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बुधवार, 19 दिसंबर 2018

1251.. बनती हैं हरदम सहेली किताबें..


।।प्रात: वंदन।।

“लेखक को आदरणीय होने से बचना चाहिए। आदरणीय हुआ कि गया। ... मै साहित्य मे ही रहता था, रहना भी चाहता था। मैंने तय किया कि अपने को कभी आदरणीय नही होने दूँगा। जब जब आदरणीय होने का ख़तरा पैदा होता, मै कोई बेवक़ूफ़ी या उचक्कापन कर जाता।”- परसाई

निर्विकार भाव से शुद्ध कर्म की प्रासंगिकता दर्शाती उक्तियों के साथ नज़र 
डाले रचनाओं पर..✍
ग़ज़ल ..... किताबें - डॉ. वर्षा सिंह


बनती हैं हरदम सहेली किताबें।
भले हों पुरानी कितनी भी लेकिन
रहती हमेशा नवेली किताबें।
देती हैं भाषा की झप्पी निराली
अंग्रेजी, हिन्दी, बुंदेली किताबें..

ब्लॉग कबीरा खडा़ बाज़ार में..
राफ़ेल को बोफोर्स बनाने की नाकामयाब कोशिश अहंकारी बाबा राहुल दत्तात्रेय की..
अहंकारी राहुल बाबा तीन प्रदेशों को 'नोटा 'की बदौलत जीत कर समझ रहें हैं अब भारत देश उनके नीचे है उनके पीछे चलेगा और सत्ता पक्ष मेरी कदम बोसी करेगा। ये ..

ब्लॉग मन की वीणा से..

शीत लहरी सी जगत की संवेदना
आँसू अपने आंखों में ही छुपा रखना ।
नैना रे अब ना बरसना।

शिशिर की धूप भी आती है ओढ़  दुशाला    
अपने ही दर्द को लपेटे है यहाँ सारा जमाना।
नैना रे अब ना बरसना।

ब्लॉग बेचैन आत्मा..

सुबह उठा तो देखा.. 
मच्छरदानी के भीतर 
एक मच्छर! 
मेरा खून पीकर मोटाया हुआ, 
करिया लाल
मारने के लिए हाथ उठाया तो 
ठहर गया
रात भर का साफ़ हाथ 
सुबह ..

ब्लॉग मेरे मन के भाव के साथ आज की प्रस्तुति यहीं तक..

चलती हैं सर्द हवाएं
छाया है घना कोहरा
बंधक बनी सूर्य किरण
धरती पर लगा पहरा
यह कोहरा तो है मौसमी
मिट जाएगा कुछ दिनों में..

हम-क़दम का नया विषय
यहाँ देखिए


।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह'तृप्ति'...✍














15 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर संकलन और रचानाएं भी..

    यह "नोटा" भी जनता की आवाज़ है। राजनीति के " विधात" इसे जितना जल्द समझ लें,बेहतर है।
    सिंहासन किसी की बपौती नहीं है।

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात सखी..
    बेहतरीन रचनाएँ..
    आभार.
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभ-प्रभात
    बेहतरीन रचनाएं
    बेहतरीन प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात
    सुंदर संकलन
    बेहतरीन रचनाए...

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार पम्मी जी

    जवाब देंहटाएं
  6. परसाई जी की व्यंगात्मक और धारदार भूमिका से सजी आज की प्रस्तुति बहुत है पम्मी जी।
    सभी रचनाएँ बेहद अच्छी है।
    एक बढ़िया अंक।

    जवाब देंहटाएं
  7. भुमिका दमदार है पम्मी जी सचमुच आदरणीय बनते ही
    कई और अ साथ आ मिलता है अहम, अंहकार। परासर जी के कथन की गहराई समझ लें तो अकिंचन का भाव सदा ऊपर उठाता है।
    बहुत शानदार प्रस्तुति।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को सामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया ।

    जवाब देंहटाएं
  8. शानदार प्रस्तुतिकरण...उम्दा लिंक संकलन....

    जवाब देंहटाएं
  9. मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार 🙏

    जवाब देंहटाएं

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