यदि बाधा हो
तो दे दो केवल पाँच ग्राम, रखो
अपनी धरती तमाम
हम वहीँ खुशी से खायेंगे,
परिजन पे असी ना उठाएंगे
रश्मिरथी/तृतीय सर्ग /भाग 3 /
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की पुण्यतिथि पर शत शत नमन..
यहीं तक कल फिर एक नई लिंकों के साथ..
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें
आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।
टिप्पणीकारों से निवेदन
1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात सखी
जवाब देंहटाएंदिनकर जी को हम स्कूल से पढ़ते आ रहे हैं
आभार..
बेहतरीन प्रस्तुति
सादर
सुन्दर संकलन!!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउम्दा रचनायें
बहुत सुंदर प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति, दिनकर जी का सुंदर काव्य,
जवाब देंहटाएंसभी रचनाऐं बहुत सुंदर पठनीय, रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
बहुत सुंदर प्रस्तुति पम्मी जी,दिनकर जी की कालजयी रचनाएँ सदैव प्रेरक है। सारगर्भित भूमिका के साथ बेहतरीन रचनाओं का गुलदस्ता बहुत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
सुन्दर संकलन दिनकर जी के लिये विशेष आभार
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा पठनीय लिंक संकलन..
जवाब देंहटाएंअप्री पम्मी जी -- सबसे पहले साहित्य शिरोमणि आदरणीय दिनकर जी की पुण्य तिथि पर उन्हें शत- शत सादर नमन | राष्ट्र कवि दिनकर जी की हिंदी साहित्य को रश्मिरथी , कुरुक्षेत्र उर्वशी सरीखी रचनाओं का उपहार दे अतुलनीय योगदान दिया | साहित्य अकेडमी और सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ से विभूषित किये गये तो वीर रस के कवि कह पुकारे गये | गहन चिन्तक , निबंधकार दिनकर जी का महाकाव्य लेखन में योगदान अविस्मरनीय है | आज की सभी रचनाये पढ़ीं | बहुत अच्छी लगी | मेरी रचना को स्थान दिया गया | आपके निरंतर सहयोग के लिए आभारी हूँ | सभी सहयोगी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं | आपको हार्दिक बधाई और शुभकामना आज के लिंकों के सफल संयोजन के लिए | सस्नेह --
जवाब देंहटाएं