कुछ ज़ियादा ही ठण्डा है
यशोदा
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सस्नेहाशीष संग शुभकामनाएं छोटी बहना
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़ियाँ संकलन
तुम तो पढ कर सुनाओगे नहीं
जवाब देंहटाएंकभी वह खत
जिसे भागने से पहले
वह अपनी मेज पर रख गई
सुप्रभात सुंदर प्रतुति।
आभार
बेहतरीन रचनाएँ
जवाब देंहटाएंआभार..
बेहतरीन संकलन यशोदा दी ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुप्रभात !
हटाएंसुबह सुबह के पुष्पगुच्छों के समान ताजा संकलन । इतने सुन्दर अंक की प्रस्तुति के लिये आपका सादर आभार ।
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन और प्रस्तुति
सभी रचनाकारों को बधाई
बहुत ही सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाएँ
सभी रचनाकारो को बधाई
आभार... जी इतनी उम्दा रचनाओं को पढ़वाने के लिए
आलोक धन्वा जी की रचना 'भागी हुई लडकिया' संकलित करने के लिए सह्दय आभार..
सब में शामिल अपने में गुम ।
जवाब देंहटाएंउखड़े-उखड़े से दिखते हो ।।
खूबसूरत पंक्ति
पर यह सब में शामिल ,अपने में गुम होने का दर्द बेहद खतरनाक होता है।
खुदकुशी की घटनाओं में हम पत्रकारों को यही सुनने को मिलता है , "भाई साहब रात तक तो हम सभी साथ ही थें, पता नहीं यह कैसे हो गया!!!"
सुंदर संकलन,सभी को प्रणाम।
बहुत सुन्दर रचनाओँ का संकलन
जवाब देंहटाएंबढ़िया हलचल प्रस्तुति। आभार 'उलूक' के कुछ कुछ में से कुछ उठा लाने के लिये यशोदा जी।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाएँ.आभार.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन और प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई..........सादर नमन
21:31
जवाब देंहटाएंधन्यवाद यशोदाजी ।
देर हो जाने पर जो खोया,
उस अनुभव से ही समझा,
पल-पल का मोल है क्या ।
खो कर वास्तव में सीखा ।
वक़्त की वाक़ई कद्र करना ।
जग से जो कहा,
स्वयं से भी कहा ।
देर मत करना ।
बहुत ही शानदार संकलन सखी सुंदर अंक सभी रचनाऐं बेहतरीन। सभी रचनाकारों को बधाई।
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