





चाहती हैँ
ईँट भट्टोँ मेँ
काम करने वाली महिलाएं
कि उनका भी
अपना घर होका विषय...
...........यहाँ देखिए...........
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...






चाहती हैँ
ईँट भट्टोँ मेँ
काम करने वाली महिलाएं
कि उनका भी
अपना घर हो
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
अच्छी रचनाएँ
अच्छे विचार
किया जाए काम कोई
तो असम्भव भी सम्भव हो जाता है
सादर
सुप्रभात स्वेता दी,
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति.. सदैव की भांति, चयनित रचनाएं अच्छी है।
सुप्रभात ,
जवाब देंहटाएंविभिन्न पुष्पों से संयोजित पुष्पगुच्छ की भांति संयोजित अत्यन्त सुन्दर प्रस्तुतिकरण !!
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति, संदेश प्रेरित करती भुमिका के साथ उम्दा रचनाओं का चयन।
सभी रचनाकारों को बधाई ।
बहुत सुंदर प्रस्तुती
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई
सुंदर प्रस्तुति के साथ संदेशात्मक भूमिका।
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को बधाई
धन्यवाद
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंकमाल का संयोजन
सभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मलित करने का आभार
सादर
प्रिय श्वेता जी-- आधी आबादी पर हृदयस्पर्शी चिंतन और उत्कृष्ट रचनाओं के साथ आज का लिंक बहुत उम्दा है | वो महिलाएं जिनकी जाने कितनी पीढियां किसी मसीहा की प्रतीक्षा करती , अधूरे सपनों को जीती और विपन्नता से जूझती गुजर गयी - पर उनके दिन ना बदले -- आशा करनी चाहिए कि उनके दिन भी बदले और उन्हें उनके अधिकार मिले | इसी प्रार्थना के साथ आपको हार्दिक बधाई |
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति!!!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन....
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद
जवाब देंहटाएंश्रम फलित
जवाब देंहटाएंहम हुए हर्षित
सस्नेहाशीष
महिला दिवस पर महिलाओं को समर्पित रचनाओं का उम्दा संकलन ! सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने हेतु सादर, सस्नेह आभार आदरणीया श्वेता जी।
विश्व महिला दिवस पर महिलाओं के तमाम मुद्दों पर रचनाकारों ने अपना अपना नज़रिया पेश किया है विभिन्न रचनाओं के माध्यम से।
जवाब देंहटाएंआज की प्रस्तुति की भूमिका में उपेक्षित वर्ग की महिलाओं की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करने का आदरणीय श्वेता जी ने प्रयास किया है जो कि निसंदेह है लाज़मी है।
किसी विषय पर एक दिन चिंतन कर लेना उस समस्या का हल नहीं होता ज़रूरी बात यह है कि मुद्दों का निपटान करने के लिए अर्थात उनके समाधान के लिए कारगर नीतियों की ज़रूरत है , समाज की सोच में परिवर्तन लाने की ज़रूरत है। समाज को संवेदनशील बनाने की ज़रूरत है।
बेहतरीन प्रस्तुति, सार्थक लिंक संयोजन ।
जवाब देंहटाएंसस्नेहाभिवादन श्वेता जी ।
सशक्त संकलन, आभार
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