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बुधवार, 28 मार्च 2018

985..मेरे ख्यालों के शब्द,प्रश्न बनके मुझसे ही पूछते..


।।शुभ वन्दन।।



इस सुंदर ,सुसंस्कृत  ,सुविचार शब्दों से 

आज का संकलन की ..✍

 प्रथम प्रस्तुति ब्लॉग    " कलम घिस्सी "सेे

हे प्रभु

तुझको कण- कण में 

खोजने का करूँ जतन 

पर कहाँ मैं तुझको पाऊँ

ये मन समझ न पाए

आस बड़ी है

तुझको पाने की

और एक पल को 

हो निराश मैं सोचूँ 

क्या कभी मनोरथ ये मेरा 

हो पाएगा पूरा
द्वितीय प्रस्तुति ब्लॉग "मेरा मन" से..


न शक्ल-न अक्ल, न संगी-न साथी, न जानकारी-न अनुभव, न सहयोग-न मार्गदर्शन, न धन-न साधन, यानि सफलता के लिए जरूरी सारे मार्ग अंधेरों से भरे।

शुभ्रा अवसाद से घिरती जा रही थी। अचानक उसने खुद को झकझोरा और कहा- 'तुम कमजोर नहीं हो शुभ्रा' और अपने हौसले, आत्मनिष्ठा, सपने, चाहतें, लक्ष्य, आशा, समर्पण और स्वाभिमान से आच्छादित करते हुए दृढ़संकल्प के धागे में पिरो लिया। 

तृतीय ब्लॉग "पाल ले इक रोग नादां..." से आनंद ले.।


गुज़र जाएगी शाम तकरार में

चलो ! चल के बैठो भी अब कार में

अरे ! फ़ब रही है ये साड़ी बहुत

खफ़ा आईने पर हो बेकार में

तुम्हें देखकर चाँद छुप क्या गया

फ़साना बनेगा कल अख़बार में..

चतुर्थी ब्लॉग ...यादें...से..



फिर पतझड़ में, पत्ता टूटा

शाख़ से उसका, नाता छुटा,

जब तक था, डाली पे लटका  

न जान को था, कोई भी खटका.. 

अब कौन करें उसकी रखवाली 

रूठ गया जब बगिया का माली.. 

पंचमी कड़ी में ब्लॉग "ज़िन्दगी रंग शब्द"  से...



सुनहरे ख़्वाब मेरे,शब्द बनके कविता में ढल रहे हैं,

मेरे ख्यालों के शब्द,प्रश्न बनके मुझसे ही पूछते हैं, 

ये प्रश्न मेरे जवाब बन,आपके लफ़्ज़ों में पल रहे हैं।  

आखिरी में भोजपुरी गीत..चयैता विशाल गगन जी के स्वर में..
सावन से न भादों दुबर
फागुन से ह चइत ऊपर
गजबे महीना रंगदार..

हम-क़दम का बारहवें क़दम
का विषय...
...........यहाँ देखिए...........




।।इति शम।।
धन्यवाद

पम्मी सिंह..✍










24 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    महाकवि दिनकर जी का कथन आज भी जीवन्त है
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सभी रचनाएं पठनीय हैं। सुन्दर रचनाओं का संकलन।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    सभी रचनाकारों को बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर प्रभावशाली सारगर्भित भूमिका दिनकर जी की कविता स्वयं में परिपूर्ण है।
    बहुत सुंदर शानदार लिंकों का लाज़वाब संयोजन कर पम्मी जी ने आज का अंक खास बना दिया है।

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह!!पम्मी जी !!बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  6. महान कवि रामधारी सिंह दिनकर जी को नमन
    उनकी रचनाएँ सदैव से उत्कृष्ट कोटि की रही हैं
    आज का संकलन बहतरींन सभी रचनाएँ पठनीय

    जवाब देंहटाएं
  7. स्नेही पम्मी जी दिनकर जी की ये रचना हृदय के पास है
    क्षमा करे इसका सौंदर्य पुरा देखना हो तो कविता की पुरी पंक्तियां देखनी जरूरी है मै डाल रही हूं अन्था न लेवें।
    तब भी हम ने गाँधी के
    तूफ़ान को ही देखा,
    गाँधी को नहीं ।

    वे तूफ़ान और गर्जन के
    पीछे बसते थे ।
    सच तो यह है
    कि अपनी लीला में
    तूफ़ान और गर्जन को
    शामिल होते देख
    वे हँसते थे ।

    तूफ़ान मोटी नहीं,
    महीन आवाज़ से उठता है ।
    वह आवाज़
    जो मोम के दीप के समान
    एकान्त में जलती है,
    और बाज नहीं,
    कबूतर के चाल से चलती है ।

    गाँधी तूफ़ान के पिता
    और बाजों के भी बाज थे ।
    क्योंकि वे नीरवताकी आवाज थे।

    बहुत शानदार प्रस्तुति।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं
  8. सुन्दर सार्थक पठनीय सूत्रों का बढ़िया संकलन !

    जवाब देंहटाएं
  9. सार्थक प्रस्तुति आदरणीया पम्मी जी। बढ़िया रचनाओं का संकलन । सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  10. सुन्दर संकलन ...
    दिनकर जजी की लाजवाब रचना ... आभार ...

    जवाब देंहटाएं
  11. प्रिय पम्मी जी -- साहित्य शिखर आदरणीय दिनकर जी की रचना से लिंकों की शुरुआत और भोजपुरी मधुर चैतवा से विराम | कितना अच्छा लगा जब भोजपुरी गीत पहली बार सुना तो उस ब्लॉग पर भी आपका आभर लिख दिया | पहली बार पता चला कि फागुन से चैत क्यों श्रेष्ठ है ? बहुत आभारी हूँ आपकी, कि आपने उस मधुर ब्लॉग से परिचय करवाया |और दिनकर जी का आह्वान '' कवि, गरजो , गरजो--- कितना प्रासंगिक है आज भी | कवी की ओजस्वी वाणी आज भी अलसाये समाज और जनमानस में चेतना जगा सकती है | सभी रचनाकारों की रचनाएँ पढ़ी | सभी सार्थक | सभी सहभागी बधाई के पात्र हैं | आपको भी सार्थक हृदयस्पर्शी प्रस्तुति के लिए सस्नेह बधाई और शुभकामनाएं |

    जवाब देंहटाएं
  12. सोचने को बाध्य करने वाला बड़ा ही खूबसूरत पन्ना और चर्चा ....धन्यवाद .

    जवाब देंहटाएं
  13. लाजवाब प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन

    जवाब देंहटाएं

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