प्रत्येक विद्यार्थी को अपनी योग्यता,आर्थिक, सामाजिक पारिवारिक परिस्थिति एवं शिक्षण संस्थान की भौगोलिक निकट उपलब्धता के तहत अपनी इच्छानुसार कहीं भी शिक्षा ग्रहण करने की पूरी स्वतंत्रता होनी चाहिए।
विभिन्न राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्र में निवास करने वाले
प्रतिभावान विद्यार्थियों को पड़ोसी राज्य में कुछ ही दूर स्थित
शिक्षण संस्थानों में केवल इसलिए प्रवेश नहीं मिल पाता क्योंकि
वह संबंधित राज्य का मूल निवासी नहीं है। विभिन्न प्रकार की औपचारिक प्रमाण पत्रोंं की माँग कर उन्हें प्रवेश से वंचित कर दिया
जाता है। इस नीति का शिकार अधिकतर संविधान के पाँचवीं सूची के अंतर्गत आने वाले देश के सबसे पिछड़े माने जाने वाले आदिवासी छात्र होते हैं, जो परिस्थिति वश दूर के संस्थानों में शिक्षा ग्रहण करने नहीं जा सकते। इन छात्रों के शैक्षणिक विकास के लिए कुछ नीतिगत बदलाव पर गंभीरतापूर्वक संशोधन पर विचार किया जा सकता है।
सादर अभिवादन
आइये अब आपकी रचनात्मकता के संसार में चलते है
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बेहद मनमोहक शैली में लिखने वाले कवि
अमित"निश्छल" जी की हृदयस्पर्शी रचना पढ़िये
चाँद, तू गैर है, जानता हूँ...
दिल के ख़्वाबों को सीने में पालता हूँ।
एक नज़र तो देखेगा मुझको,
तमाम उम्र इस जद्दोजेहद में काटता हूँ।
चाँद, तू गैर है, ये जानता हूँ...।
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आदरणीया ऋता शेखर मधु जी की प्रकृति की खुशबू बिखेरती रचना पढ़िये
शौक से चढ़ने लगी हैं
मृत्तिकाएँ चाक पर
नीर घट के साथ रहकर
सौंधपन लाने लगे|
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आदरणीय चेतन राम किशन"देव" जी की सुंदर भावाभिव्यक्ति
मैंने माना प्रेम को श्रद्धा,
उसने युक्ति गुना भाग कर
शब्द भाव को युग्मित करके,
रची कविता प्रेम राग की।
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आदरणीय पुरुषोत्तम जी की अनुपम रचना पढ़िये
कथनी करनी हो रहे विमुख परस्पर,
वाचसा कर्मणा के मध्य ये अन्तर,
उच्च मानदंडों का हो रहा खोखला प्रचार,
टूटती रही मान्यताओं की ये मीनार!
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आदरणीया सदा जी की कलम से सारगर्भित अभिव्यक्ति
जब बातें
कड़क और स्प्ष्ट हों
तो मन भी सिक्का हो जाता है
क्या लेना है और क्या छोड़ना
निर्णय किसी हथेली पर
चाहकर भी नहीं छोड़ता मन !!!
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चलते-चलते उलूक के पन्नों से आदरणीय सुशील सर
की प्रभावपूर्ण कलम से
ये शाश्वत सत्य है
भीड़ की जातियाँँ
बदल जाती हैंं
धर्म बदल जाता है
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हम-क़दम का तेरहवें क़दम
का विषय...
...........यहाँ देखिए...........
...........................................आज का अंक आपको कैसा लगा कृपया,अवश्य बताइयेगा।
आप सभी की सुझावों की प्रतीक्षा में
शुभ प्रभात सखी
जवाब देंहटाएंज्वलंन्त व जरूरी मुद्दा
साधुवाद
सादर
संविधानानुसार देश चले और संविधान जनता हित में बने यह होना चाहिए...
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुतीकरण
हजार से एक सप्ताह दूर आज के एक सुन्दर अंक में जिक्रे उलूक करने के लिये आभार श्वेता जी।
जवाब देंहटाएंएक से बढ़ कर एक रचना! संकलन है या पुष्प गुच्छ पूरी पोस्ट महक गई साधुवाद लेखकों को और चयनकर्ता को
जवाब देंहटाएंनमन 🙏
लाज़वाब संकलन। सभी रचनाएं अपनी विशेष छाप छोड़ती हुयी। भूमिका का विषय बेहद गंभीर है और मै स्वयं इस समस्या का सामना कर चुकी हूँ।
जवाब देंहटाएंअद्भुत अंक। अद्भुत रचनाएं। सभी चयनित साथियों को बधाई और शुभकामनाएं
सादर
सादर अभिनंदन
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया लिंको का संकलन.
लाज़वाब लिंको का संकलन
जवाब देंहटाएंएक से बढ़ कर एक रचना के साथ विचारणीय भूमिका..
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को बधाई और शुभकामनाएँँ
बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति। विविध विषयों पर सारगर्भित सूत्रों का चयन। प्रस्तावना में सामयिक विषय पर सार्थक चर्चा। इस अंग के लिए चयनित सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंकृपया अंग को अंक पढ़ा जाए। धन्यवाद।
हटाएंसुंदर प्रस्तुति।सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएं"
जवाब देंहटाएंसम्मानित श्वेता जी का यह प्रयास बहुत प्रसंशनीय है। आप सभी पाठकों, रचनाकारों और मार्गदर्शकों की भूमिका भी धन्यवाद की पात्र है। आप सभी का हृदय तल से आभार प्रकट करता हूँ।
सुंदर प्रस्तुति ,सभी लिंक लाजवाब।
जवाब देंहटाएंअच्छी रचनाओं का प्रभावशाली प्रस्तुतिकरण। सभी रचनाएँ पढ़ीं, सभी बेहतरीन हैं। सादर ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुतिकरण विचारणीय भूमिका के साथ उम्दा लिंक संकलन...
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