फूलों सी सुकुमार राधिके
सपने सरस सजाओं
पट घूंघट के खोल सुलोचनी
आनन चंद्र दिखाओ
आनन चंद्र दिखाओ राधिके
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंनेताओं की राजनीति में
आम जनता पिस जाती है...
आधार चाहे कुछ भी हो,
तर्क भी चाहे कुछ भी हो!
देश में कौन-सी ऐसी जाति होगी
जो आज अपने समुदाय को मिलने वाले
आरक्षण का लाभ नहीं उठाना चाहेगी।
और ऐसी कौन-सी राजनीतिक पार्टी होगी
जो आज आरक्षण समाप्ति के पक्ष में होगी?
सादर
आपने नब्ज़ पर हाथ रख दिया .
हटाएंउंगली उठाने से पहले हम सबको सोचना चाहिए .
मंज़िल तक पहुंचो,
जवाब देंहटाएंना पहुंचो,
चलते रहो।.....बढ़िया संकलन!
धन्यवाद विश्वमोहन जी .
हटाएंएक शेर याद आया ..
"मेरी ज़िन्दगी इक मुसलसल सफ़र है,
जो मंजिल पे पहुंचा तो मंजिल बढ़ा दी."
: )
आदरणीय पम्मी जी,
जवाब देंहटाएंसुप्रभात्।
चंद पंक्तियों में सारगर्भित समसामयिक भूमिका का उल्लेख किया है आपने। आम जनता तो सदा से ही स्वार्थ पूर्ति का सरल मार्ग रही है।
बहुत अच्छी रचनाओं का सराहनीय संयोजन किया है आपने आज के अंक में।
मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका अति आभार।
सादर।
सुंदर संकलन....
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंहम बस चिंता कर सकते हैं जो हल निकाल सकते हैं उनके आगे बीन बजाने सी हालात हैं
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुतीकरण
शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।
सुंदर प्रस्तुति ...सभी रचनाएँ एक से बढकर एक ..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद पम्मीजी . आपने अच्छा चित्र चुना कविता के लिए . नाम की वर्तनी सही कर दीजियेगा . नूपुरं होना चाहिए .
जवाब देंहटाएंचर्चा के सम्बन्ध में मेरा विचार यह है कि नेताओं को हर समस्या के लिए दोषी ठहरा कर हम अपने उत्तरदायित्व से मुक्त हो लेते हैं .
वो बहकाते हैं तो हम बहकते क्यों हैं ?
कहीं ऐसा तो नहीं हम भी चाहते हैं वही ??
पम्मीजी और सभी रचनाकारों को बधाई .
पिछले दिनों जो कुछ घटित हुआ, दुखद तो था ही, आम जन-मन को भी व्यथित करता गया ! जिसका असर रचनाओं पर साफ़ दृष्टिगोचर हो रहा है !
जवाब देंहटाएंबात कोई भी हो, मुद्दा कोइ भी हो बस हिंसा नहीं होनी चाहिए। आरक्षण का मुद्दा बोतल का जिन्न है कभी अंदर कभी बाहर। विचार अलग हो सकते हैं लेकिन हिंसक व्यवहार से कोई सहमत नहीं होगा।
जवाब देंहटाएंसुन्दर और समीचीन प्रस्तुति।
सादर
बेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक संयोजन आदरणीया पम्मी जी द्वारा. सार्थक भूमिका. विचारणीय एवं सामयिक रचनाओं का चयन अंक को प्रभावशाली बना रहा है.
जवाब देंहटाएंइस अंक में चयनित सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें.
बेहतरीन लिंक्स के साथ उम्दा प्रस्तुति .....👍
जवाब देंहटाएंसंवेदनशील अनुभूति देती भुमिका सामायिक समस्याओं पर चिंता और चिंतन देती सार्थक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को सामिल करने के लिये तहे दिल से शुक्रिया, साथी चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई