990 वाँ अंक आपके द्वारा सृजित रचनाओं से खास बन गया है।
मनुष्य जीवन के भावनाओं के अनेक रंगों में
एक रंग "तन्हाई" या अकेलापन का भी है।
तन्हाई का अर्थ सामान्यतः उदासी से लगाया जाता है। किसी
कोने में चुपचाप अपने ही ख़्यालों में गुम होकर जीना तन्हाई की
एक आदर्श तस्वीर खींचती है।
पर मेरा ऐसा सोचना है कि "तन्हाई" में तो आत्ममंथन का सुअवसर मिलता है, अपने अंदर की प्रतिभा को पहचान कर नये प्रयोगों द्वारा सृजनशीलता के पथ पर चलकर सफलता के नये कीर्तिमान
स्थापित किये जा सकते है। तन्हाई में की गयी चिंतनशीलता ने ही
विज्ञान और अध्यात्मवाद को निरंतर नवजीवन प्रदान किया है।
कहते है न किसी भी वस्तु की असमान मात्रा असंतुलन पैदा करती है
इसी प्रकार तन्हाई में अपने आप में सिमटे रहने से नकारात्मक
विचारों के संपर्क से अवसादग्रस्त मानसिक स्थिति उत्पन्न हो
सकती है। अकेले समय व्यतीत अवश्य करें पर आत्मचिंतन के
अलौकिक ज्ञान को सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित कर
प्रसन्न रहे न कि दुखी।
चलिए अब आप सभी के रचनात्मकता के संसार में जहाँ तन्हाई ने एक खूबसूरत महफिल सजायी है। तन्हाई को अलग-अलग भाव और शब्द-विन्यास से अलंकृत कर आप सभी ने मंत्रमुग्ध कर दिया है।
निरंतर आपके बहुमूल्य सहयोग के लिए बहुत आभार
आप सभी साहित्य के साधकों का।
सादर नमस्कार
एक विशेष सूचना
रचनाएँ क्रमानुसार नहीं सुविधानुसार लगायी गयी है।
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आदरणीया पूनम जी
ऐ रब, छीन ले मुझसे
मेरा हाफीजा,
इससे पहले की
फट जाए कलेजा।
ढल गए वस्ल के दिन
आ गई हिज्र के रात।
पल पल याद आती
तुम्हारी हर वो प्यारी बात।।
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रूह से रूह के मिलन का बता मैं क्या करूँ ,
न लेती ये विदा ,न आती 'वो' जो पुकारूँ।
हर तरफ है भीड़,गुलज़ार , तमाशे, ठहाके,
बस तन्हा ये वज़ूद , समेटे बिखरे दिल के टुकड़े।
बेगुनाहों की चिता पर,
कानून के हांथ आये नादान लोग
जेल की तन्हाई में काटते हैं जवानी,
पैदा होती है अपराधियों की एक और पौध,
कुछ और शातिर दिमाग
सीखते हैं मक्कारी,
चल पड़ते हैं उसी राह पर
मेरी जुल्फों से खेलती ये उंगलियाँ तुम्हारी
तुम्हारी मोहब्बत में दरकती ये साँसे हमारी
बस.. मैं, और तुम, और उफ्फ...
इस खूबसूरत तन्हाई का ये आलम
डर है कहीं हमारी जान ही न ले जाए...
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आदरणीया डॉ. इन्दिरा जी
तन्हाई
दस्तकें आहट से वो कुछ
इस कदर झुंझला गया
कौन है किसने किसी को
मेरा पता बता दिया !
चैन से सोये हुए थे
तन्हाई की चादर तान कर
बेवक्त सन्नाटे मैं किसने
शोर सा बरपा दिया !
