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मंगलवार, 15 अगस्त 2017

760....स्वतंत्रता दिवस और जन्माष्टमी की आप सभी को.... मंगलकामनाएं.....


जय मां हाटेशवरी....

स्वतंत्रता दिवस देशभक्ति का पर्व है और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हमारे इष्टदेव भगवान् श्रीकृष्ण की भक्ति का पर्व है, जब देशभक्ति और ईश्वर की भक्ति का मिलन होता है तो एक अलग ही समरसता का माहौल होता है।  आज के दिन देशभक्ति का पर्व स्वतंत्रता दिवस और ईश्वर की भक्ति का पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी दोनों साथ-साथ पड़े हैं। इसलिए देश में हर घर में एक तरफ देशभक्ति के गीत चल रहे हैं...  और साथ-साथ भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की खुशी में बधाई भजन गाये जा रहे हैं...  यह दृश्य अत्यंत मनमोहक लग रहा है।   जिसका साक्षी सम्पूर्ण देश है.... इस दिन पूरे देश में भारत माता की जय, वन्दे मातरम् के उद्घोष के साथ   नन्द के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की का उद्घोष हो रहा है...
जिससे स्पष्ट है....आने वाला समय भारत के लिये शुभ होगा....


महा-भारत के युद्ध का सबसे बड़ा कारण....देश का विभाजन था....
भारत की आजादी के वक्त भी  हमने जो देश का विभाजन स्विकार किया....
मैं सोचता हूं....वो उचित कदम नहीं था....
विभाजन से कभी अमन नहीं हो सकता....
इस लिये आज हमारे देश की सरहदों पर अमन नहीं है....
भीष्म ने महाभारत में ठीक ही कहा था...
"पितामह भीष्म युधिष्ठिर से : राजीनीति का मूल तत्व है कि देश के हितों से बढ़कर तो राजा का कोई और हित हो ही नहीं सकता । और पुत्र यदि तुम्हे ये दिखाई दे कि तुम्हारा कोई ऐसा कोई हित है तो समझ लो कि तुम भी राजधर्म से भटक गए हो । देश राजा के लिए नहीं होता पुत्र राजा देश के लिए होता है । और वो राजा कभी अपने देश के लिए शुभ नहीं होता जो अपने देश के आर्थिक और सामाजिक दोष के लिए अपने अतीत को उत्तरदायी ठहरा कर संतुष्ट हो जाए । यदि अतीत ने तुम्हे एक निर्बल आर्थिक और सामाजिक ढांचा दिया है तो उसे सुधारो उसे बदलो क्यूंकि अतीत तो यूँ भी वर्तमान की कसौटी पर कभी खरा उतर नहीं सकता । क्यूंकि अतीत यदि स्वस्थ होता और उसमे देश को प्रगति के मार्ग पर ले जाने की शक्ति होती तो फिर परिवर्तन ही क्यों होता ??
किसी समाज की सफलता की सही कसौटी यही है कि वहाँ नारी जाति का मान होता है या उसका अपमान किया जाता है । देश की सीमा माता की वस्त्र की भांति आदरणीय है उसकी सदैव रक्षा करना चाहिए । धर्म विधियों या औपचारिकताओं का अधीन नहीं है । धर्म अपने कर्तव्यों और दूसरों के अधिकारों के संतुलन का नाम है ।

इसलिए धर्म का पालन अवश्य करो । राज धर्म भी यही है किन्तु राजा का दायित्व नागरिक के दायित्व से कहीं अधिक होता है । यदि कोई परिस्थिति देश के विभाजन की मांग कर रही हो तो कुरुक्षेत्र में आ जाओ किन्तु देश का विभाजन कभी ना होने दो ।

क्या तुम पाँचों भाई माता कुंती को काट कर आपस में बाँट सकते हो ??  यदि नहीं तो मातृभूमि का विभाजन कैसे संभव हो सकता है ??"


स्वतंत्रता दिवस और जन्माष्टमी की आप सभी को....
मंगलकामनाएं.....
भारत के जो वीर आजादी के लिये....
और भारत की सरहदों की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए हैं....
...उन्हे भी शत-शत नमन....
अब पेश है....आज के लिये मेरी पसंद...

चल रे हर सिंगार ,तुझे मैं साथ ले चलूँ. .
सौरभमय सुकुमार रँगों में संध्याओं से भोर काल तक
आंगन की श्री-शोभा संग रातों के झिलमिल-से उजास तक
  थोड़ा़ यह आकाश ले चलूँ ,अति प्रिय यह वातास ले चलूँ  .

