सादर अभिवादन।
ये
लोभी
मीडिया
परोसता
झूठ की थाली
मानसिक रोग
कमाता चवन्नियाँ।
आइये अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-
पतंगा, सृष्टि का क्षुद्र जीव,
न सह सका आभारहीनता।
वह हो गया उद्यत बचाने को,
शमा का अस्तित्व।
कितनी सारी कोशिशें होती हैं
उन धूलकणों को हटाने की
लेकिन वे आँखों की गहरी नदी में
बना लेती हैं अपनी जगह
किसी और दिन बह निकलने के लिए
जरा सी देर और निहारिये ,
भोर का तारा
खुद ही टिमटिमाएगा,
खुद ही सज जायेगा
मन के रंगो से
सूरज की लालिमा से
बिना उकेरे ही।
ऐसी राहों में, कितने काँटे हैं,
आरज़ूओं ने, आरज़ूओं ने,
हर किसी दिल को, दर्द बाँटे हैं,
कितने घायल हैं, कितने बिस्मिल हैं,
इस खुदाई में, एक तू क्या है
ऐ दिल-ए-नादान, ऐ दिल-ए-नादान..
शब्द बेशक बेजान हो जाते हैं कभी कभी,
पर भुला भी दूँ कैसे
शब्द जो उतर जाते हैं दिल मे
शब्द जो बाह जाते हैं आंखों से
शब्द जो कह जाते हैं अनकहे बात सारे..
शब्द जो लिख....
तुम पाषाण बन चुकी थी
न जाने कौन तुम्हारी शोख-चंचलता को
नष्ट कर दिया था
हर सिरे से.
उस जगह बैठे तो थे हम तुम
मगर तुम तुम न थे मैं मैं न थी
शायद वक़्त ने हम दोनों को बदल दिया
चलते-चलते आदरणीय हर्ष वर्धन जोग साहब के फोटो ब्लॉग के ज़रिये
याद करें 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध के हीरो महावीर चक्र विजेता
ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चाँदपुरी जी को जिनका गत 17 नवम्बर 2018
को 78 वर्ष की आयु में निधन हो गया। फिल्म "बॉर्डर" के
असली हीरो को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।
04 दिसम्बर की रात को एक बड़े हमले की तैयारी करके पाक फ़ौज का एक काफिला अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार कर के लोंगेवाला के नज़दीक पहुँच गया. इस लम्बे काफिले में थी लगभग 2000 सिपाहियों की एक ब्रिगेड, 45 टैंक और 500 से ज्यादा गाड़ियाँ. इनका प्लान था कि पहले लोंगेवाला पर कब्जा कर लिया जाए, उसके बाद 30 किमी आगे बढ़ कर रामगढ़ पर और फिर 78 किमी आगे जैसलमेर शहर कब्जा लिया जाए. चूँकि ये जगह रेगिस्तान में थीं और आबादी नहीं थी इसलिए ये काम 24 घंटों में हो जाना था. पर लोंगेवाला में तो कुछ और ही होना था.
हम-क़दम के
अड़तालीसवें क़दम का ..
विषय है-
शहनाई
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार।
शुक्रवारीय प्रस्तुति - आदरणीया श्वेता सिन्हा
रवीन्द्र सिंह यादव
ये
जवाब देंहटाएंलोभी
मीडिया
परोसता
झूठ की थाली
सटीक व्यंग और सुंदर अंक।
मेरी अनुभूतियों को स्थान देने के लिये धन्यवाद भाई साहब।
सुप्रभात,
जवाब देंहटाएंमीडिया ने तो झूठ और सच में अंतर बताना तो दूर सच दिखाना ही बंद कर दिया हैं।ठीक कहा।
रचनाये तो बेहतरीन हैं,हमेशा की तरह आनंद आ गया।
आभार
भूमिका की सटीक पंक्तियाँ, सच है अब तो सब कुछ पेड ही है सच झूठ का ऐसा घोल बना है कि आम जन के समझ से परे है।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी है सभी रचनाएँ,एक सारगर्भित अंक की बधाई आपको।
बेहतरीन प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंसाधुवाद..
सादर...
बेहतरीन प्रस्तुति,सभी रचनाएं उत्तम
जवाब देंहटाएं'लोंगेवाला' को शामिल करने के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंविचारणीय प्रस्तुति के साथ बेहतरीन रचनाओं का संकलन।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई ..
धन्यवाद
बहुत अच्छा लिखा है। ऐसे ही लिखते रहिए। हिंदी में कुछ रोचक ख़बरें पड़ने के लिए आप Top Fibe पर भी विजिट कर सकते हैं
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाएं
👌👌👌👌👌
मेरी रचना को स्थान देने के लिए...आभार सह्दय।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिये धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबढ़िया रहा यह अंक भी !
धार दार भुमिका के साथ सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंअंक बहुत सुंदर बन पड़ा है।
सभी रचनाऐं अप्रतिम।
रचनाकारों को बधाई।
शानदार प्रस्तुति करण उम्दा लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन हलचल प्रस्तुति, शानदार रचनाएँ 👌
जवाब देंहटाएंबढ़िया अंक।
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