अपनी तन्हाई को
सीने में समेटे रहती हूँ
कभी हँस लेती हूँ
कभी चुपचाप
कुछ अश्क पी लेती हूँ
कदम बढते गये बन
राह के साझेदार
मंजिल का कोई
ठिकाना ना पड़ाव,
उलझती सुलझती रही
मन लताऐं बहकी सी
तन्हाई मे लिपटी रही
ना जाने कब और कैसे यूंही तन्हा
तन्हाई में , तन्हाइयों से बतियाते
तन्हाइयां भली सी लगने लगीं
चिड़ियों की मीठी चहचहाहट से कभी
गुनगुना उठता था मन मेरा
अब शोर सी कानों को चुभने लगी
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लिख क्यों नहीं
लेता अपनी तन्हाई
पूरी ना सही
आधी अधूरी ही सही
अपने लिये ना सही
किसी और को
समझाने के
लिये ही सही
पता तो चले
तन्हाई तन्हाई
का अंतर
चाँद तो सोया है,रात की गहराई में
कैसे तुम सोओगे,रात की तन्हाई में।
दिन तो गुजार ली है,भीड़ में तुमने
कैसे तुम गुजारोगे,रात यूँ तन्हाई में।
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खोजती रहती उन पलों को
जब मैं अकेली रह पाती
और होती मैं और मेरी तन्हाई
पहले मुझे चाह थी तन्हाई की
अब जब मैं हूँ एक कमरे में बंद
कुछ कर नहीं पाती
केवल सोचती रह जाती हूँ
ऐसी तन्हाई का क्या लाभ
जब उसका उपयोग न कर पाऊँ
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ये तनहाइयाँ अब कहाँ डराती हैं मुझे !
क्योंकि अब
मैं एकाकी कहाँ !
जब भी मेरा मन उदास होता है
अपने कमरे की
प्लास्टर उखड़ी दीवारों पर बनी
मेरे संगी साथियों की
अनगिनत काल्पनिक आकृतियाँ
मुझे हाथ पकड़ अपने साथ खींच ले जाती हैं,
तन्हाईयों में अक्सर तेरा ख्याल आया
गुजरे हुए लम्हों ने कितना हमें रुलाया
किस्मत में थी तन्हाई मंजूर कर लिया
तेरे लिए जहाँ से खुद को दूर कर लिया
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आदरणीया आँचल जी
फरिश्ता सी तनहाई
डूबी सागर में नौंका जैसे
जब लूट लिया किस्मत ने सबकुछ
और दूर हुए सब रिश्ते नाते
तब मैं तनहा लड़ता अर्णव से
और बस तनहाई मेरा साथ निभाती
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आपसभी की सुंदर अभिव्यक्ति से सजा
आज हमक़दम का अंक कैसा लगा ?
कृपया अवश्य बताये
आप सभी की प्रतिक्रिया उत्साह और ऊर्जा का संचार करती है।
आज के लिए बस इतना ही नये विषय के लिए कल का अंक पढ़ना न भूले
अपने-पराये चेहरों की भीड़ में
कुछ पल का सुकून तलाशती
सन्नाटों से चुनकर शब्द बीनती
दिलोंं मे फैली कैसी ये तन्हाई है।
- श्वेता सिन्हा
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार सखी
एक अच्छी प्रस्तुति बनाई आपने
साधुवाद
सादर
शानदार प्रस्तुति,तन्हाई पर रचनाकारों की सृजनशीलता को सलाम। विविधरंगी रचनाएं। मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंसादर
हाफीजा,वस्ल,हिज्र- यक़ीनन, सन्नाटे से चुने शब्दों से बुने चादर को ओढ़कर चाँद का तनहा दिल रात की गहराई में गुम हो गया है! बधाई सभी रचनाकारों को, उनकी रचनात्मक तन्हाई की!!!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति। आभार श्वेता जी 'उलूक' के एक पुराने सूत्र को आज के अंक में स्थान देने के लिये।
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार
सभी चयनित रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई
सही कहा आपने श्वेता तन्हाई सदा उदासी का सबब नही होती क्रियात्मक तन्हाई कितने सृजन कर देती है जो अविष्कार से लेकर रचनात्मक परिदृश्य मे साफ साफ दृष्टि गोचर होती है
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक भूमिका के साथ सुंदर प्रस्तुति ।
सभी रचनाऐं एक दूसरे से भिन्न होते हुवे भी कहीं ये आभास दे रही है कि हर रचना कार कमोबेश कहीं जुडा है अपने रचनात्मक सृजन से जो आने वाले समय मे हिंदी जगत के लिए एक सकारात्मक पहलू है और हम जैसे नये रचनाकारों के लिये ऊर्जा का स्रोत है।
साधुवाद।
सस्नेह।
सभी साथी रचनाकारों को बधाई।
बहुत सुंंदर संयोजन श्वेता ...मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।सच कहा आपने़ तन्हाई ...का अर्थ उदासी नही ...स्वयं की पहचान भी है ...आत्म मंथन है।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाओं को समेटे हुए बहुत ही खूबसूरत संकलन ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संयोजन..मेहनत सफल हुइ..
