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गुरुवार, 24 अगस्त 2017

769.......ओस की बूँद जैसे नश्वर विश्वास पर


                                                        सादर अभिवादन!
                    मंगलवार को सर्वोच्च न्यायलय ने मुस्लिम महिलाओं को क़ानूनी हक़ देते हुए तीन तलाक़ के रिवाज को प्रतिबंधित करने का ऐतिहासिक फ़ैसला दिया जिसका व्यापक स्वागत किया जा रहा है। संविधान की आत्मा के अनुसार समानता का अधिकार पाना सबका हक़ है।  पाकिस्तान सहित 8 मुस्लिम देश इस प्रथा को समाप्त कर चुके हैं तो भारत में ऐसा होना आश्चर्यजनक नहीं है। 
       
       चलिए आपको अब आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर  ले चलते हैं -
ग्लोबल रायटर होने के दायित्व से विमुख लोग तकनीक और सहूलियत का दुरूपयोग कर रहे हैं। यहाँ भी बयां हो रहा है  कुछ विचारणीय , गगन शर्मा जी की एक सामयिक प्रस्तुति -

महिलाओं की "पोस्ट"पर न्यौछावर "कुछ" लोगों की अजीब मानसिकता.....गगन शर्मा, कुछ अलग सा


 वैसे कोशिशें जारी हैं इन पर भी तोहमत लगाने और नीचा दिखाने की !  अब तो जनता जनार्दन पर ही आशा है कि वह अपनी नींद त्यागे, अपने तथाकथित आकाओं की असलियत पहचाने, आँख मूँद कर उसकी बातों में ना आएं, नापे-तौलें फिर विश्वास करेंजाति-धर्म के साथ-साथ देश की भी सुध ले ! क्योंकि देश है तभी हमारा भी अस्तित्व है

     आदरणीय  दीदी साधना वैद जी की ताज़ा रचना जोकि  विश्वास की गहन व्याख्या करती है और उसके पहलुओं के अन्तर्सम्बन्ध उकेरती है।  पढ़िए मन में ताज़गी भरती एक गंभीर रचना - 

विश्वास......साधना वैद 


कैसा था यह विश्वास

 जो मन की सारी आस्था

सारी निष्ठा को

निमिष मात्र में हिला गया !  

किस विश्वास पर भरोसा करूँ

काँच से नाज़ुक विश्वास पर या

ओस की बूँद जैसे नश्वर

विश्वास पर

जैसा होना चाहिए जब वैसा हो तो व्यंग स्वतः अपना मार्ग तलाशता है। हमने ख़ूब सुना और पढ़ा है कि भ्रष्टाचार रोकने के लिए नियुक्त अमला ख़ुद भ्रष्टाचार में लिप्त पाया जाता है।  कुछ ऐसा ही समाज का भ्रष्टाचार उजागर करती व्यंग के सिरमौर स्वर्गीय हरिशंकर परसाई जी की आदरणीय दिग्विजय अग्रवाल जी द्वारा प्रस्तुत एक शानदार कृति-

अश्लील .............हरिशंकर परसाई

शहर में ऐसा शोर था कि अश्‍लील साहित्‍य का बहुत प्रचार हो रहा है। अखबारों में समाचार और नागरिकों के पत्र छपते कि सड़कों के किनारे खुलेआम अश्‍लील पुस्‍तकें बिक रही हैं।

दस-बारह उत्‍साही समाज-सुधारक युवकों ने टोली बनाई और तय किया कि जहाँ भी मिलेगा हम ऐसे साहित्‍य को छीन लेंगे और उसकी सार्वजनिक होली जलाएँगे।


धरती को भले ही हमने राजनैतिक सीमाओं में बाँध लिया है लेकिन 

प्रकृति की अनमोल कृति कहलाता मनुष्य ही आज सर्वाधिक चर्चित है 

धरती की नैसर्गिकता को क्षति पहुँचाने के लिए।  पढ़िए एक सारगर्भित 

विचारोत्तेजक रचना सुधा देवरानी जी की -

धरती माँ की चेतावनी .......सुधा देवरानी 


अभी वक्त है संभल ले मानव !

