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गुरुवार, 31 अगस्त 2017

776...राम और रहीम को एक साथ श्रद्धाँजलि

सादर नमस्कार...
आठवें महीने की अंतिम प्रस्तुति
भाई रवीन्द्र सिंह प्रवास पर हैं..
कुछ खास नहीं हुआ इस माह..

श्रम की अधिकता में
कुछ ही दिनों में बीमार पड़कर
अस्पताल में भरती हो जाएँगे
अस्पाल को जेल में नहीं न लाया जा सकता...

कुछ दिनों से देखा जा रहा है..
कविता कहानी लिखने वाले ब्लॉग आज-कल
मीडियाधर्मी बन गए हैं....

चलिए आज की पढ़ी-सुनी रचनाओं की ओर...

पहली बार..

न जाने क्या चाहता है ये दिल...अरमान
कितना भी रोकने की कोशिश करूं
तेरी ओर ख़्यालों के क़दम बढ़ जाते हैं

तुम्हारी आंखों, तुम्हारी बातों ने
जैसे कोई साज़िश की हो 'अरमान'


शब्द एक प्रतिध्वनि है,
वीरान/ अकेली/ निर्वासित नगरी में
हमसफ़र की तरह
साथ चलने के लिये।

बोलो शहर, 
क्या तुम्हारे सीने में कोई दर्द की लहर नहीं उठती 
कोई ज्वालामुखी नहीं फूटता 
क्या सचमुच तुम्हारा जी नहीं करता कि 
मासूमों की सांसों को तोड़ देने वाली सरकारों की 
धज्जियाँ उड़ा दी जाएँ 

चाहकर ये उदासी कम न हो
क्यूँ प्रीत इतना निर्मोही है
इक तुम ही दिल को भाते हो
जानूँ तुम सा क्यूँ न कोई है
दिन गिनगिन कर आँखें भी
रोती कई रातों से न सोई है


हाँ, सही कहा कि 
ग़र करती हो तो पछताती हो क्यों...? 
अपने पहनावे पर 
लोगों के व्यंग्यबाण सुन 
तुम शर्म से गढ़ जाती हो क्यों...? 


‘उलूक’ 
नोचता है 
बाल अपने 
ही सर के 
पिता साँप का 
जब तुरन्त ही 
साँप के सँपोले 
को पालने की 
जुगत लगाना 
शुरु हो जाता है ।

आज्ञा दें दिग्विजय को



9 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    सादर नमन
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात आदरणीय सर जी,
    एक वाक्य में बहुत सारगर्भित बात कह दिया आपने,"कहानी कविता लिखने वाले ब्लॉक मीडियाधर्मी बन गये हो मानो।"
    जी, सर कुछ तो मन का आक्रोश है और कुछ बनावटीपन।
    आज के अंक में सुंदर रचनाओं के लिंक पिरोये है आपने।
    मेरी रचना को मान.देने.के लिए अति आभार आपका।

    जवाब देंहटाएं
  3. उषा स्वस्ति..
    एक वाक्य में बहुत बात कह दिया आपने,"कहानी कविता लिखने वाले ब्लॉक मीडियाधर्मी बन गये हो मानो।"
    सभी रचनाकारों को बधाई..
    सुंदर लिंक।

    जवाब देंहटाएं
  4. सार्थक प्रस्तुतिकरण.....
    उम्दादा लिंक संकलन..

    जवाब देंहटाएं
  5. आज की सुन्दर 'हलचल' प्रस्तुति में 'उलूक' के सूत्र को जगह देने के लिये आभार दिग्विजय जी।

    जवाब देंहटाएं
  6. कविता कहानी लिखने वाले ब्लॉग आज-कल मीडियाधर्मी बन गए हैं....
    सच है, पर इन्हीं से फिर कविता-कहानियां निकलेंगी

    जवाब देंहटाएं

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