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गुरुवार, 24 अगस्त 2017
769.......ओस की बूँद जैसे नश्वर विश्वास पर
महिलाओं की "पोस्ट"पर न्यौछावर "कुछ" लोगों की अजीब मानसिकता.....गगन शर्मा, कुछ अलग सा
वैसे कोशिशें जारी हैं इन पर भी तोहमत लगाने और नीचा दिखाने की ! अब तो जनता जनार्दन पर ही आशा है कि वह अपनी नींद त्यागे, अपने तथाकथित आकाओं की असलियत पहचाने, आँख मूँद कर उसकी बातों में ना आएं, नापे-तौलें फिर विश्वास करें ! जाति-धर्म के साथ-साथ देश की भी सुध ले ! क्योंकि देश है तभी हमारा भी अस्तित्व है !
आदरणीय दीदी साधना वैद जी की ताज़ा रचना जोकि विश्वास की गहन व्याख्या करती है और उसके पहलुओं के अन्तर्सम्बन्ध उकेरती है। पढ़िए मन में ताज़गी भरती एक गंभीर रचना -
विश्वास......साधना वैद
कैसा था यह विश्वास
अश्लील .............हरिशंकर परसाई
शहर में ऐसा शोर था कि अश्लील साहित्य का बहुत प्रचार हो रहा है। अखबारों में समाचार और नागरिकों के पत्र छपते कि सड़कों के किनारे खुलेआम अश्लील पुस्तकें बिक रही हैं।
दस-बारह उत्साही समाज-सुधारक युवकों ने टोली बनाई और तय किया कि जहाँ भी मिलेगा हम ऐसे साहित्य को छीन लेंगे और उसकी सार्वजनिक होली जलाएँगे।
13 टिप्पणियां:
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआज की प्रस्तुति
वास्तविकता का दर्शन कराती है
सादर
वाह....
जवाब देंहटाएंसादर
वैचारिक साक्षरता भरने में सक्षम आज की प्रसतुति अत्यंत ही सराहनीय है। स्वागतम ससधन्यवाद
जवाब देंहटाएंशुभप्रभात....
तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर निश्चित रूप से सर्वोच्च न्यायालय ने अत्यंत सराहनीय कार्य किया है ! मुस्लिम समाज में भी इसका भरपूर स्वागत हो रहा है ! अब एक और ऐतिहासिक कदम उठा इस समाज में प्रचलित बहुविवाह प्रथा को भी असंवैधानिक घोषित करना बहुत आवश्यक हो गया है !
जवाब देंहटाएंआज की प्रस्तुति में बहुत ही सारगर्भित एवं पठनीय सूत्रों का समावेश ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी !
प्रत्येक रचना से पहले आपकी सुन्दर भावाभिव्यक्ति रचना को और भी सारगर्भित और आकर्षक बना रही है.....लाजवाब प्रस्तुतिकरण के साथ उम्दा लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद, रविन्द्र जी !
सादर आभार....
उम्दा संकलन
जवाब देंहटाएंमेहनत दिख रहा
जवाब देंहटाएंअसीम शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंउषा स्वस्ति..
अच्छी प्रस्तुतिकरण के साथ उम्दा लिंक संकलन... मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी।
अच्छी लगी नए अंदाज में हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रत्येक रचना से पहले आपकी सुन्दर भावाभिव्यक्ति रचना को और भी सारगर्भित और आकर्षक बना रही है.....लाजवाब प्रस्तुतिकरण के साथ उम्दा लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद, रविन्द्र जी !
सादर आभार....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति रवीन्द्र जी।
जवाब देंहटाएंआदरणीय "रविंद्र'' जी प्रणाम
जवाब देंहटाएंआज का अंक कई मुद्दों पर चर्चा को विवश करता है समाज के उत्थान में आप जैसे विद्वान लोगों का सहयोग आवश्यक है। रचनाओं का चयन उम्दा ! शुभकामनाओं सहित ,आभार
''एकलव्य"
सुन्दर प्रस्तुति।
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