सब ख़ामोश हो गए....विवेक माधवार
 चिताओं में अब हम तुमको भी सुला देंगे
बहुत बेशर्म हैं हम तुमको भी भुला देंगें
सियासी दाँव पेंचों से वो सब निर्दोष हो गए
बच्चे थे साहेब ............सब ख़ामोश हो गए

हथियार के सौदागरों यूँ खून तुम पीते रहो।
आदेश दे उपदेश दे हर देश का शासक सदा।
जनता भरे सैनिक मरे परिवार भोगे आपदा।
दुल्हन नई नवजात भी करता प्रतीक्षा अनवरत्
करते रहेंगे जिन्दगी भर युद्ध की कीमत अदा।
दस लाख देकर धन्य है इस देश का शासक अहो।
हथियार के सौदागरों यूँ खून तुम पीते रहो।।

श्री कृष्ण और साम्यवाद ------ विजय राजबली माथुर
योगीराज श्री कृष्ण का सम्पूर्ण जीवन शोषण-उत्पीड़न और अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष करते हुये ही बीता किन्तु ढ़ोंगी-पोंगापंथी-पुरोहितवाद ने आज श्री कृष्ण के संघर्ष को 'विस्मृत' करने हेतु उनको अवतार घोषित करके उनकी पूजा शुरू करा दी। कितनी बड़ी विडम्बना है कि 'कर्म' पर ज़ोर देने वाले श्री कृष्ण के 'कर्मवाद' को
भोथरा करने के लिए उनको अलौकिक बता कर उनकी शिक्षाओं को भुला दिया गया और यह सब किया गया है शासकों के शोषण-उत्पीड़न को मजबूत करने हेतु। अनपढ़ तो अनपढ़ ,पढे-लिखे मूर्ख ज़्यादा ढोंग-पाखंड मे उलझे हुये हैं। तथा कथित प्रगतिशील साम्यवादी बुद्धिजीवी जिंनका नेतृत्व विदेश मे बैठे पंडित अरुण प्रकाश मिश्रा और देश मे उनके बड़े भाई पंडित ईश मिश्रा जी  करते हैं सांप्रदायिक तत्वों द्वारा निरूपित सिद्धांतों को धर्म मान कर धर्म को त्याज्य बताते हैं। जबकि धर्म=जो शरीर को धारण करने के लिए आवश्यक है वही 'धर्म' है;जैसे-सत्य,अहिंसा (मनसा-वाचा-कर्मणा),अस्तेय,अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य । अब यदि ढ़ोंगी प्रगतिशीलों की बात को सही मान कर धर्म का विरोध किया जाये तो हम लोगों से इन सद्गुणों को न अपनाने की बात करते हैं और यही कारण है कि सोवियत रूस मे साम्यवाद का पतन हो गया(सोवियत भ्रष्ट नेता ही आज वहाँ पूंजीपति-उद्योगपति हैं जो धन जनता और कार्यकर्ता का शोषण करके जमा किया गया था उसी के बल पर) एवं चीन मे जो है वह वस्तुतः पूंजीवाद ही है।दूसरी ओर थोड़े से  पोंगापंथी केवल 'गीता' को ही महत्व देते हैं उनके
लिए भी 'वेदों' का कोई महत्व नहीं है। 'पदम्श्री 'डॉ कपिलदेव द्विवेदी जी कहते हैं कि,'भगवद  गीता' का मूल आधार है-'निष्काम कर्म योग' "कर्मण्ये वाधिकारस्ते ....................... कर्मणि। । " (गीता-2-47)
इस श्लोक का आधार है यजुर्वेद का यह मंत्र- "कुर्वन्नवेह कर्मा................... न कर्म लिपयाते नरो" (यजु.40-2 )

दोहे
पढ़ना लिखना आगया ,कहते हो विद्वान ,
राग द्वेष मन में बसा .कैसा है ये ज्ञान |
तितली बोली फूल से ,दिन मेरे दो चार ,
जी भर के जी लूँ ज़रा बाँटू,रंग हजार |
श्वेत वस्त्र धारण किया .अन्दर काला मन ,
उजाला कर मन भी ज़रा ,फिर जग तेरे संग |
समझ न पाय  भावना ,खूब छला बन नेक ,
होश में आय जब ज़रा, बचा न कुछ भी शेष |

क्या बेटियों को भी याद रहता है ? .
और थपकियाँ अनवरत चालू हैं
धीरे धीरे उसके जवाब मन्द होते हैं
आखिर आ जाती है वह स्थिति भी
नहीं उत्तर आता उस मासूम की ओर से
नींद के आगोश में चली गयी है बिटिया
अपने आप से बेहद संतुष्ट हूँ मैं
मेरा सबसे अहम काम जो है ये
मुझे तो इतना अच्छा लगता है यह
कि आपको तक बतला रहा हूँ यहाँ
अपनी स्मृतियों के खजाने में यह पिता
सहेजे रखेगा इन पलों को जीवन भर
पर क्या बेटियों को भी याद रहता है
कि किस तरह सुलाते थे उनको पिता ?

