जय मां हाटेशवरी....
एक बड़ा कवि, अद्भुत संवेदना का स्रोत और ज़िन्दगी का जानकार हमारे बीच से चला गया। ऐसा कवि होना वाकई कठिन होता है जो प्रेम के लिए,मनुष्यता के लिए आज़ादी और जनतंत्र के लिए, स्त्रियों, दलितों, ग़रीबों के साथ संघर्ष में शामिल और हमेशा समर्पित होता रहा है। कविता उसकी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा गहना था। वह
अकविता के शोरगुल के बीच से आया था। लगभग चाकुओं जैसे शब्दों का इस्तेमाल करता था। हड्डियों में छिपे ज्वर को पहचानता था। वह लिखता ही तो रहा जीवन भर। लिखना ही उसकी आत्मा का असली ताप था। साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हिंदी के कवि चंद्रकांत देवताले मध्य प्रदेश के बैतूल के जौलखेड़ा में 7 नवंबर 1936 में जन्मे देवताले 1960 के दशक में अकविता आंदोलन के साथ उभरे थे हिंदी में एमए करने के बाद उन्होंने मुक्तिबोध पर पीएचडी लकड़बग्घा हंस रहा है' कविता संग्रह से चर्चित हुए देवताले इंदौर के एक कॉलेज से रिटायर होकर स्वतंत्र लेखन कर रहे दो लड़कियों के पिता चंद्रकांत देवताले नहीं रहे
"रचनाकार मरते नहीं है....
अमर रहते हैं....
अपनी कालजयी रचनाओं के साथ....
जो पथ दिखाती हैं....
आने वाले समय में....
विनम्र श्रधांजली मेरी ओर से...."
"दिखाई दे रही है कई कई चीजें
देख रहा हूँ बेशुमार चीजों के बीच एक चाकू
अदृश्य हो गई अकस्मात तमाम चीजें
दिखाई पड़रहा सिर्फ चमकता चाकू
देखते के देखते गायब हो गया वह भी
रह गई आँखों में सिर्फ उसकी चमक
और अब अँधेरे में वह भी नहीं
और यह कैसा चमत्कार
कि अदृश्य हो गया अँधेरा तक
सिर्फ आँखें हैं कुछ नहीं देखती हुई
और अन्त में
कुछ नहीं देखना भी नहीं बचा
बेशुमार चीजों से कुछ नहीं तक को
देखने वाली आँखे भी नहीं बचीं।"
रचनाकार लिखते हैं....
कभी किताबों में....
कभी सोशल साइटों पर....
कभी ब्लॉग पर....
न पढ़ने वाले फिर भी नहीं पढ़ते....
कभी तो ऐसा प्रतीत होता है....
आज लेखक अधिक है....
पाठक कम....
हम तो पढ़ते हैं....
औरों को भी पढ़ाने का प्रयास करते हैं....
अब पेश है...मेरी पसंद....
स्वतंत्र भारत के 70 वर्ष: सतत सामाजिक न्याय
यह सभी योजनाएं स्पष्ट रूप से दलितों एवं अन्य वंचित वर्गों के उत्थान के प्रति मौजूदा सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। गरीबी को खत्म करने और समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने के लिए वर्तमान सरकार द्वारा कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। काफी कुछ किया गया है, काफी कुछ किया जाना है।
कमजोर - अंतोन चेखव
''लानत है! क्या तुम देखती नहीं कि मैंने तुम्हें धोखा दिया है? मैंने तुम्हारे पैसे मार लिए हैं और तुम इस पर धन्यवाद कहती हो। अरे, मैं तो तुम्हें परख रहा था... मैं तुम्हें अस्सी रूबल ही दूँगा। यह रही पूरी रकम।''
वह धन्यवाद कहकर चली गई। मैं उसे देखता हुआ सोचने लगा कि दुनिया में ताकतवर बनना कितना आसान है।
मौन अौर समय
मौन को बोलने दो।
क्योंकि सही जवाब तो
समय देता है।
भला कर भले मानुष
ये जरूरी नहीं कि आपको जो बात गलत लगी वो उसके लिए भी गलत हो लेकिन आगाह करना हमारा कर्तव्य होना चाहिए अगर हमें महसूस हो,एक विचार के हर नकारात्मक पक्ष को सामने लाये जाने पर ही उसकी सकारात्मकता को बढ़ाया जा सकता है ,ऐसा मैं सोचती हूँ। अनजान बनकर दूसरों का भला करना सबके बस का नहीं ये भी कटु सत्य है।
हमारी दोस्ती-लघुकथा
''ये क्या है बेटे'' अब दादा जी बोले|
''दोस्ती, एग्रीकल्चर की दोस्ती आधुनिक तकनीक के साथ| ये दोनों ही ऊर्जा के स्रोत हैं| मैंने विदेश से एग्रीकल्चर साइंस की पढ़ाई की है और उसका उपयोग अपने देश में करना चाहता हूँ दादा जी| आप अब बूढ़े हो गए हैं| इन खेतों का विस्तार नहीं संभाल पाएँगे| इसे मैं सम्भालता हूँ और आप गैजेट्स संभाल लीजिए|''
''मतलब'', पलकें झपकाते हुए दादा जी बोले|
''मतलब दादा जी, आप व्हाट्स एप और फेसबुक चलाना सीख लीजिए, मैं खेती करना सीखता हूँ| जहाँ भी हम अटकेंगे, एक दूसरे की मदद करेंगे पक्के दोस्त की तरह,'' चुहल भरे अंदाज में अर्णव ने कहा|
सोचता हूँ...
