सादर अभिवादन...
मौसम काफी खऱाब है
कहीं अतिवृष्टि..और कहीं अल्पवृष्टि
पर बीमारी जो है सो..उसे फर्क नहीं पड़ता
दोनों जगह..उसे बदस्तूर मौजूद
पाते हैं हम..
.........
अभी परसों
निवृतमान उपराष्ट्रपति
ज़नाब हामिद अंसारी नें कहा कि
भारत में मुसलमान असुरक्षित ...?
अब चलें आज की पसंद की ओर...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी के रिटायरमेंट पर क्या कहा: हरेश कुमार
आपके कार्यकाल का बहुत सारा हिस्सा वेस्ट एशिया से जुड़ा रहा है। उसी दायरे में बहुत वर्ष आपके गये। उसी माहौल में, उसी सोच में, उसी डिबेट में, वैसे ही लोगों के बीच रहे। वहां से रिटायर होने के बाद भी ज्यादातर काम वही रहा आपका, चाहे माइनोरेटी कमीशन हो या फिर अलीगढ़ यूनिवर्सिटी। आपका दायरा वही रहा। लेकिन ये दस साल पूरी तरह से एक अलग जिम्मा आपके पास आया। और पूरी तरह संविधान… संविधान… संविधान… के दायरे में ही चलाना, और आपने बखूबी उसे चलाने का प्रयास किया। हो सकता है कि कुछ छटपटाहट रही होगी आपके भीतर भी, लेकिन आज के बाद वह संकट भी आपको नहीं रहेगा। मुक्ति का आनंद रहेगा।
और आपकी मूलभूत जो सोच रही है उसके अनुरूप कार्य करने का,
सोचने का, बात बताने का अवसर भी रहेगा।
लेकिन हमे गर्व है के हमारे इसी देश में अच्छे और बहुत अच्छे लोग भी है....जिन्होंने इस तरह की शैतानी हरकतों का डट कर मुक़ाबला किया है...एक अच्छे हिन्दू..एक आदर्श हिन्दू का फ़र्ज़ निभाया है...संकट में हमारे मददगार...हमारे पैरोकार भी बने है, हमारे हिन्दू भाइयों पर हमे फख्र है.....
जूही , चमेली,कचनार
चंपा,बेला और हरसिंगार के फूल
महक उठे फिर
दिवस मास नहीं
ऐसा लगा कि सदियों बाद
तेरी वापसी हुई,
स्वतंत्र है अब ये आत्मा, आजाद है मेरा वतन,
ना ही कोई जोर है, न बेवशी का कहीं पे चलन,
मन में इक आश है,आँखों में बस पलते सपन,
भले टाट के हों पैबंद, झूमता है आज मेरा मन।
प्रभु श्री राम के रीछ-वानर हों या,
श्री कृष्ण जी के ग्वाल - बाल...
महात्मा बुद्ध के परिव्राजक हों या,
महात्मा गाँधी जी के सत्याग्रही.....
दूरदर्शी थे समय के पारखी थे,
समय की गरिमा को पहचाने थे.....
तूफ़ान में कश्ती को उतारा नहीं होता
उल्फ़त का अगर तेरी किनारा नहीं होता
ये सोचता हूँ, कैसे गुजरती ये ज़िन्दगी
दर्दों का जो है, गर वो सहारा नहीं होता
कभी हमें भी यकीन था..,पर कभी-कभी
जिंदगी न जाने क्यूँ पेश आती है
अजनबियों की तरह
इन आँखों में बसी ख्वाबों के, मंजर
अभी बाकी है
''बेग़ैरत''....''एकलव्य''
सरेआम किया नंगा
ख़्याल नहीं था
इंसानियत का हमें
ख़ुद पे बन आई आज़
धर्म इंसानियत
बताता हूँ
बस लिखता चला जाता हूँ.......
आज का यह अंक सामान्य से कुछ अलग हटकर है..
विवाद नहीं है कहीं...बस सोच का अंतर है
बस ज़रा आप समानान्तर सोच से अलग हटकर सोचें....
दें आज्ञा दिग्विजय को..
सुप्रभात आदरणीय सर जी,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सराहनीय और पठनीय लिंक आज के।
एक एक लिंक्स में लेखन बढ़ियाँ है
जवाब देंहटाएंउम्दा चयन
उम्दा प्रस्तुतिकरण
जवाब देंहटाएंतार्किक लिंक..
सभी रचनाकारों एवम् पाठकों को बधाई..
मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद
आभार।
सुन्दर प्रस्तुतिकरण,उम्दा लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।
मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसभी रचनायें बहुत अच्छी हैं
शुभ प्रभात सुंदर संकलन आनंद आ गया आभार आपका
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम
बहुत अच्छी कडीयो का संकलन
नमस्ते !
जवाब देंहटाएंआदरणीय जी दिग्विजय भाई जी आज की प्रस्तुति गहन मंथन को आमंत्रित करती है। विचारोत्तेजक बहस की सामग्री से लेकर गंभीर सवालों की तख़्तियां क्या कहना चाहती हैं हमसे .... हमें अपनी सोच का दायरा व्यापक करना होगा।
निवर्तमान उप राष्ट्रपति डॉ. हामिद अंसारी की विदाई ने हमें इतना प्रभावित ,उद्द्वेलित कर दिया कि 9 अगस्त से लेकर आज तक हम किसी शालीन , सादगीपूर्ण निष्कर्ष पर नहीं पहुँचे हैं। उप राष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद की अपनी गरिमा है मर्यादा है .... क्या इसकी छीछालेदार इसी तरह होनी चाहिए ? डॉ. अंसारी ने जो कहा उसे झुठलाया भी तो नहीं जा सकता किन्तु समय का ख़्याल रखना ज़रूरी होता है। वहीँ सत्ता पक्ष और वर्तमान उप राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक के बयान किसी शालीनता और बुद्धि - कौशल के उदाहरण नहीं हैं सिर्फ़ एक-दूसरे पर भड़ास निकालते हुए दर्ज़ हुए हैं।
हम इस मंच पर राजनैतिक निष्ठाओं को अभिव्यक्ति देने हेतु एकत्र नहीं होते हैं बल्कि समाज को आइना दिखाते हुए उसकी विकृतियों को सुधारने और मौलिक विचार का सृजन करने ,उसे पुष्ट करने ,प्रोत्साहित करने ,संरक्षित करने के लिए अपना -अपना श्रेष्ठ योगदान अर्पित करते हैं।
मैं भी इस बहस से आहत हुआ और उचित मंच से अपनी बात आप सबके बीच रख रहा हूँ।
आदरणीय दिग्विजय भाई जी ने आज की प्रस्तुति का जो शीर्षक दिया है उस पर बार-बार सोचने की ज़रूरत है।
सभी चयनित रचनाकारों को बधाई। आभार सादर।
उम्दा चयन, आभार।
जवाब देंहटाएंसटीक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं