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गुरुवार, 27 दिसंबर 2018

1259....अपनों से ले जाता दूर सोशल-मीडिया ...

सादर अभिवादन। 

ये 
बड़ा 
अजीब 
अपनों से 
ले जाता दूर 
सोशल-मीडिया 
है प्रिय  जो  सुदूर। 

आइये अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें -
 

 

 कलकल छलछल छलक मदिरा छाई
शाश्वत सुवास सा श्वास श्वास छितराई
सतरंगी सी, इन्द्रधनुषी! रास रंग अतिरेक
एक और एक प्रेम गणित में होते सदा ही एक!



 

 सोचती हैं गोपियाँ कि हर्ष के प्रसंग बीच,
राधिका क्यों इतनी उदास लगने लगी ।
प्रेम की पिपासिता का मन कैसे तृप्त होगा !
देख नदिया को फिर प्यास लगने लगी ।।४।।



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वर्जनाएं जो लगी,
अब टूटने दो उन्हें!
क्यों रहें बंद ये कपाट!
जाति-धर्म-सम्प्रदाय,
के नाम पर,
क्यों न खोलकर,
नफरतों की धूल झाड़ दें?





 मज़हबों के ढेर से
इंसानों को अलग कर देखो
धर्म की हर एक किताब में
इंसानियत का पाठ पढ़ाया जाता है।



**चिराग था फितरत से**

  चल बन जा , तू भी चिराग बन
  थोड़ा पिघल , उजाले की किरण
  का सबब तू बन ,देख फिर तू भी पूजा
  जाएगा ,तेरा जीना सफ़ल हो जाएगा 

चलते-चलते हमारा ध्यान आकृष्ट करती आदरणीय राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही" जी की एक प्रस्तुति -


 

हम-क़दम का नया विषय
यहाँ देखिए


आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार। 
शुक्रवारीय प्रस्तुति - आदरणीया श्वेता सिन्हा जी 
रवीन्द्र सिंह यादव

11 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात...
    बेहतरीन प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात सुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन प्रस्तुति
    बेहतरीन रचना संकलन
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रेरक वर्ण पिरामिड से सुंदर शुभारंभ करता सार्थक अंक। सभी सामग्री पठनीय संग्रहित करने योग्य सुंदर संकलन।
    सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  5. अपनों से ले जाता दूर सोशल-मीडिया ...यथार्थ आदरणीय !
    सुंदर संकलन
    बेहतरीन रचनाए
    प्रेम की हूक -आशुतोष द्विवेदी जी की रचना इस अंक में सम्मिलित करने के लिए सहृदय आभार.....

    जवाब देंहटाएं
  6. वर्ण पिरामिड के साथ सुंदर संकलन
    बेहतरीन रचनाएँ
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  7. संदेशात्मक भूमिका है रवींद्र जी..मीडिया की महिमा अपरम्पार,डिटिटल क्रांति के इस युग में मानव.संवेदना मीडिया के इशारों पर निर्भर हो गयी है।
    बेहतरीन रचनाओं के इस गुलदस्ते में मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदय से आभारी हूँ।
    सभी रचनाएँ बहुत अच्छी लगीं।

    जवाब देंहटाएं
  8. भूमिका की सज्जा और विषयवस्तु के बीच अद्भुत तालमेल से आगाज़ करती सुमधुर प्रस्तुति!

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुंदर प्रस्तुति रवींद्रजी। सोशल मीडिया और परिवार को दिए जाने वाले समय में संतुलन बना लें तो समस्या हल हो सकती है शायद। प्राथमिकताएँ तय करना बहुत जरूरी है।

    जवाब देंहटाएं

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