खिलवाड़ कर तू पर्यावरण से

संतुलन बना प्रकृति का आगे,

बाहर निकल दर्प के आवरण से

चेतावनी समझ मौसम को कुदरत की !

वरना तेरी प्रगति ही तुझ पर भारी होगी

    अब तुझ पर ही तेरे विनाश की ,

        हर इक जिम्मेदारी होगी........

पम्मी जी की ताज़ातरीन रचना चुप होकर भी कितनी मुखर हो उठी है 

.....महसूस कीजिये एक मार्मिक अभिव्यक्ति में समाये एहसास

तुम चुप थी उस दिन.... पम्मी सिंह


जिंदगी की राहों से जो गुज़री हो 


जो ज़मीन तलाश कर सकी ,

मसाइलों की क्या बात करें..

ये उम्र के हर दौर से गुज़रती है.

  

 हिंदी के जाने माने साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित सुप्रसिद्ध कवि स्वर्गीय  डॉक्टर चंद्रकांत देवताले जी की अंजू शर्मा जी द्वारा प्रस्तुत पेश हैं  दस प्रतिनिधि रचनाऐं-


मैं वेश्याओं की इज्जत कर सकता हूं
 पर सम्मानितों की वेश्याओं जैसी हरकतें देख
 भड़क उठता हूं पिकासो के सांड की तरह
 मैं बीस बार विस्थापित हुआ हूं
 और ज़ख्मों की भाषा और उनके गूंगेपन को
 अच्छी तरह समझता हूं
 उन फीतों को मैं कूड़ेदान में फेंक चुका हूं
 जिनमें भद्र लोग
 जिंदगी और कविता की नापजोख करते हैं


           
             आपके सारगर्भित सुझावों की प्रतीक्षा में  
               अब आज्ञा दें। 
              फिर मिलेंगे।




13 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    आज की प्रस्तुति
    वास्तविकता का दर्शन कराती है
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. वैचारिक साक्षरता भरने में सक्षम आज की प्रसतुति अत्यंत ही सराहनीय है। स्वागतम ससधन्यवाद
    शुभप्रभात....

    जवाब देंहटाएं
  3. तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर निश्चित रूप से सर्वोच्च न्यायालय ने अत्यंत सराहनीय कार्य किया है ! मुस्लिम समाज में भी इसका भरपूर स्वागत हो रहा है ! अब एक और ऐतिहासिक कदम उठा इस समाज में प्रचलित बहुविवाह प्रथा को भी असंवैधानिक घोषित करना बहुत आवश्यक हो गया है !
    आज की प्रस्तुति में बहुत ही सारगर्भित एवं पठनीय सूत्रों का समावेश ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी !

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रत्येक रचना से पहले आपकी सुन्दर भावाभिव्यक्ति रचना को और भी सारगर्भित और आकर्षक बना रही है.....लाजवाब प्रस्तुतिकरण के साथ उम्दा लिंक संकलन...
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद, रविन्द्र जी !
    सादर आभार....

    जवाब देंहटाएं

  5. उषा स्वस्ति..
    अच्छी प्रस्तुतिकरण के साथ उम्दा लिंक संकलन... मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी।

    जवाब देंहटाएं
  6. अच्छी लगी नए अंदाज में हलचल प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  7. प्रत्येक रचना से पहले आपकी सुन्दर भावाभिव्यक्ति रचना को और भी सारगर्भित और आकर्षक बना रही है.....लाजवाब प्रस्तुतिकरण के साथ उम्दा लिंक संकलन...
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद, रविन्द्र जी !
    सादर आभार....

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति रवीन्द्र जी।

    जवाब देंहटाएं
  9. आदरणीय "रविंद्र'' जी प्रणाम
    आज का अंक कई मुद्दों पर चर्चा को विवश करता है समाज के उत्थान में आप जैसे विद्वान लोगों का सहयोग आवश्यक है। रचनाओं का चयन उम्दा ! शुभकामनाओं सहित ,आभार
    ''एकलव्य"

    जवाब देंहटाएं

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