अरमानों से प्यारी बिटिया को ऐसे में जब देखता हूँ ...
बड़ी बेचैनी से उस हालात में मैं यह सोचता हूँ...
जिसकी मासूम मुस्कान जीवन का हर दुःख हर लेती है।
हाथों के कोमल स्पर्श से जो बेचैनी में भी सुकून देती है।
वह मुखाग्नि दे तो क्या चिता जलने से इनकार कर देगी?
उसके हाथों का तर्पण क्या आत्मा अस्वीकार कर देगी??
एक रात का शौहर’: गंदा है पर धंधा है ये...
अब बात असल जिंदगी में निकाह-ए-हलाला के एक स्याह पहलू की...किस तरह चंद लोग जिनसे उम्मीद की जाती है कि वो औरों को नेकी और ईमानदारी के रास्ते पर ले जाएंगे, वही खुद निकाह-ए-हलाला के नाम पर दूसरों की मजबूरी का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं...ना सिर्फ़ पैसे के लिए बल्कि ये तलाकशुदा महिलाओं की मजबूरी का फायदा उठाते हुए उनके साथ एक रात गुजारते हैं...इन मुस्लिम महिलाओं का कसूर इतना है कि वे इस्लामी कानून के तहत अपनी शादियों को बचाना चाहती हैं... इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टीगेटिव टीम की तहकीकात से ये सब सामने आया है...इससे जुड़े स्टिंग ऑपरेशन को बुधवार को 'इंडिया टुडे' और 'आज तक' चैनलों पर प्रसारित किया गया...
अंडर कवर रिपोर्टर्स ने छुपे कैमरे से दिखाया कि ये लोग निकाह-ए- हलाला की विवादित प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए 20,000 से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक की रकम चार्ज भी करते हैं...जो खुद ये काम करने के लिए तैयार दिखे उनमें मुरादाबाद से सटे लालबाग में मदीना मस्जिद के इमाम मोहम्मद नदीम, दिल्ली के जामिया नगर में मौलाना की काबिलियत रखने वाले ज़ुबेर कासमी, दिल्ली के दारूल उलूम महमूदिया मदरसे से जुड़े मोहम्मद मुस्तकीम और हापुड़ ज़िले के सिखेड़ा गांव में मदरसा चलाने वाले मोहम्मद जाहिद शामिल हैं...
धन्यवाद....
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंअश्रुपूरित श्रद्धांजली
सम-सामयिक रचनाएँ
आभार
सादर
सुप्रभात..
जवाब देंहटाएंबहुत सी "कभी तो ऐसा प्रतीत होता है....आज लेखक अधिक है....पाठक कम...."
पाठक तो कम होंगे ही. जिम्मेदार वो पीढ़ी है जो अपनी संततियों को इस संस्कार में नहीं सेव रही हैं.
जवाब देंहटाएंदिवंगत देवताले को श्रद्धां पुष्प उनके ही बगीचे से:-
बड़े शहर में आकर ऐसा अदद पड़ोसी न मिला
जिसका दरवाज़ा खटखटाकर एक निम्बू उधार मांग ले.
सुप्रभात .देवताले जी को विनम्र श्रद्धाजंली. सुन्दर संयोजन.
जवाब देंहटाएंविनम्र श्र्द्धांजली देवताले जी को
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स चयन
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदेवताले जी को विनम्र श्र्द्धांजली !
देवताले जी को नमन और श्रद्धाँजलि।
जवाब देंहटाएंदेवताले जी को विनम्र श्रद्धांजली. ऐसा कवि कंही जाता नहीं बल्कि हमेशा उसके शब्द हमारी चेतना की कुन्डी खटखटाते रहते हैं.
जवाब देंहटाएंआज प्रस्तुत सभी रचनायें समसामयिक और गहरे असर करने वाली हैं. सादर आभार
दिवंगत देवताले जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि । आज का संकलन भी हमेशा की तरह वैविध्यपूर्ण ! सादर धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंकविवर चंद्रकांत देवताले जी को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि। भाई कुलदीप जी ने साहित्य रसिकों के लिए आज का अंक तैयार करने में बड़ा श्रम किया है उन्हें बधाई एवं धन्यवाद। सभी चयनित रचनाकारों को शुभकामनाएं एवं बधाई। आभार सादर।
जवाब देंहटाएंदेवताले जी को विनम्र श्रद्धाजंली. उम्दा लिंक्स संयोजन
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