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मंगलवार, 1 अगस्त 2017

746.....बस अभी ही नींद आई है हमें

सादर अभिवादन
बारिश बहुत हो रही है हिमांचल प्रदेश में
भाई कुलदीप जी किंकर्तव्य विमूढ़ से बैठे है...
नेट बाधित है... शुक्र है कि फोन चल रहा है
देवी जी व्यस्त है तैय्यारियों में

आज मेरी पसंद पर नजर दौड़ाइए....

धुंध ठिठुरन चाय स्वेटर और तुम 
मुझको तो इस रुत का चस्का लग गया 

किस तरह पीछा छुड़ाऊं चाँद से 
क्यों मिरे पीछे ये गुंडा लग गया 

बस अभी ही नींद आई है हमें 
और साज़िश में सवेरा लग गया 
बड़ी ठोकरे खाई है समतलो पे भी, 
अब डगर है पथरीली जरा हौले से चल …

गुजरी है काली रात और थमा है तूफान अभी,
इस तूफान ने लेकिन छोड़े है निशान कई,

मैं भी इन्सां हूँ, इन्सान हैं आप भी
फिर क्यों मिलते नहीं आदमी की तरह

मेरे सीने में भी इक धड़कता है दिल
प्यार यूँ न करें दिल्लगी की तरह

जैसे देवों के देव् महादेव हैं वैसा ही मंत्रों में सबसे शक्तिशाली उनका मंत्र "महामृत्युंजय मंत्र" है। इसके जाप से भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं। मान्यता और आस्था है कि इसका जाप करने से अकाल मृत्यु टल जाती है, मरणासन्न रोगी भी महाकाल शिव की कृपा से 
जीवन पा लेता है.....

मैंने भगवान से माँगी ' शक्ति ' 
मुझे मिली कठिनाइयाँ, हिम्मत बढ़ाने के लिए
मैंने भगवान से माँगी ' बुद्धि '
मुझे मिली उलझनें, सुलझाने के लिए
मैंने भगवान से माँगी ' समृद्धि '
मुझे मिली समझ, काम करने के लिए

दो पागल, जो कभी गणित और अंग्रेजी के प्रोफेसर हुआ करते थे, घंटो आपस में बात किया करते थे। उनकी बातचीत में खास बात यह होती कि जब एक बोलता दूसरा चुप रहता और बडे ध्यान से दूसरे को सुनता और जब पहला चुप होता तो दूसरा बोलता और पहला चुप रह कर उसकी बात सुनता।
....
अब दोनो पागल प्रोफेसर बहुत तेजी से हंसे फिर रुक कर एक ने कहा- अरे महोदय हमे पागल समझा है क्या? मुझे दुनिया में कोई दो व्यक्ति दिखा दो जो सच में एक दूसरे को सुनते हो।


आशा बहन पहली बार इस ब्लॉग में
आइना  भला कब किसी को सच बता पाया है
जब भी देखा दायाँ अंग बाईं तरफ नज़र आया है

ऐसा नहीं  कि धूप जिंदगी में कभी आई ही नहीं
आके पलट गई, जो देखा  दुआओं का साया है

आज्ञा दें दिग्विजय को...
सादर
दुनिया में सबसे तेज धावक कौन...
देखिए स्लो मोशन में समय मात्र दो मिनट...







13 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय दिग्विजय जी शुभ प्रभात
    दीदी दस दिनों की यात्रा पर हैं उनकी यात्रा
    मंगलमय हो ! उनकी अनुपस्थिति में सारी
    ज़िम्मेदारी आपके कंधों पर है जिसे आप
    बख़ूबी निभा रहें हैं। आज का लिंक बहुत अच्छा लगा
    एवं प्रारंभ के शब्द अतिरोचक
    आभार।
    "एकलव्य"

    जवाब देंहटाएं
  2. Nice links.
    Asha ji , A warm welcome in Halchal.
    Nice to read you.
    Thanks Digvijay ji

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर लिंकों का चयन एवं अपठित रचनाकार को पढना अच्छा लगा। सराहनीय प्रस्तुति आदरणीय सर जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. आज की प्रस्तुति का अपना ख़ास महत्त्व है आदरणीय दिगंबर जी!
    आपका चयन सराहनीय और प्रेरक है।
    सभी चयनित रचनाकारों को शुभकामनाऐं और बधाई।
    आशा पांडे ओझा जी की रचना के साथ उनका स्वागत है।
    आभार सादर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. भाई रवीन्द्र जी मैं दिगंबर नहीं हूँ
      मैं कपड़े पहनता हूँ..
      आपकी प्रतिक्रिया पसंद आई
      आभार

      हटाएं
    2. आपके जवाब में छुपी चुहल का जवाब नहीं आदरणीय भाई जी। आभार सादर।

      हटाएं
  5. सुप्रभात मित्रो,

    सुन्दर हलचल और सुन्दर लिंक्स|

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर लिंकों का चयन
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर सूत्र चयन बढ़िया प्रस्तुति आप बहुत अनुभवी चर्चाकार हैं दिग्विजय जी तबियत खुश है बीमार नहीं होती है आप भी खुश रहें सुन्दर प्रस्तुतियाँ देते रहें । शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहतरीन प्रस्तुति ! मेरे लिए कुछ ब्लॉग नए हैं उन्हें पढ़ते हुए आज की शाम खूबसूरत हो गई....आदरणीय आशा पांडेय ओझाजी और आदरणीय नीरज गोस्वामी जी की कई रचनाएँ पढ़ीं। नीरज गोस्वामी जी के पुस्तक सागर में गोते लगाए । डॉ अपर्णा त्रिपाठी जी को पिछले कुछ दिनों से पढ़ ही रही हूँ । हलचल मेरी लाइब्रेरी हो गई है आजकल.... बहुत कुछ है यहाँ पढ़ने के लिए। सादर धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं

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