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मंगलवार, 25 दिसंबर 2018

1257..होते, होते नहीं मजा तो है, होने के बाद कुछ देर में कुछ कुछ कहने का

सादर अभिवादन
कुलदीप जी की इंटरनेट सेवा बीमार है 
इसलिए आज मेरी पसंद कुछ रचनाएँ पढिये।

सतरंगी संस्कृति से सुसज्जित हमारे देश में हर त्योहार हर्षोउल्लास से मनाया जाता है। इसी परंपरा में हर वर्ष 25 दिसंबर को क्रिश्चियन समुदाय के द्वारा क्रिसमस का त्योहार धूम -धाम से मनाया जात है।


आज के दिन अनेक महान हस्तियों का जन्मदिवस मनाया जाता है। जिनमें कुछ नाम है
भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी
महामना मदन मोहन मालवीय
नौशाद
धर्मवीर भारती

★★★★★
पढ़िये धर्मवीर भारती की एक कविता
मैं क्या जिया ? 
मुझको जीवन ने जिया - 
बूँद-बूँद कर पिया, मुझको 
पीकर पथ पर ख़ाली प्याले-सा छोड़ दिया 
मैं क्या जला? 
मुझको अग्नि ने छला -
मैं कब पूरा गला, मुझको 
थोड़ी-सी आँच दिखा दुर्बल मोमबत्ती-सा मोड़ दिया 
देखो मुझे 
हाय मैं हूँ वह सूर्य 
जिसे भरी दोपहर में 
अँधियारे ने तोड़ दिया !
★★★★★
आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं...


होते हैं मिजाज कई
उलाहनों के , 
दिखते है अक्स उनके 
मक़सद और असर के 
देने और पाने वालों के 
रिश्तों के आइनों में, 
या उभर आते हैं वे 
जीने के कई अन्दाज़ हो कर...
-*-*-*-*-

विष पीकर जग में भला मिला किसे है चैन
नीलकंठ बनते नहीं मुंदते खुद के नैन !

चाहे जितने भी चलें धर्म नीति के बाण
विष मिलते ही रुधिर में खिंच जाते हैं प्राण !

आशुतोष कह कर तुम्हें ठग लेते हैं लोग
तुम्हें चढ़ा फल फूल खुद करें माल का भोग 
-*-*-*-*-

प्रेम के सब गीत अब लगते हैं बासे
दूर जब से हो गया हूँ प्रियतमा से

मुड़ के देखा तो है मुमकिन रोक ना लें 
नम सी आँखें और कुछ चेहरे उदासे
नाम क्या दोगे हमारी प्यास का तुम
पी लिया सागर रहे प्यासे के प्यासे
-*-*-*-
मेरी फ़ोटो
अपनी उम्र के गुजारे सारे बरस ,
मैनें तुम्हारी झोली में बाँध दिए हैं । 
खट्टी - मीठी गोली वाले , 
नीम की निम्बौरी वाले । 
जो कभी तुम्हारे साथ , 
तो कभी अपने आप जिए हैं ।


मलय,
समीरन,
इक
झौंका था!
कब आया?
जाने कब गया?
हरियल था,
नादान
चंचल पंछी था,
जमीं पर
कब उतरा!
ठहरा,
कुछ पल,
रुका!

कब, उड़ चला।

चलते-चलते

के ज्ञान के 
दर्शन का हरण 
थोड़ी खलबली 
कठिन एक परीक्षा
जल की खुद 
की हलचल 
की समीक्षा 
बस इंतजार 
और इंतजार 
ठहराव तक 
सवरने का 
-*-*-*-
अब बारी है इक्कावनवें अंक की
विषय है
छुवन
उदाहरण
छुवन तुम्हारे शब्दों की 
उठती गिरती लहरें मेरे मन की 
ऋतुएँ हो पुलकित या उदास 

साक्षी बन खड़ा है मेरे आँगन का ये अमलतास

श्वेता मिश्र की रचना है
कल विविधा में पढ़िएगा
अंतिम तिथिः 29 दिसंबर 2018
प्रकाशन तिथिः 31 दिसंबर 2018
आज्ञा दें सादर
यशोदा




13 टिप्‍पणियां:

  1. हाय मैं हूँ वह सूर्य
    जिसे भरी दोपहर में
    अँधियारे ने तोड़ दिया !
    बेहद सुंदर पंक्तियां।
    आज जिन महान आत्माओं से जुड़ा दिवस है,उन्हें नमन।
    साथ ही सभी रचनाकारों को प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  2. नादान
    चंचल पंछी था,
    जमीं पर
    कब उतरा!
    ठहरा,
    कुछ पल,
    रुका!

    कब, उड़ चला।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बेहतरीन प्रस्तुति, बेहतरीन रचनाएं,
      सभी रचनाकारों को बधाई।

      हटाएं
  3. समस्त रचनाकारों, पाठको सुधीजनों व हलचल को समर्पित नमन। शुभकामनाएं शुभप्रभात

    जवाब देंहटाएं
  4. जितने लोगों का जन्मदिन है सभी को नमन..
    सस्नेहाशीष संग शुभकामनाएं छोटी बहना
    उम्दा संकलन

    जवाब देंहटाएं
  5. चुनिंदा संकलन में मुझे भी शामिल किया ... आपका आभार
    सभी रचनाएँ दिल को छूती हुयी ...

    जवाब देंहटाएं
  6. सुप्रभात !
    बेहतरीन प्रस्तावना के साथ बहुत सुन्दर प्रस्तुति !! मेरी रचना को इस सुन्दर से संकलन में स्थान देने के लिए आपका तहेदिल से सादर आभार !

    जवाब देंहटाएं
  7. सुप्रभात
    बहुत ही सुंदर अंक
    बेहतरीन रचनाएँ

    मैं क्या जिया....भारती जी का क्या कहना...

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत खूबसूरत अंक । सभी चयनित रचनाएं एक से बढकर एक!!!

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुति आज जी ! मेरी रचना को स्थान देने किये आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! आपको व सभी पाठकों को पर्व क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएं यशोदा जी ! !

    जवाब देंहटाएं
  10. बेहतरीन रचनाओं से सजा खूबसूरत संकलन...
    लाजवाब प्रस्तुतिकरण...

    जवाब देंहटाएं
  11. आदरणीय यशोदा दीदी बहुत बहुत ही सार्थक मनभावन अंक ।आज जिन पुण्यात्माओं के जनमदिन हैं उन्हे कोटि कोटि नमन। सभी पाठकों और रचना कारों को क्रिस्मस की बधाई और शुभ कामनाएं। सभी रचनाएँ शानदार हैं। मेरे दूसरे अकाउंट से टिप्पनी संभव नहीं हो पा रही अतः फिल्हाल सभी रचनायें सिर्फ पढ़ी हैं। सभी रचनाकारों को आभार सादर।

    जवाब देंहटाएं
  12. वाह सखी! बदले की पारी ही सही बहुत शानदार रही।
    सभी महान विभूतियों का आगमन संसार के लिये मंगलमय रहा सभी को नमन।
    सभी रचनाकारों को बधाई, धर्मवीर भारती जी की रचना बहुत ही मनभावन।

    जवाब देंहटाएं

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