केवल राष्ट्र के लिए था यह सृजन.....
“सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढे़ भारत में भी आई, फिर से नई जवानी थी,
गुमी हुई आजादी की, कीमत सबने पहिचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी,
चमक उठी सन् सत्तावन में वह तनवार पुरानी थी,
बुन्देले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी की रानी थी।“



आज बस इतना ही....
माननीय मोदी जी की मन की बात....
की तरह ही....सुनिये....
हमारे जवानों की मन की बात भी



धन्यवाद।




 





13 टिप्‍पणियां:

  1. आपने मुझे कुछ कहने का अवसर दिया आभारी हूँ .
    भीष्म पितामह ने जो उपदेश दिया यदि स्वयं भी अनुरूप आचरण किया होता तो इतिहास वह नहीं होता जो आज है.केवल अपने पिता का प्रिय करने के लिये सत्यवती को लाना और स्वयं विवाह न करने की प्रतिज्ञा ,देश का हित कहाँ विचारा ?स्वयंवरा कन्याओ को निर्वीर्य ,रोगी भाइयों के लिये जबरन ले आना ऊपर से नियोग हेतु विवश करना क्या नारी की मर्यादा की रक्षा है ? और भी बहुत कुछ ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शुभप्रभात....
      आपने ठीक ही कहा है....पर ये जो कुछ भिष्म पिता ने उस वक्त कहे हैं जब वह बाणों की शईया पर पड़े थे....ये केवल उनके अनुभवों पर आधारित है....यहां तक उन्होंने स्वयम् द्वारा की गयी भूलों को स्विकार भी किया है....
      जो भूले उन्होंने या उनके समकालीन व्यक्तियों ने की है...वह भविष्य में कोई और न करे, इसी लिये उन्होंने ये उपदेश दिये हैं....
      आभार आप का....

      हटाएं
  2. शुभ प्रभात !

    भाई कुलदीप जी आज का विशेषांक विविधतापूर्ण रचनाओं का संकलन है। स्वाधीनता-दिवस और श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी की बधाई एवं शुभकामनाऐं ! आज की भूमिका चिंतनशील है। आज के सन्दर्भों में अनेक प्रश्न भी खड़े होते हैं। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं ! जवानों के मन की बात अर्थपूर्ण है। आभार सादर।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर प्रस्तुति करण के साथ उम्दा संकलन.....
    कृष्ण जन्माष्टमी एवं स्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनाएं....

    जवाब देंहटाएं
  4. शुभ प्रभात
    स्वतंत्रता दिवस पर आप सभी को शुभकामनाएँ
    गोवर्धन गिरिधारी आप सभी की मनोकामनाएँ पूर्ण करे
    एक उत्तम प्रस्तुति
    साधुवाद
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह! संकलन की उत्कृष्टता का अनुपम प्रदर्श! बधाई !!!

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
    सबको स्वतंत्रता दिवस एवं कृष्णा जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!

    जवाब देंहटाएं
  7. शुभ प्रभात आदरणीय ''कुलदीप"भाई
    सर्वप्रथम इस आज़ादी के महापर्व पर
    आपसभी भारतवासियों को हार्दिक शुभकामनायें ,
    अमर शहीदों को मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि
    आज़ादी के सही मायने हमें समझने होंगे !
    जय भारत
    "एकलव्य"

    जवाब देंहटाएं
  8. कृष्ण जन्माष्टमी एवं स्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनाएं.
    उत्कृष्ट संकलन..
    रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं
    बढिया चर्चा..

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत ही उम्दा संकलन, विचारणीय चर्चा।
    आदरणीय कुलदीप जी, पाँच लिंक परिवार के प्रमुख सदस्यों एवं समस्त पाठक गण को स्वतंत्रता दिवस एवं जनमाष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  10. आप सभी को स्वतंत्रता दिवस एवं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई। दोनों पर्वों के समन्वय से यह दिन अतिविशिष्ट हो गया है तो आज की हलचल प्रस्तुति क्योंकर ना हो अतिविशिष्ट ? बहुत सुंदर भूमिका,बेहतरीन रचनाओं का चयन । साधुवाद ।

    जवाब देंहटाएं

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