‘सब्र’
एक ऐसी ‘सवारी’ है
जो अपने ‘सवार’ को
कभी गिरने नहीं देती;
ना किसी के
‘क़दमों’ में
और ना ही
किसी के नज़रों ‘में’।
आज की पढ़ी - सुनी रचनाओं पर एक नज़र...
ख़त इन्सान के नाम...रिंकी राऊत
हे पर्थ
याद रख ये बात
करता भी तू है
भरता भी तू है
भोगता भी तू है
लम्हा-ए-विसाल था....लोकेश नशीने
शबे-वस्ल तेरी हया का कमाल था
सुबह देखा तो आसमां भी लाल था
कटे हैं यूँ हर पल ज़िन्दगी के अपने
नफ़स नफ़स में वो कितना बवाल था
इश्क...रेवा टिबड़ेवाल
आज फिर तुम्हारी याद
बेताहाशा आ रही है...
ऐसा लगता है मानो
दिल में कई
खिड़कियाँ हों
जो एक साथ
खुल गयी है ...
आईना भी ख़फ़ा हो गया.....डॉ.यासमीन ख़ान
याद आने लगी है तेरी
ज़ख़्मे दिल फिर हरा हो गया।।
भूख वो ही,वही मुफ़लिसी।
साल कैसे नया हो गया।।
रंग लिया हिय रंग में तेरे
कुछ नहीं अब बस में मेरे
बाँधे पाश मनमोह है घेरे
बंद पलक छवि तेरे डेरे
अश्रुजल से न मिट सके
वो अमिट अनंत संताप हो
आंतक की फुनगी....हेमलता यादव
अचानक नहीं होता
आंतक का आगमन।
विश्वास की मजबूत
धरा को नफ़रत से सींचकर
रौंपे जाते हैं आंतक के विषैले बीज।
मसालेदार कविता....ओंकार केडिया
कविता लिखो,
तो सादी मत लिखना,
कौन पसंद करता है आजकल
सादी कविता ?
तेज़ मसाले डालना उसमें,
मिर्च डालो,
तो तीखी डालना,
ऐसी कि पाठक पढ़े,
तो मुंह जल जाय उसका,
आप सभी ने कन्हैय्या की दही-लूट तो देखी ही होगी
पिछले दिनों.... आज देखिए विदेशों में भी पिरामिड बनते हैं
स्पेन के शहर टारागोना में पिछले दो साल से एक दिन विशेष में कैसलर का कई चरणों में आनन्द लेते हैं
ऊषा स्वस्ति
जवाब देंहटाएंनमनम्
आभार
उम्दा लिंक्स चयन
जवाब देंहटाएंआधुनिकता से युक्त उम्दा लिंक बधाई !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचनायें
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई
मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार
उषा स्वस्ति..
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंकों का चयन
सभी रचनाकारों को बधाई..
आभार ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंनमस्ते ,
जवाब देंहटाएंताज़गी की महक का एहसास देता रविवारीय अंक।
बेहतरीन सूत्रों का चयन कौशल सराहनीय है।
आदरणीय दिग्विजय भाई जी बधाई इस शानदार प्रस्तुतीकरण पर।
अंत में रोमांचकारी विडियो रोंगटे खड़े करता है और मुस्कराने को प्रेरित करता है।
सभी चयनित रचनाकारों को "पाँच लिंकों का आनन्द" परिवार की और से बधाई एवं शुभकामनाऐं !
आभार सादर।
कृपया "परिवार की और से" को "परिवार की ओर से" पढ़ें। धन्यवाद।
हटाएंआदरणीय सर जी,
जवाब देंहटाएंसुप्रभात,
संदेशात्मक पंक्तियों से शुभारंभ की गयी आज के अंक में पठनीय लिंकों का सुंदर संयोजन ।
अंत में रोचक विडियो।
मेरी रचना को स्थान देने के अति आभार आपका।
आदरणीय,"दिग्विजय" साहब आज का अंक कुछ ख़ास है कई मायनों में एक तरफ ज्वलंत मुद्दे तो दूसरी तरफ मन को शांति प्रदान करने वाली रचनायें, रचनाओं का चयन उम्दा ! शुभकामनाओं सहित ,आभार ''एकलव्य"
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स. मेरी कविता शामिल करने के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंकों का संकलन....
जवाब देंहटाएं"नव वर्ष की शुभकामनाएं "
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की शुभकामनाएं /
बच्चों में उत्साह जगाएं |
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झूले लाल को ना भुलाएँ /
नव वर्ष की शुभकामनाएं |
देवी को सुमधुर गीत सुनाएँ |