महापंडित,शब्द शास्त्री त्रिपिटकाचार्य, अन्वेषक,यायावर,कथाकार,
निबंध-लेखक, आलोचक,कोशकार अथक यात्री और न जाने ऐसे कितने
ही उपनामों से सुशोभित साहित्य जगत के विशिष्ट साहित्यिक सर्जक
राहुल सांस्कृत्यायन का नाम का एक अलग स्थान रखता है।
राहुल सांस्कृत्यायन (केदारनाथ पाण्डेय)
1893-1963
९ अप्रैल१८९३ में आजमगढ़ उत्तरप्रदेश में जन्में तत्वाकार,युगपरिवर्तक, अग्रणी विचारक को शब्दों में समेट पान असंभव है । जीवन के बाह्य-यात्रा और अंतर्यात्रा के विरले प्रतीक ,पैनी दृष्टि प्रवाहपूर्ण लेखनी के द्योतक राहुल सांस्कृत्यायन का साहित्यिक योगदान अतुलनीय है।
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सादर अभिवादन
उड़ान शब्द स्वतंत्रता का प्रतिनिधित्व करता है। बंधनमुक्त हो अपनी क्षमता के अनुरुप क्रियाशीलता से मिलने वाली खुशी उड़ान होती है । मन के नकारात्मक विचार के पिंजरों को तोड़कर सकारात्मकता के पंखों पर जो मंजिल तक पहुँचने के लिए उड़ान भरते हैं वो कभी असफल नहीं होते हैंं। अपने हौसलों और दृढ़ संकल्प की उड़ान से हम अपने लक्ष्य को पा सकने में सक्षम है, बस अपने कर्मों के पंखों पर भरोसा रखिये।
अब दृष्टि डालते हैं आपकी रचनात्मकता के आसमान पर
अभिव्यक्ति के पंख पसारे मोहक उड़ान पर।
चलिए आपकी सृजनशील लेखनी के परों पर उड़ते हुये आपकी प्रतिभा
को महसूस करते है आपकी रचनाओं के द्वारा-
आदरणीया मीना जी
आकाश से ऊँची
जरा उड़ान भर !
पर्वत से उच्च,अपना
स्वाभिमान कर !
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आदरणीय पुरुषोत्तम जी
धर्म, जाति, कुल, वंश का न रहे कोई भेद,
परिधियों के परे हो मेरी पहचान,
विश्व कल्यान हों जिनका आदर्श,
परिधि खुद हो सके विस्तृत,
समय के साथ बढ़ जाने को।
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तभी अचानक कदम उसके
उलझकर जमीं पर लुढ़क गये
सम्भलकर देखा उसने हाय!
आँखों से आँसू छलक गये
आरक्षण रूपी बेड़ियों ने
जकड़ लिए थे बढ़ते कदम
उड़ान भरने को आतुर पंखों ने
फड़फड़ तड़प कर तोड़ा दम।।
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आदरणीया रेणु जी
चिड़िया सी नहीं मैं -
तुम्हे गगन में उड़ा दूँ
ना नम नयना करूं
ख़ुशी से मुस्कुरा दूँ
बहुत थामा दिल को
बन नैन निर्झर गये है
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आदरणीया अपर्णा जी
ढिबरी की रौशनी में पढ़ती हुई लड़की
भरती है हौंसलों की उड़ान,
अंतरिक्ष का चक्कर लगाती है
चाँद तारों को समेट लाती है अपनी मुट्ठी में,
जब जब आंसुओं के मोती देखती है
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आदरणीया आँचल जी
भर लेगा तू एसी उड़ान
जो देखें ज़माने कई
बदलेगा जो लकीरों को
तू लिख दे कहानी नयी
ये हिम्मतों का दौर है
जग जीतने की होड़ है
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आदरणीय मनोज जी कागज दिल में लिखते हैं
ताकत अभी बदन में कमाकर ये खा सकें,
मेहनत जो कर रहे हैं तू उनकी थकान देख|
अँगुली यूँ आसमां पे उठाने से क्या ‘मनुज’
फिर से न हो खराब तू अपनी उड़ान देख|
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आदरणीया डॉ. इन्दिरा जी
उड़ान
मनई कोमल भाव कट रहे
कटई मनई तन शाख
कहाँ किधर बैठे कोई जाकर
जग सुना हुआ मसान !