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
रचनात्मक सृजनशीलता काबिलेतारीफ है।
आभार।
लाजवाब प्रस्तुति......
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअति उत्तम एवं शानदार प्रस्तुति।मुझ जैसे नये रचनाकारों को एक मंच देने के लिए।बहुत बहुत आभार।सभी बेहतरीन रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंतन्हाई पर सबका अलग-अलग नज़रिया बड़ा दिलचस्प लगा .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद और बधाई !
शानदार लिंक संयोजन. हर रचना अपने आप में अनूठी है. मेरी रचना को भी सम्मिलित किया गया इसलिए आपका खूब खूब आभार. सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंतन्हाई जीवन का महत्वपूर्ण एहसास है जिसके आग़ोश में लिपटी होती हैं संज़ीदा कहानियाँ. तन्हाई जैसे गंभीर बिषय पर आज एक ख़ूबसूरत गुलदस्ता सजा हुआ है इस अंक में. सभी रचनाकारों ने अपनी बेहतरीन क़लमकारी का मुज़ाहिरा किया है. आप सभी को बधाई एवं शुभकामनायें. हम-क़दम के बढ़ते क़दम अब आनंददायी हैं.
जवाब देंहटाएंआदरणीया श्वेता जी को बधाई सुन्दर प्रस्तुतिकरण के लिये.
शानदार प्रस्तुति के लिये बधाई श्वेता जी,
जवाब देंहटाएंमैं आपकी बात से सहमत हूँ कि खालीपन को अवसाद के स्थान पर रचनात्मकता से भरने से वह समय कुछ लेने के स्थान पर देकर जाता है ।सभी रचनाओं की संवेदनशीलता मन को छू गयी । मेरी रचना को सम्मान देने के लिए हृदय से आभार ।
सादर ।
शानदार प्रस्तुतिकरण ....लाजवाब तन्हाई....
जवाब देंहटाएंएक से बढकर एक रचनाएं....
सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं...
खूबसूरत इंद्रधनुष आकाश में तन्हा ही उगता है....
जवाब देंहटाएंऔर सबके आकर्षण का केंद्र बन जाता है । चाँद और सूरज हों या पृथ्वी और तारे...अपनी अपनी हद में सब तन्हा ही तो हैं। इसी तरह हर शख्स भी तन्हा है कहीं ना कहीं...फर्क इतना ही है कि कोई इस तन्हाई को महसूस कर लेता है पल पल और कोई भीड़ के भ्रम में खोया रह जाता है। जिसने शिद्दत से महसूस कर लिया इस अकेलेपन को, वो इस तन्हाई से ही प्यार भी करने लगता है और इसी से बेचैन होकर भटकता भी है कस्तूरी मृग की तरह... चयनित रचनाकारों के ब्लॉग्स पर दिखे तन्हाई के अलग अलग रूप इसी का प्रमाण दे रहे हैं शायद !!!
बेहतरीन प्रस्तुति के लिए श्वेताजी बधाई की पात्र तो हैं ही.....
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जवाब देंहटाएंशानदार लिंद से सजा यह अंक बहुत बढ़िया ही |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
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