चाँद तारो से सदा मिलने का पता माँगो
मुश्किल में तो बहुत हूँ ,जरा ध्यान देना
दिल के पिघलने का उनसे अब पता माँगो
बेज़ुबान इश्क़ में हम यूँ हद से गुज़र रहे
लब हो गए पत्थर के जब उस ने कहा माँगो
अप्रशिक्षित चालक, शराब, क्षमता से अधिक सामान का होना
खराब सड़कें ही कारण नहीं है... मोबाइल पर गप्प से भी होती है
गर वक़्त पर ईलाज हो जाता,
तो शायद वह बच जाता,
भगवान न करे कहीं ऐसा होता,
वो तुम्हारा कोई अपना होता
दुर्घटना
भविष्य नहीं देखा किसी ने मगर
पर वर्तमान में हम अपना कर्तव्य निभाएंगे
ओवरस्पीड , ओवरलोड वाहन नहीं चलाएंगे
भले देर से दफ्तर पहुंचे
ओवरटेक करके आगे नहीं जाएंगे
सकुशल सुरक्षित घर लौटेंगे
हम अपनों से एक वादा करेंगे
हादसों से खुद को सुरक्षित रखेंगे
अपनी सुरक्षा
गरीब अगर अमीर की चौखट पर
जाना बंद कर दे
जाये तो तैयार रहे
झेलने के लिए अपमान
सड़क पर चले तो
किसी से डरे या नहीं
नव-धनाढ्यों की सवारी से
बचकर चले
लैबकोट
ओह! फिर तो पहचान हमारी पुरानी हैं
कहो भाई! कैसी चल रही तुम्हारी कहानी है?
तुम तो धुल के बहुत चमकने लगे हो
क्या अब भी पुराने मालिक को ढूंढ रहे हो?
‘नए मालिक ने मुझे ढूंढ लिया कब से
उसकी दिनचर्या में मैं भी ढल गया तब से ।’
‘वाह! ये तो तुमने बहुत अच्छी खबर सुनाई है
लगता है, सुलझ गयीं तुम्हारी अभी सारी कठिनाई है ।’
घाटी के दिल की धड़कन
ये अग्नीगंधा मौसम की बेला है
गंधों के घर बंदूकों का मेला है
मैं भारत की जनता का संबोधन हूँ
आँसू के अधिकारों का उदबोधन हूँ
मैं अभिधा की परम्परा का चारण हूँ
आजादी की पीड़ा का उच्चारण हूँ
ये ओ ! वक्त व जिन्दगी!
तेरा हिसाब बराबर करना जंचता है...
फिर मिलेंगे... जरा त बिलम्बिये
हम-क़दम
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम पन्द्रहवें क़दम की ओर
इस सप्ताह का विषय है
:::: क़दम ::::
:::: उदाहरण ::::
बाधाएं आती हैं आएं
घिरें प्रलय की घोर घटाएं,
पांवों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,
निज हाथों से हंसते-हंसते,
आग लगाकर जलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
-अटल बिहारी बाजपेयी
आप अपनी रचना शनिवार 21 अप्रैल 2018
शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं। चुनी गयी श्रेष्ठ रचनाऐं
आगामी सोमवारीय अंक 23 अपैल 2018 को प्रकाशित की जाएगी ।
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शुभ प्रभात दीदी
जवाब देंहटाएंसादर नमन
हम तो समझे थे आप आज नहीं आ पाएँगी
आप का इच्छा सक्ति दृढ़ है...और इसके कायल हैं हम
सादर
सस्नेहाशीष संग शुभ दिवस
हटाएंकमबख्त जिंदगी इतनी व्यस्त करती ही नहीं कि एक काम दूसरे का बहाना बन सके...
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुप्रभातम् दी:),
जवाब देंहटाएंकभी लापरवाही से तो कभी अनचाहे ही जब कुछ अप्रत्याशित घटित हो तो वो दुर्घटना कहलाता है। आप स्वस्थ्य रहे सदा आपकी कुशलता की कामना करते हैं।🙏
आज का अंक विशेष संदेशात्मक है। बहुत अच्छी रचनाएँ है सारी। हमेशा की तरह अलग और बहुत सुंदर संकलन है दी।
आपकी सकारात्मकता सीखने योग्य है।
आभार दी
सादर
संदेश देती सुंदर रचनाएँ..
जवाब देंहटाएंहौसला यूँ ही बनाए रखे..
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंंदर संदेशात्मक प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत ह्रदयतल से आपका आभार, आपने अपने ब्लॉग में हमारी रचना को स्थान दिया🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंआदरणीय दीदी -- आज के सभी लिंक पढ़े | सभी अछे हैं पर आदरणीय हरीओम पवार जी के ब्लॉग पर भेजने के लिए आपकी आभारी रहूंगी | उनका ब्लॉग एक दिन मैंने बहुत ढूंढा पर उस दिन नहीं मिला | आभार आपका | दुर्घटना अपने साथ एक व्यक्ति और परिवार पर घोर संकट की प्रतीक है | कई बार व्यक्ति खुद निर्दोष होते हुए दूसरों के कारण दुर्घटना का शिकार हो जाता है |सडक पर सावधानी से चलना ही समाज और परिवार के हित में है | सावधानी हटी - दुर्घटना घटी | हर जीवन अनमोल है | ये अपनी या किसी को गलती से खो ना जाये | बेहतरीन प्रस्तुतिकरण और सुदर . नायाब लिंकों के लिए हार्दिक बधाई | सभी रचनाकारों को सस्नेह शुभकामनाये |
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति आये दिन दुर्घटनाओं के चलते बसे बसाये परिवार उजडते हैं घर के सहारे छिनते हैं अपंग हो जीवन भार बन जाते हैं और ये सब के विविध कारणों का परिणाम एक ही है बहुत सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी रचनाऐं बहुत कुछ कहती सादर नमन, आपके स्वास्थ्य की सुख साता पुछती हूं दीदी और सदा स्वस्थ्य रहें मंगल कामना करती हूं
दुर्घटना पर केन्द्रित आज की प्रस्तुति समाज को जागरुकता का संदेश दे रही है. आदरणीया दीदी के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना.
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें.
सावधानी हटी दुर्घटना घटी को स्थापित करती रचनायें अपने अपने तरीके से अति सुन्दर कवि के कर्तव्य बोध को स्थापित करती .नमन
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