तपती धूप उड़ान भर रही
भाव अतृप्त और त्रसित हुए
कर्म - धर्म सब द्रव्य हो गया
मनन भाव कहीं लुप्त हुए !
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मन जब उड़ना चाहता है,
उस असीमित आसमान में,
और पैर बन्ध जाते हैं,
कुछ विचारों के जहां में,
अपने हर सवाल का खुद ही जवाब लिखते हैं,
दिल भर आता है भावों से तो ...,
एक नई किताब लिखतें हैं..
पड़ते थे ख्यालों के कदम आसमान पर
जब होश संभाला तो कतरे हुये थे पर
न जाने कितने पहरे थे मेरी जुबान पर
रस्मों रिवायतों में उलझा था इस कदर
कुछ वक़्त का तकाजा कुछ कौम का असर
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आदरणीया कुसुम जी की दो रचनाएँ
इन राहों में धूप गरम है
दूर तक कोई छांव नही है
सहारे की भी उम्मीद ना रखना
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तूफानों ने उजाड़ा उसी गुलशन को
गुल ना कली ना कोई महका गूंचा
बिखरी पंखुरियों का मातम ना कर
फिर एक उड़ान का हौसला रख ।
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कटे हैं पंख तो क्या? अभी जान बाकी है!
अभी तो नापी है जमीं,आसमान बाकी है।
मुट्ठी में बांध कर सारी जमीं,जहां सारा
हौसलों से भरना,अभी तो उड़ान बाकी है।
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आदरणीय सुशील सर
लेखन को पँख
लग गये हैं जैसे
उसने कहा
क्या उड़ता हुआ
दिखा उसे बस
यही पता नहीं चला
लिखा हुआ भी
उड़ता है
उसकी भी उड़ाने
होती हैं सही है
लेकिन कौन सी
कलम किस तरह
कट कर बनी है
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शुभ प्रभात सखी
जवाब देंहटाएंविषय विशेषांक का तेरहवां सप्ताह
उत्साह बरकरार है...
शुभकामनाएँ
सादर
..सुंदर विषय उड़ान,सोच को हमारी पंख लग गए.. सभी चयनित रचनाएं ताजगी से भरपूर एंव हताशा से भरे जीवन को आकाश में उड़ान भरने को प्रेरित करती है.. मैं बहुत motivate हो गई हुं इन्हें पढ़ कर !!
जवाब देंहटाएंउड़ान की ललक हो तो जीना आसान
जवाब देंहटाएंसभी रचनायें समृद्ध
असीम शुभकामनाएं
यह उड़ान यू ही जारी रहे और नित नई ऊँचाइयों को छूए यही हमारी कामना है। सुन्दर प्रस्तुति हेतु समस्त रचनाकारों को बधाई और समन्वयक को ढेरो बधाई।
जवाब देंहटाएंअनंत की उड़ान को अग्रसर इस लिंक के साहित्य के आकाश गंगा की सहस्त्र धारा से अभिषिक्त होने का मंगलाचरण है यह प्रस्तुति! बधाई श्वेता जी इन समस्त साहित्य ऋत्विजों के साथ! शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंशब्दों के पंख लगा सभी कलमकारों ने क्या खूब उड़ान भरी है
जवाब देंहटाएंसभी को शुभकामनाएँ। सुंदर प्रस्तुति श्वेता दीदी।
मेरी रचना को भी मान देने के लिए धन्यवाद
सुप्रभात 🙇
बहुत सुन्दर प्रयास। सभी उड़ानों को शुभकामनाएं और आभार श्वेता जी 'उलूक' में से उड़ान को ढूँढ लाने के लिये।
जवाब देंहटाएंवाह!!सभी रचनाएँ बहुत सुंदर ..सभी की उड़ान बहुत ऊँची ....। सुंंदर प्रस्तुति श्वेता । सभी रचनाकारों को हार्दि अभिनंदन ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन ।सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।
