सादर अभिवादन....
भाई कुलदीप जी शहर से बाहर हैं
उनकी शैली हमसे बेहतर रहती है
फिर भी कोशिश करते हैं.....
कल विश्व पुस्तक दिवस बीत गया....
एक आलेख पढ़िए.....
विश्व की सबसे मंहगी बुक'द कोडेक्स लिसेस्टर'
इसकी कीमत है 200.2 करो़ड़ रुपए
[अदब है साहित्य और अमर हैं विचार]
साथियों हमारे देश को विश्वगुरू इसलिए कहा जाता है कि हमारे देश की नींव प्रेम, सम्मान, ज्ञान और विज्ञान के प्रतीक महान वेदों, पुराणों, श्री रामायण,श्री भगवद्गीता, महाभारत, श्रीभागवत् महापुराण, कुरान,बाईविल, जैंद जा वस्ता, गुरू ग्रंथ साहिब जैसे ज्ञान, वैराग्य, प्रेम, शांति और जीवन आनंद के कभी न खत्म होने वाले अनमोल खजानों से परिपूर्ण है।
हम खोए है अंधकार में,
अज्ञानता के तिमिर संसार में,
तू ज्ञान की लौ जला,
भूला हुआ हूं, राह कोई तो दिखा,
मन मे प्रकाश का मशाल दे,
मुझे ज्ञान की उजियार का उपहार दे....
हे, माँ शारदे! हे, माँ शारदे!...
श्री सुशील बाकलीवाल
लूट मचाने के लिए दवा कंपनियाँ किस हद तक गिर सकती है हम-आप इसका अनुमान भी नहीं लगा सकते । अभी कुछ समय पूर्व स्पेन मे शुगर की दवा बेचने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियो की एक बैठक हुई जिसमें दवाईयों की बिक्री बढ़ाने के लिए सुझाव दिया गया है कि अगर शरीर मे सामान्य शुगर का मानक 120 से घटाकर 100 कर दिया जाये तो शुगर की दवाओं की बिक्री 40% तक और बढ़ जाएगी । आपकी जानकारी के लिए यह भी बता दूँ कि बहुत समय पूर्व शरीर मे सामान्य शुगर का मानक 160 था, दवाईयों की बिक्री बढ़ाने
के लिए ही इसे कम करते-करते 120 तक लाया गया है
जिसे भविष्य मे 100 तक करने की संभावना है ।
कहाँ मिलती है मनचाही मुराद, कुछ न कुछ
उन्नीस बीस रह ही जाती है तामीर ए -
ख़्वाब में। जाना तो है हर एक
मुसाफ़िर को उसी जानी
पहचानी राह के बा -
सिम्त, जहाँ कोई
फ़र्क़ नहीं
होता
बड़ी हसरत से देखता हूँ
वो नीला आसमान
जो कभी मेरी मुट्ठी में था,
उस आसमान पर उगे
नन्हें सितारों की छुअन से
किलकता था मन
कोमल बादलों में उड़कर
चाँद के समीप
रह पाने का स्वप्न देखता रहा
कड़वे शब्द
कठिन समय में
बस मरहम होते हैं
जख्मो की ज़बान होती
तो वो चीखते शोर मचाते
आक्रमण करते
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अब बारी है नए विषय की
हम-क़दम
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम सोलहवें क़दम की ओर
इस सप्ताह का विषय है
:::: अस्तित्व ::::
:::: उदाहरण ::::
मैं बे-बस देख रहा हूँ
ज़माने के पाँव तले कुचलते
मेरे नीले आसमान का कोना
जो अब भी मुझे पुकारता है
मुस्कुराकर अपनी बाहें पसारे हुये
और मैं सोचता हूँ अक्सर
एक दिन
मैं छूटकर बंधनों से
भरूँगा अपनी उड़ान
अपने नीले आसमान में
और पा लूँगा
अपने अस्तित्व के मायने
आप अपनी रचना शनिवार 28 अप्रैल 2018
शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं। चुनी गयी श्रेष्ठ रचनाऐं आगामी सोमवारीय अंक 30 अपैल 2018 को प्रकाशित की जाएगी ।
सुप्रभातम् दी:)
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचनाएँ है सारी...👌
मेरी रचना को स्थान देने के लिए अति आभार आपका।
सभी साथी रचनाकारों को बहुत बधाई।
बहुत सराहनीय संकलन! आभार एवं बधाई!!!
जवाब देंहटाएंउत्तम विचारों के साथ सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाऐं कुछ संदेश देती चयनित रचनाकारों को बधाई।
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर संयोजन .
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउत्क्रष्ट रचनाएँ
सुंदर संग्रह
जवाब देंहटाएंसुन्दर संयोजन.
जवाब देंहटाएंआभार सहित...
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति करण उम्दा पठनीय लिंक संकलन
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को शुभकामनाएं...
अहा! अतिसुन्दर प्रस्तुतिकरण 👌👌 बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सराहनीय प्रस्तुतिकरण...बधाई
जवाब देंहटाएंआपका ससम्मान आभार 🙏🙏🙏💐
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