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बुधवार, 23 अगस्त 2017
768..कम से कम तवील राहों के सिम्त..
12 टिप्पणियां:
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शुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
सादर
बढ़ियाँ लिंक्स चयन
जवाब देंहटाएंवाह ! लाजवाब लिंक संयोजन ! बहुत सुंदर आदरणीया ।
जवाब देंहटाएं'चलों, कम से कम तवील राहों के सिम्त एक कदम तो, बढ़ी ...'अपनी ज़ज्बातों को उजागर करने के लिए कब से इन अल्फाजों का इंतज़ार कर रहा था !इतनी लम्बी रात तो बीती,एक हसीन हलचल के साथ!शुक्रिया!!!
जवाब देंहटाएंउषा स्वस्ति पम्मी जी,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिंकों का संयोजन,संक्षेप में कही गयी आप की सारगर्भित बातें प्रभावपूर्ण है।
मेरी रचना को मान देने के लिए हृदय से.अति आभार आपका।
बहुत बेहतरीन संकलन पम्मी जी ।
जवाब देंहटाएंशुभप्रभात....
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन....
आभार।
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुतिकरण के साथ उम्दा संकलन...
जवाब देंहटाएंआदरणीय पम्मी जी आज के अंक की प्रस्तुति समसामायिक मुददों की चर्चा को एक नया आयाम दे रही है शुभकामनाओं सहित ,आभार ''एकलव्य"
जवाब देंहटाएंवाह पम्मी जी! शानदार सूत्रों का संकलन। हिंदी ,उर्दू एवं संस्कृत शब्दावली से परिचय.....उषा स्वस्ति और निशा स्वस्ति का उल्लेख अच्छा लगा। यही है नवीनता और मौलिकता की ख़ुशबू। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं। आभार सादर।
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