जवाब देंहटाएंयह अंक विशेष है और इसकी रचनाएँ भी। हमारे देश में कभी यायावरों की बात होती है तो उसमें महापण्डित राहुल सांकृत्यायन का नाम सर्वोपरि आता है। आज उनका जन्म दिवस है और उड़ान भी एक तरह से यात्रा ही है चाहे वह मन की हो, तन की हो, सपनों की हो या उम्मीदों की हो। हमारे साथियों ने उड़ान शब्द को अपनी रचनाशीलता से बहुत व्यापक उड़ान दी है।
जवाब देंहटाएंआप सभी को शुभकामनाएं और बधाई। इस अंक में मेरी रचना को भी शामिल करने के लिए बहुत आभार।
सादर
निःशब्द करता चयन सभी रचनायें एक से बढ़कर एक .... शुभकामनाएं आप को इस उत्तम प्रयास हेतु
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचनाओं का संग्रह सभी रचनाकारों को बधाई
जवाब देंहटाएंप्रिय श्वेता जी
जवाब देंहटाएंसाहित्यकार व विषय के सार्थक परिचय के साथ सभी उम्दा लिंक संयोजन । सभी रचनाएँ एक से बढ कर एक है ।रचनाकारों को बधाई ।
सादर ।
लाजवाब प्रस्तुतिकरण ऊँची उड़ान के साथ...
जवाब देंहटाएंमेरी अधूरी उड़ान को विशेषांक में स्थान देने के लिए आपका हृदय से आभार एवं धन्यवाद
श्वेता जी!
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंय श्वेता --- यात्रा साहित्य के पितामह कहे जाने वाले जिज्ञासु यायावर परम आदरणीय राहुल सांस्कृत्यायन जी को समर्पित भूमिका के साथ आज का अंक निहार कर मन आह्लादित हो उठा | आदरणीय राहुल जी का नाम यात्रा साहित्य में अमर है | लम्बी यात्रायें और उन पर लम्बे आख्यान !!!!!!!!!! उनके बाद आज तक इस विषय पर कोई उनके आसपास भी नहीं आ पाया है | उन्हें विनम्र नमन | हमकदम आज १३ वें पडाव तक आ पहुंचा , वो भी अपनी सार्थक और उच्च स्तर के साथ | उड़ान के रूप में सभी रचनाकारों की कल्पना ने खूब उड़ान भरी | सभी ने सार्थक लिखा , अनिर्वचनीय रचा | अभी कुछ रचनाये पढ़ नहीं पायी पर जरुर पढूंगी |सभी रचनाकारों को शुभकामनाये और आपको हार्दिक बधाई इस सुंदर प्रयास के लिए | मेरी रचना को स्थान दिया जिसके लिए सस्नेह आभार |
जवाब देंहटाएंउड़ान बिषय पर विविधता से परिपूर्ण सृजन की मनमोहक झाँकी सज गयी है आज के अंक में. आदरणीया श्वेता सिन्हा जी का प्रस्तुतिकरण क़ाबिल-ए-तारीफ़ है. सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंसाहित्य के जगमग सितारे यायावर राहुल सांस्कृत्यायन (केदारनाथ पाण्डेय) जी को उनकी जयंती पर सादर नमन.
सहृदय धन्यवाद श्वेता जी मेरी रचना को सम्मिलित करने हेतु और सभी का सादर आभार आप सब की उत्तम प्रतिक्रियाओं हेतु...
जवाब देंहटाएंसबको सादर प्रणाम
पाठकों की, लेखकों की कल्पनाओं को उड़ान के नए आकाश देने हेतु तहेदिल से आभार ! ईश्वर से प्रार्थना है कि हम सब इसी तरह हमकदम बनकर साथ साथ चलते रहें, हमेशा !!!!
जवाब देंहटाएंसादर, सस्नेह !!!
उम्दा उड़ान कविता की श्वेता जी |
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