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शनिवार, 7 अप्रैल 2018

995... पैगाम


अनोखा अंतरराष्ट्रीय मैत्री सम्मेलन
       
सम्बन्धों के परिभाषा से परे नेपाल-भारत के अन्त:  सम्बन्ध की अक्षुण्णता को निरंतरता देने के लिए "हम सब साथ-साथ" छठा सोशल मीडिया मैत्री सम्मान समारोह तथा अन्तरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन नेपाल-भारत मैत्री विराङ्गना फाउंडेशन काठमाडौ एवं भारतीय राजदूतावास काठमाडौ के संयुक्त तत्वाधान में श्री किशोर श्रीवास्तव व श्रीमति प्रभासिंह के कुशल निर्देशन व उम्दा संयोजन में आयोजित कार्यक्रम जनकपुर में सुखद वातावरण में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ...
प्रथम सत्र में श्री किशोर श्रीवास्तव जी व गोवर्धन चौमाल द्वारा भारत के कोने-कोने से विभिन्न विधाओं के प्रतिभागियों का परिचय करवाते हुये उन्हें प्रतिभागी का बैच पहनाकर और भाई चारे  का दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मानित किया ।
 दोनों देशों के राष्ट्र गान और कार्यक्रम का टाईटिल सांग ' इन्सान का इन्सान से हो भाई चारा यही पैग़ाम हमारा किशोर श्रीवास्तव , अंजलि पटेल , जया श्रीवास्तव के सुमधुर कंठ के साथ ही हर प्रतिभागी भी गा रहा था ।

शशि श्रीवास्तव की बाल पुस्तक "नन्हें क़दम ऊंची उड़ान" का विमोचन , "हम सब साथ साथ" पत्रिका और संदीप तोमर की पुस्तक "अपाहिज की आत्मकथा" का लोकार्पण हुआ
दूसरा सत्र था "सोशल मीडिया से मिले खट्टे मीठे अनुभव" चयनित प्रतिभागी अपने-अपने अनुभव सुनाए...
मध्याह्न भोजन के बाद आनन्दित पल थे... मस्ती से भरा संचालन किया ,संयोजक श्री किशोर श्रीवास्तव जी ने... किसी हिस्से को नहीं छोड़ा गया था... जिम्नास्टिक , मयूरी डांस , भरतनाट्यम गीत संगीत बाँसुरी तबला हारमोनियम वादन रोचक मनोरंजक समुंदर में हम डूब उतरा रहे थे... निशांत के बाद भी हम नहीं ऊबते लेकिन समय सीमा के अनुशासन ने हमें "अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन" में ले आया... नेपाल-भारत से चयनित कवियों ने एक से एक कविता-रस में हमें भिगोकर रोमांचित किया...
31 मार्च 2018 द्वितीय दिवस कार्यक्रम अल्पाहार के बाद "बेटियों के दशा-दिशा" पर "खुला मंच" परिचर्चा हुआ... समय सीमा का बंधन होने से बहुत से प्रतिभागियों के दिल का दर्द बह नहीं सका... पर जितने प्रतिभागी बोले बहुत अच्छा बोले...
"बहुभाषीय कवि सम्मेलन" आंचलिक क्षेत्रीय भाषा में कविता सुनना... आलौकिकानुभूति... मानों मिट्टी की सुगंध हृदय में सुवासित होती गई...
     मध्याह्न भोजन के बाद चयनित प्रतिभागी और सहयोगकर्त्ताओं को प्रमाणपत्र और स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया...
उसके बाद ग्रुप फ़ोटोग्राफी हुआ । किशोर श्रीवास्तव , अंजलि पटेल , जया श्रीवास्तव के सुमधुर कंठ के साथ ही हर प्रतिभागी भी यही गा रहा था "ज़िन्दगी प्यार का गीत है इसे हर दिल को गाना पड़ेगा" ।  ऐसे अनूठे महाआयोजन के आनन्द का वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता ।

