय से सादर नमन करते हुये
सभी की सरस रचनाएँ पढ़ते हैं।
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आदरणीया मीना जी
शिशिर
सूर्य ठिठुरता सा उगे,
चंदा करे विचार।
दीन दरिद्र कैसे सहें,
शिशिर ऋतु की मार ।।
मिलते श्रमिक-किसान को,
अल्पवस्त्र, अल्पान्न ।
उस पर तन को भेदता,
शिशिर ऋतु का बाण ।।
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शुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएंतआज़्ज़ुब.
इतनी ठण्ड के बाव़जूद उंगलियों ने
हड़ताल नहीं किया.. ज़रूर
चाय स्टील के गिलास में पिया होगा..ताकि
हिम्मत बरकरार रहे उंगलियो की..
बेहतरीन रचनाओं का संगम..
साधुवाद...
सादर..
लाजवाब हमकदम का उन्चासवाँ अंक। ढेर सारे हीरों के बीच कहीं पर उलूक की काँव काँव भी । आभार श्वेता जी।
जवाब देंहटाएंशानदार संकलन संग्रहनीय
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन लिंक्स का |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान दिया इस हेतु धन्यवाद |
सुंदर प्रस्तुति के साथ एक विषय
जवाब देंहटाएंपर रचनाकारों की कलम बहुत खूबसूरत बन पड़ी है।
धन्यवाद श्वेता जी 🙂
वाह!!श्वेता ,शानदार प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार श्वेता जी
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर हमक़दम की प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाएँ ,मेरी रचना का स्थान देने के लिए सह्रदय आभार
सादर
हमकदम की यह पेशकश भी बहुत ही बेहतरीन ! सभी रचनाएं अनुपम ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिंक्स प्रिय श्वेता। अंक के प्रारंभ में दिग्गजों की रचनाओं के अंश पढ़ने को मिले जो सोने पर सुहागा रहा। ऐसे महान लेखकों को मन से प्रणाम। सभी रचनाकारों को बधाई बेहतरीन सृजन हेतु। मेरी रचना को भेजने में हुई देरी के बावजूद शामिल किया। हृदय से आभारी हूँ।
जवाब देंहटाएंप्रथम साधुवाद! काव्य जगत के सितारों को पांच लिंको के आसमान पर चमका दिया खोज-खोज कर।
जवाब देंहटाएंशिशिर पर इतनी सारी और इतनी प्यारी न्यारी रचनाएँ वाह्ह्ह ।
और भी सभी रचनाकारों की सुंदर सलोनी रचनाओं से अंक सुशोभित हो रहा है सभी रचनाकारों को अप्रतिम काव्य सृजन पर हार्दिक बधाई।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति श्वेता जी,इतने महान रचनाकारों की रचनाओं का आस्वादन कराने के लिए सहृदय आभार।सभी चयनित रचनाएं शिशिर के रूप
जवाब देंहटाएंका प्रभाव शाली चित्रण कर रही हैैं।सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई ,मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार।
सर्द रात्रि की एक नरम और गरम से अभिनंदन हलचल को और सभी कवियों को,आज आखिरी टिपण्णी का अवसर का भरपूर आनंद लेते हुए स्नेह और प्रेम के साथ धन्यवाद मेरी रचना को एक स्थान देने हेतु शुभ रात्रि
जवाब देंहटाएंप्रिय श्वेता -- साहित्य के पुरोधाओं के अमर काव्य के साथ -- आज के रचनाकारों की कलम ने शिशिर के बहुरंगी रूपों को शब्दांकित करने में कोई कसर नहीं छोडी | सभी की रचनाएँ एक से बढ़कर एक |एक -एक कदम बढाता हमकदम अर्ध शतक से मात्र एक कदम दूर है | मंच के सभी संचालक हार्दिक बधाई के पात्र हैं | शिशिर के कई रंग हैं साधनसम्पन्न लोगों के लिए एक वरदान तो छतविहीन और साधनविहीनों के लिए एक अभिशाप और विपदा | एक कविमन ही इन सब अनुभवों को सहेजने में समर्थ है | हमकदम के ये मेले यूँ ही सजते रहें -- मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनायें |
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति करण.....शिशिर की एक से बढकर एक लाजवाब रचनाओं के साथ मेरी रचना को स्थान देने हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी !
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात |
जवाब देंहटाएंउम्दा संकलन लिंक्स का |
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
बेहतरीन संकलन ,लाजबव
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