से मुझे आपत्ति है क्यूंकि ऐसे शब्द गढ़ लेने भर से ही विकलांगों के साथ भेदभाव खत्म नहीं किया जा सकेगा।
मैं सोचता हूं इस सम्मानजनक संबोधन से हमारी समस्याओं में कोई कमी नहीं आयी है. आज भी कई परिवार ऐसे हैं, जो अपने विकलांग बच्चों को समाज के समक्ष परिचय देने से भी गुरेज करते हैं। उन्हेंं हमेशा बंद कमरों में ही रखते हैं। कई परिवारों में विकलांग के साथ कई प्रकार से दुर्व्यवहार किया जाता है। कोई भी अक्षम सक्षम बन सकता है, सबसे पहले परिवार-जनों की सोच उसके प्रति सकरातमक हो, जिसका परिवार में मान होगा, समाज भी उसे सम्मान की दृष्टि से देखेगा। इस प्रकार वो सभी के सहियोग से अवश्य ही अपनी बाधाओं को दूर करते हुए अवश्य ही एक दिन सफल व्यक्ति बन सकेगा। ये मेरा निजी अनुभव है, जिन विकलांगों को परिवार से सहियोग मिला, वो तो आज कामयाब है, और जिन्हे उनके परिवारों में तिरसकार की दृष्टि से देखा जाता था, वो अधिकांश असफल ही रहे। मैं आज विश्व-विकलांग दिवस पर उन परिवारों से, जिन में विकलांग बच्चे हैं, वे उनके प्रति सकरात्मक सोच रखते हुए, अपने बच्चों को हौसला दे। उनकी शिक्षा की व्यवस्था करे। उन्हेंं प्रोत्साहित करेंं। उन्हेंं बाधा रहित वातावरण प्रदान करें। आप के प्रयासों से एक दिन वो सफल व्यक्ति बनेंगे।
-कुलदीप सिंह ठाकुर
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बन मीठी मुस्कान,
हमक़दम के लिए आपके
बहुमूल्य सुझाव
आमंत्रित है।
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एक गीत सुनिये मेरी पसंद का
हमक़दम के अगला विषय जानने के लिए
कल का अंक पढ़ना न भूलेंं।
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आज के लिए आज्ञा दीजिए।
-श्वेता सिन्हा
धन्यवाद श्वेता जी मेरी अनुभूतियों को स्थान देने के लिये।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को इस व्याकुल पथिक का प्रणाम
मेरी आवाज ही पहचान है मेरी
जवाब देंहटाएंआवाज नहीं तो गुमनाम हूँ मैं..
बढ़िया प्रस्तुति...साधुवाद...
सादर....
वाहहहह..
जवाब देंहटाएंपसंद आया...
आभार..
सादर
'ध्वनी अक्षर आवाज' एक छोटी-सी कृति है और बेहतरीन है जो एक यात्रा पे ले जाती है...अक्षर के।
जवाब देंहटाएंऔर हाँ श्वेता दी, विकलांग को दिव्यांग कहने से शायद कुछ ना बदले लेकिन किसी-किसी के लिए ये छोटा बदलाव भी बहुत मायने रखता है।
ये सही कहा आपने कि
"जिसका परिवार में मान होगा, समाज में भी सम्मान होगा।" उन्हें हौसला देना महत्वपूर्ण है।
लाजवाब अंक। आभार श्वेता जी। 'उलूक' की पुरानी कतरन को स्थान देने के लिये।
जवाब देंहटाएंएक ही विषय पर बिभिन्न भाव समेटे रचनाएं पढ़ने में बहुत आनंद आता है |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
शुभ प्रभात श्वेता जी
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर हमक़दम की प्रस्तुति 👌
लाजबाब रचनाएँ ,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें
मेरी रचना को स्थान देने के लिए सह्रदय आभार
सादर
सुप्रभात श्वेता....🙏 भूमिका सुंदर ...। विकलांग शब्द बदल कर हुआ दिव्यांग ...,साथ ही उन लोगों के प्रति रवैया बदलना जरूरी है ,और सबसे पहले घर वालों का सहयोग आवश्यक है ,आपकी बात से पूर्णत:सहमत हूँ ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति शानदार रचनाएं बहुत बहुत आभार श्वेता जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए
जवाब देंहटाएंलाज़बाब बेमिसाल
जवाब देंहटाएंसुंदर रचनाओं के साथ विचारणीय प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को शुभकामनाएँँ।
धन्यवाद.
विचारणीय भूमिका के साथ शानदार प्रस्तुतिकरण
जवाब देंहटाएंलाजवाब लिंक संकलन....सभी रचनकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं...
बहुत ही सुन्दर सार्थक रचनाओं का संकलन हमकदम का यह कदम ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार ! कुलदीप जी के विचारों से सहमत हूँ ! केवल नामों के माध्यम से महिमा मंडान के स्थान पर इन्हें सामाजिक स्वीकृति, सम्मान एवं सहयोग की अधिक आवश्यक्ता है और इसका शुभारम्भ निश्चित रूप से उनके अपने परिवार से होना निहायत ज़रूरी है !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंभुमिका में कुलदीप जी की सारगर्भित विचार सटीक और मनन योग्य है। हम बाहरी रुपरेखा और ढांचा भर बदलते रहते हैं जिससे कुछ होना जाना नही। अंतर निहित संवेदनाऐं जब तक सकारात्मक नही होती तब तक सब व्यर्थ है।
आवाज पर शानदार रचनाऐं, मेरी रचनाओं को सामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया ।
सभी रचनाकारों को बधाई ।
शानदार प्रस्तुति शानदार संकलन ।
बेहतरीन प्रस्तुति श्वेता जी,एक से बढ़कर एक रचनाओं का संकलन,सभी रचनाकारों को बधाई,
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चयनित करने के लिए आभार
शुभ रात्रि स्वेता जी आपने बहुत ही गहन विषय से शुरुवात की है मैं समर्थकहूँ आपके इस तर्क में कई नाम बदल से स्थितियां नही बदल जायेगी आज विकलांग भी आत्मनिर्भर हैं लेकिन समाज की दृष्टि सदा से उपेक्षित और दया पूर्ण ही रही है उनके लिए नाम बदलने की जगह अगर हम अपनी सोच और सोचने का तरीका बदले यह उनके लिए ज्यादा सहयोगपूर्ण होगा ,बड़े दिनों बाद आज एकदम से जगमगाहट हो गयी है हलचल के आंगन में ढेर सारी कविताएं हैं आज के शीर्षक पर मेरी रचना को स्थान देने हेतु आभार
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया मेरी रचना को शामिल करने के लिए प्रिय श्वेता।
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