सीतामढ़ी व जनकपुर में माँ जानकी और काठमांडु में बाबा पशुपतिनाथ जैसे अनेकों प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन करने से प्रतिभागियों की यह यात्रा साहित्यिक , सांस्कृतिक व धार्मिक बनी साथ ही नेपाल की प्राकृतिक और मनमोहक वादियों , पर्वत श्रंखलाओं ने इस यात्रा को यादगार बना दिया । इस आयोजन ने हर एक प्रतिभागी के दिल पर एक अमिट छाप छोड़ी जिसे वह वर्षो-वर्ष नहीं भूल पायेगा
उम्मीद है हम आगे भी मैत्री भाईचारे की यह मशाल यूँ ही जलाये रखेंगे और इसे अगले सम्मेलनों के ज़रिये और प्रगाढ़ करेंगे... शुभ प्रभात के संग देते हैं
पैगाम
मृण्मय के दीपक औ
तृण्मय की बाती में
चिन्मय की ज्योति
प्रज्वलित हो जाये,
कण-कण जगमगाये
चित्र में ये शामिल हो सकता है: 4 लोग, Jyoti Sparsha सहित, मुस्कुराते लोग, लोग खड़े हैं
पैगाम
तेरे मेरे बीच में फासले बहुत है
मंज़िले भेजी है आपके कदमो के लिए
अब कुछ रास्ते मेरी मंजिल के लिए भेज दो
यकीन आ जाए तुझे मेरी मोहब्बत पर
आजमा लो मुझे ..मेरी कुछ वफाये तेरे नाम भेजी है
चित्र में ये शामिल हो सकता है: 9 लोग, Rajendra Mishra, Kishor Srivastava, संदीप तोमर और लता सिन्हा ज्योतिर्मय सहित, मुस्कुराते लोग, लोग खड़े हैं
पैगाम
एक पल में सौ-सौ बार कृष्ण नाम का जप कर ले.
जमाने का रंग फिर उस पर नहीं चढ़ता….
जिस पर कृष्ण प्रेम का रंग चढ़ जाता है
वो सभी को भूल जाता है, जो साँवरे का हो जाता है.
चित्र में ये शामिल हो सकता है: 7 लोग, Jyoti Sparsha, Shyama Jha और कात्यायनी दीपक सिंह सहित, लोग खड़े हैं
पैगाम
आशा है नयी,मिल जाएगा किनारा।
सोचता हूँ कौन से रंग में दिखोगी तुम
बेख़बर,मेरे रंग में रंगी हो तुम
पर फिर भी नीला रंग,सदा तुम पे भाता
वो बात है अलग,निगाह आँखों से न हटा पाता।
चित्र में ये शामिल हो सकता है: 4 लोग, लोग बैठ रहे हैं और अंदर
नेपाल और भारत के साहित्यकारों की गोष्ठी... मुद्दा था 
#नेपाली रचनाओं का #हिन्दी अनुवादित रचनाओं को हिंदुस्तानी पत्र पत्रिकाओं पुस्तकों में और #हिन्दी रचनाओं का #नेपाली अनुवादित रचनाओं को नेपाली पत्र पत्रिकाओं पुस्तकों में स्थान मिले... हम हिन्दुस्तानी बढ़े हाथ को थामने में पीछे कब होते हैं... झट वादा कर डाले अपनी यथाशक्ति प्रयास करने की...
जिन्दगी
फिर मिलेंगे... यूँ संग संग

हम-क़दम 
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम  तेरहवें क़दम की ओर
इस सप्ताह का विषय है
:::: उड़ान  ::::
:::: उदाहरण ::::
कब करेगा ये समाज
मेरे आन्तरिक गुणों का मूल्यांकन?
नारी हूँ मैं।
आकाश दिख रहा है 
विस्तार देख लेंगें
अब पंख मिल गये हैं
उड़ान भर लेंगें !!!!!!!!

आप अपनी रचना शनिवार 07  अप्रैल 2018  
शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं। चुनी गयी श्रेष्ठ रचनाऐं आगामी सोमवारीय अंक 09 अपैल 2018  को प्रकाशित की जाएगी । 
रचनाएँ ब्लॉग सम्पर्क प्रारूप द्वारा प्रेषित करें

5 कदम की दुरी पर हैं हम
5 उँगलियों को बांधे मुट्ठी समान


11 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    बेहतरीन सभा समाचार
    के साथ शानदार पैगाम
    सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात
    बहुत लाजवाब प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह्ह्ह...अति सुंदर संस्मरणीय अंक दी....👌👌👌
    पैगाम के रंग में रंगी प्रस्तुति और आकर्षक रचनाओं का समन्वय प्रभावी है। हमेशा की तरह एक शानदार अंक दी।

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीय दीदी
    सादर चरणस्पर्श
    बढ़िया प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. सादर नमस्कार।
    विस्तृत जानकारी और सार्थक संदेश देती अप्रतिम प्रस्तुति।
    सभी रचनाऐं बहुत सुंदर।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर विषय है ये पैगाम.... शुक्रिया आदरणीया विभा दी का इस सुंदर प्रस्तुति को देने के लिए ।

    जवाब देंहटाएं
  7. शानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...

    जवाब देंहटाएं

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