सादर नमस्कार
सूरदास का नाम कृष्ण भक्ति की अजस्र धारा को प्रवाहित करने वाले भक्त कवियों में सर्वोपरि है। हिन्दी साहित्य में भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य उपासक और ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि महात्मा सूरदास हिंदी साहित्य के सूर्य माने जाते हैं। हिंदी कविता कामिनी के इस कमनीय कांत ने हिंदी भाषा को समृद्ध करने में जो योगदान दिया है, वह अद्वितीय है। सूरदास हिंन्दी साहित्य में भक्ति काल के सगुण भक्ति शाखा के कृष्ण-भक्ति उपशाखा के महान कवि हैं।
पढ़िए उनकी कुछ प्रसिद्ध रचनाएँ
जैसे उड़ि जहाज की पंछी, फिरि जहाज पै आवै॥
कमल-नैन को छाँड़ि महातम, और देव को ध्यावै।
★★★★★
सदा रहत पावस ऋतु हम पर, जबते स्याम सिधारे।।
अंजन थिर न रहत अँखियन में, कर कपोल भये कारे।
★★★★★
एक हुतो सो गयौ स्याम संग, को अवराधै ईस॥
सिथिल भईं सबहीं माधौ बिनु जथा देह बिनु सीस।
- ★★★★★★
- चलिए.अब आज की रचनाएँ. पढ़ते हैं-
सबसे पहले आदरणीय पंकज जी की क़लम से
उनके अनुभवों को याद कर समझने की
कोशिश करता हूँ और हरबार एक नया अर्थ
एक नया विश्वास मुझे अपनी जवानी से
बुढ़ापे के बदलते रंग के साथ जीने का बल देता है
अब जीवन को मैं समझने लगा हूँ
कोई शिकायत नहीं कोई खुशी का अतिरेक नहीं
समय के प्रत्येक कालखण्ड से ताल मिलाकर
मैं जी रहा हूँ, खुश हूँ मैं इस ज़िंदगी से !
★★★★★
आदरणीया प्रतिभा वर्मा जी की अभिव्यक्ति
फिर तूने लाख कोशिश क्यों न कर ली हो
मेरे हर सफर को मुश्किल बनाने की
पर मैंने कभी हार नहीं मानी
न ही कभी थमी बस चलती गई
तबियत से बयाँ करुँगी हर वो किस्सा
हर लफ्ज़ को बड़े ही किफ़ायत से लिखूंगी
★★★★★
आदरणीय पंकज कुमार"शादाब" जी की रचना
बारूद का ढेर एक अरसे से दिमाग़ मेंजमाया गया है
तभी तो अफ़वा की चिंगारी को बुलवायागया है!
जागे होते तो संभल गए होते, मसला तो ये है
साज़िश से तहत तुम्हें सोते हुए चलवायागया है!
★★★★★★
आदरणीया पम्मी जी की लेखनी से
खुद के वजूद का अहसास कराती एक खूबसूरत संवेदनशील रचना को शब्दों में समेटने की कोशिश , "हमारी किस्सागोई न हो" इसलिए हकीकत की पनाह में आ गए ,क्योंकि पूर्णता की ओर निगाह सब की होती है , पर मेरी छोटी- छोटी अधूरी बातें छलक ही जाती है ,कभी अश्कों में, जज्बातों में, कभी रातों में ,ख्वाबों में ,रस्मों रिवाजों में, मातृत्व में, सहचरी बनने की कोशिश में, सच बोल रही हूँँ.. बहुत आगे नहीं, पीछे भी नहीं साथ चलना चाहती हूँँ।
★★★★★
आदरणीया डॉ.इन्दिरा जी की क़लम से
अमीर गरीब माता नहीं होती
माता केवल माता है
सम भाव सागर ममता का
बहता जहां निरंतर है !
★★★★★
और चलते-चलते उलूक के पन्नों से
आदरणीय सुशील सर
कपड़े
सोच के
उतरे होते हैं
कौन देखता है
ना
सोच पाता है
ऐसा भी
जलवा
पहने हुऐ
कपड़ों का
होता होगा
★★★★★
लहर अमानवीयता की बेखौ़फ है आजकल
लगता है आदमियत की कश्ती डुबोकर ही छोड़ेगी
★
आज का यह कैसा लगा ?
आपके बहुमूल्य सुझावों की प्रतीक्षा रहती है।
हमक़दम के विषय के लिए
कल आ रही है विभा दी अपनी विशेष प्रस्तुति के साथ
कल का अंक पढ़ना न भूले।
-श्वेता सिन्हा
सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंश्वेता जी , प्रणाम सभी को।
वाहहहह.....
जवाब देंहटाएंकाफी मेहनत की है आपने..
बेहतरीन रचनाएँ...
सादर...
वाह बहुत सुंदर रचनाये,सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंप्रतुतिकरण तो लाज़वाब हैं।
जागे होते तो संभल गए होते, मसला तो ये है
साज़िश के तहत तुम्हें सोते हुए चलवाया गया है!
बेहतरीन
शुभ प्रभात श्वेता जी
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर हलचल प्रस्तुति 👌
बेहतरीन रचनाएँ, सूरदास जी की रचना लाजबाब है ,पम्मी जी का संस्मरण दिल को छू गया...
सादर
सस्नेहाशीष बहना
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुतीकरण
सुन्दर शुक्रवारीय हलचल प्रस्तुति। आभार श्वेता जी पागल 'उलूक' के पन्ने को भी जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर हलचल.. श्वेता जी,
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाओं के बीच संस्मरण को स्थान देने के लिए आभार। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई।
धन्यवाद।
बढ़िया संकलन ! सुन्दर भूमिका के साथ. सचमुच, मेरो मन अनत कहाँ सुख पावै.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसारी रचनाएं पठनीय और बेहतरीन हैं..। उत्तम संकलन, उत्तम प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंPlease see the following link
https://sahityavarsha.blogspot.com/2018/12/blog-post_7.html?m=1
बहुत ही सुन्दर रचना संकलन एवं प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह!!श्वेता , सुंदर प्रस्तुति ! सभी लिंक बहुत ही उम्दा ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति. महाकवि सूरदास जी की रचनाएं साझा करने हेतु आभार. सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवम् शुभकामनाएं. अंत में विचारणीय पंक्तियाँ.
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंभक्ति सागर के अनमोल रत्न की आभा के तले सुखद प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ बेहतरीन।
सुंदर अंक ।
सभी रचनाकारों को बधाई।
उम्दा प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएं